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Unnao Case: 10 साल की सजा को चुनौती देने वाली सेंगर की याचिका पर CBI को नोटिस

13 मार्च को तीस हजारी अदालत ने उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता के पिता की हत्या के मामले में कुलदीप सेंगर अतुल और पांच अन्य लोगों को 10 साल के कारावास की सजा सुनाई थी। पीड़िता के पिता को सेंगर के दबाव में आम्र्स एक्ट के तहत गिरफ्तार किया गया था।

By Mangal YadavEdited By: Published: Fri, 06 Nov 2020 04:43 PM (IST)Updated: Fri, 06 Nov 2020 04:43 PM (IST)
Unnao Case: 10 साल की सजा को चुनौती देने वाली सेंगर की याचिका पर CBI को नोटिस
सजायाफ्ता पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की फाइल फोटो

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। उन्नाव सामूहिक दुष्कर्म पीड़िता के पिता की पुलिस हिरासत में मौत के मामले में दस साल की सजा को चुनौती देने वाली सजायाफ्ता पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआइ) से जवाब मांगा है। न्यायमूर्ति विभू बाखरू की पीठ ने सीबीआइ को नोटिस जारी किया है। सेंगर में मामले में अपील याचिका अदालत में लंबित होने तक सजा निलंबित करने की मांग की है। याचिका ओर अगली सुनवाई 10 नवंबर को होगी।

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अधिवक्ता कन्हैया सिंघल का माध्यम से याचिका दायर कर निचली अदालत के फैसले को रद करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि ट्रायल न सिर्फ पूरी तरह से निष्पक्ष होना चाहिए, बल्कि एकपक्षीय नहीं होना चाहिए। सेंगर ने दावा किया कि उनके राजनीतिक विरोधी हैं।

बता दें कि 13 मार्च को तीस हजारी अदालत ने उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता के पिता की हत्या के मामले में कुलदीप सेंगर, अतुल और पांच अन्य लोगों को 10 साल के कारावास की सजा सुनाई थी। पीड़िता के पिता को सेंगर के दबाव में आम्र्स एक्ट के तहत गिरफ्तार किया गया था और कस्टडी में की गई बर्बरता के कारण पुलिस हिरासत में 9 अप्रैल 2018 को उनकी मौत हो गई थी। सेंगर ने किशोरी का वर्ष 2017 में अपहरण और दुष्कर्म किया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मामले को उत्तर प्रदेश से दिल्ली स्थानांतरित किया गया था और 5 अगस्त से तीस हजारी अदालत में सुनवाई हुई थी।  

13 जुलाई, 2018 को दायर आरोप पत्र में कहा गया है कि चार्जशीट में कहा गया था कि कुलदीप सेंगर जिला पुलिस अधीक्षक के संपर्क में था। बाद में, उन्होंने उस डॉक्टर से भी बात की, जिसने दुष्कर्म पीड़िता के पिता की जांच की थी। यह मामला सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर उत्तर प्रदेश की एक ट्रायल कोर्ट से दिल्ली स्थानांतरित कर दिया गया था।

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