योगी आदित्यनाथ सरकार मुझे हिस्ट्रीशीटर बनाने में जुटी, AAP नेता संजय सिंह ने लगाया गंभीर आरोप
संजय सिंह ने आरोप लगाया है कि उत्तर प्रदेश में दूसरी जातियों के साथ हो रहे अत्याचार और अन्याय के खिलाफ मैंने आवाज उठाई तो योगी सरकार मुझे हिस्ट्रीशीटर बनाने में जुट गई है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सदस्य संजय सिंह उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा उनपर दर्ज कराए जा रहे मुकदमों के संबंध में उपराष्ट्रपति एवं राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू को पत्र लिखकर जानकारी देंगे। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में दूसरी जातियों के साथ हो रहे अत्याचार और अन्याय के खिलाफ मैंने आवाज उठाई तो योगी सरकार मुझे हिस्ट्रीशीटर बनाने में जुट गई है।
उन्होंने सवाल किया, क्या हम वहां बैठकर दूसरी जातियों के साथ हो रहे अत्याचार और अन्याय का मुद्दा नहीं उठा सकते हैं? यदि हम मुद्दा उठाएंगे तो हमारे खिलाफ एफआइआर दर्ज करके हमारी जुबान दबाने की कोशिश की जाएगी? मैं सच बोलता रहूंगा, आप ठाकुरों के लिए काम कीजिए, लेकिन दूसरी जातियों के साथ अन्याय, अत्याचार, उत्पीड़न व उपेक्षा मत कीजिए।
पार्टी कार्यालय में बुधवार को पत्रकार वार्ता के दौरान सिंह ने कहा, अब तक योगी सरकार ने मेरे ऊपर नौ मुकदमे दर्ज किए हैं। मेरा अपराध यह है कि मैंने सरकार को आईना दिखाने का काम किया है। मैंने उप्र सरकार की सच्चाई और कार्यप्रणाली जमीन पर रखने का काम किया है। मैंने यह बात कही कि योगी सरकार में ब्राह्मणों के साथ अन्याय और अत्याचार हो रहा है। मौर्या समाज खुद को छला हुआ महसूस कर रहा है। निषाद, पाल, बिंद, कश्यप, गुर्जर, जाट, जाटव, वाल्मीकि, सोनकर, कुर्मी, यादव या लोधी समाज हो, आज सभी के मन में गुस्सा और नाराजगी है।
भाजपा के सहयोगी रहे और पूर्व मंत्री ओम प्रकाश राजभर मुझसे मिलने आए थे। उन्होंने मुझसे कहा कि आपने जो कुछ कहा, वह सही है। वह भागीदारी व संकल्प मोर्चा समेत आठ राजनीतिक दलों का गठबंधन चलाते हैं, उन्होंने मुझे समर्थन दिया। इस तरह तमाम संगठनों ने मेरे बयान पर समर्थन किया।
मेरे पूछे गए सवाल का जवाब नहीं देती योगी सरकार
संजय सिंह ने कहा, मैंने पूछा था कि कितने जिलाधिकारी दूसरी जातियों के हैं, सरकार बताए। कितने पुलिस अधीक्षक, सीओ और थानेदार दूसरी जातियों के हैं, वह बताएं। मैं पूछता हूं कि प्रभात मिश्रा, जो 12वीं में पढ़ने वाला छात्र था, उसके खिलाफ एक भी एफआइआर नहीं थी, उसकी एनकाउंटर में हत्या कैसे हो गई? इसका आप जवाब दीजिए, इसपर भी जवाब नहीं देते हैं। मैं पूछता हूं कि खुशी दुबे, जो नवविवाहिता थी, उसका क्या गुनाह है कि अब तक आपने उसे जेल में रखा हुआ है, जबकि पुलिस अधीक्षक ने माना था कि उसकी गिरफ्तारी गलत हुई।
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