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अनंत विजय की पुस्तक 'मार्क्‍सवाद का अर्धसत्य' को लेकर केंद्रीय मंत्री स्मृति ने कही बड़ी बात

केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी ने कहा कि ‘लेखक अनंत विजय ने विविध विषयों को छूते हुए मार्क्‍सवाद को जो अर्धसत्य लिखा है वह निश्चित तौर पर पठनीय है।

By JP YadavEdited By: Published: Mon, 19 Aug 2019 05:38 PM (IST)Updated: Mon, 19 Aug 2019 06:28 PM (IST)
अनंत विजय की पुस्तक 'मार्क्‍सवाद का अर्धसत्य' को लेकर केंद्रीय मंत्री स्मृति ने कही बड़ी बात
अनंत विजय की पुस्तक 'मार्क्‍सवाद का अर्धसत्य' को लेकर केंद्रीय मंत्री स्मृति ने कही बड़ी बात

नई दिल्ली, जेएनएन। ‘लेखक अनंत विजय ने विविध विषयों को छूते हुए मार्क्‍सवाद को जो अर्धसत्य लिखा है वह निश्चित तौर पर पठनीय है। इस पुस्तक का अनुवाद अंग्रेजी के अलावा जितने भारतीय भाषाओं में प्रकाशित होगा उतना ही भारतीय लोकतंत्र के लिए लाभदायी होगा।’ यह कहना था केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी का। वह इंडिया इंटरनेशनल सेंटर (ऐनेक्स) में वाणी प्रकाशन द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘मार्क्‍सवाद का अर्धसत्य’ पर आयोजित परिचर्चा सत्र को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रही थीं।

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पुस्तक लोकार्पण की औपचारिकता के बाद शुरू हुए परिचर्चा सत्र में बतौर विशिष्ट अतिथि पहुंचे वरिष्ठ साहित्यकार प्रो. नरेंद्र कोहली ने कहा कि वे आलोचक नहीं हैं, लेकिन वर्षों बाद किसी पुस्तक को आलोचनात्मक दृष्टि से देखने का प्रयास किया है। मार्क्‍सवाद का अर्धसत्य पढ़ते हुए उन्हें लगा कि लेखक ने अर्धसत्य नहीं बल्कि पूर्ण सत्य को बहुत ही साहस और बेबाकी के साथ उजागर किया है। उन्होंने यह भी कहा कि लेखक वही है, जो अभिव्यक्ति को रोकता नहीं है और इस पैमाने पर अनंत विजय पूरी तरह से खरे उतरे हैं। वहीं, रंगकर्मी व केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड की सदस्य वाणी त्रिपाठी टिक्कू ने पुस्तक के अंश ‘विचारधारा की लड़ाई या यथार्थ की अनदेखी’ का पाठ करते हुए कहा कि वामपंथी अगर इस देश में वामपंथ नहीं कर रहे होते तो वामपंथ का भविष्य बहुत उज्ज्वल होता।

पुस्तक की कल्पना को लेकर लेखक व दैनिक जागरण के एसोसिएट एडिटर अनंत विजय ने बताया कि इस विषय को केंद्र में रखकर पुस्तक लिखने का विचार उन्हें वर्ष 2007 में आयोजित एक लिटरेचर फेस्टिवल के दौरान आया था। लगभग एक दशक के शोध के बाद लिखी गई इस पुस्तक का मकसद किसी विचारधारा को शर्मिंदा करना नहीं है। बतौर लेखक उनका लक्ष्य यही है कि पुस्तक के जरिये एक विमर्श की शुरुआत हो और हर विचारधारा के लोग आपस में मिलें, बैठें और अपने-अपने विचारधारा के बारे में चर्चा करें।


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