Unparliamentary Words: वो शब्द जिन्हें संसद में बोलना मना है
Unparliamentary Words बीते दिनों लोकसभा सचिवालय ने असंसदीय शब्दों की एक सूची जारी की है। इनमें तानाशाह जुमलाजीवी जयचंद अंट-शंट करप्ट नौटंकी ढिंढोरा पीटना निकम्मा जैसे आम बोलचाल शब्द शामिल किए गए हैं। अब इन शब्दों का प्रयोग संसद की कार्यवाही के दौरान अमर्यादित माना जाएगा।
नई दिल्ली, जागरण डिजिटल डेस्क। Unparliamentary Words: 14 जुलाई से मानसून सत्र की संसद में कार्यवाही शुरू हो गई है। इससे पहले लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने असंसदीय शब्दों की एक सूची जारी की है। सूची में जो नए शब्द जोड़े गए हैं। वो सभी संसद के दोनों सदनों, अलग-अलग विधानसभाओं की कार्यवाही में इस्तेमाल किए जाएंगे।
इन शब्दों के इस्तेमाल पर लगी रोक
- जुमलाजीवी
- बाल बुद्धि
- बहरी सरकार
- उल्टा चोर
- कोतवाल को डांटे
- उचक्के
- अहंकार
- कांव-कांव करना
- काला दिन
- गुंडागर्दी
- गुलछर्रा
- गुल खिलाना
- गुंडों की सरकार
- दोहरा चरित्र
- चोर-चोर मौसेरे भाई
- चौकड़ी
- तड़ीपार
- तलवे चाटना
- तानाशाह
- दादागिरी
- अंट-शंट
- अनपढ़
- अनर्गल
- अनार्किस्ट
- उचक्के
कौन तय करता है सदन की भाषा?
भारत के लोकतंत्र में एक प्रथा है, जहां कुछ शब्दों और वाक्यांशों को विधायिका में चर्चा के दौरान प्रयोग किए जाने पर असंसदीय कहा जाता है। ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि निर्वाचित अधिकारी सभ्य तरीके से बोलें।
ज्यादातर मामलों में सदन का अध्यक्ष यह तय करता है कि संसदीय भाषा क्या है और क्या नहीं। लोक सभा स्पीकर का यह भी कर्तव्य होता है कि विधानसभा के वाद-विवाद नियमों को लागू करना, जिनमें से एक सदस्यों को "असंसदीय" भाषा का उपयोग करने से रोकना भी है।
लोकसाभ संचालन के नियम-380 के तहत स्पीकर को यह आदेश देने का अधिकार है कि अपमानजनक या अभद्र या असंसदीय या अशोभनीय शब्दों को भाषण से हटा दिया जाए।
कैसे तय होता है शब्दों का चयन?
यदि कोई सदस्य किसी ऐसे शब्द का उपयोग करता है जो सदन की मर्यादा या गरिमा को ठेस पहुंचाता है, यह असंसदीय शब्दों की श्रेणी में आता है। ऐसे शब्दों को रिपोर्टिंग अनुभाग का प्रमुख अध्यक्ष या सभापति को भेजता है।
एक बार जब अध्यक्ष ने शब्द या अभिव्यक्ति को हटा दिया, तो वह रिपोर्टिंग विभाग में वापस आ जाता है। फिर इसे रिकॉर्ड से हटा दिया जाता है। सत्र के समापन पर असंसदीय शब्दों की एक सूची तैयारी की जाती है।