Move to Jagran APP

केंद्रीय मंत्री ने कहा- आतंकवाद का पॉलिटिकल लिंक जानना जरूरी, सच होता है पर्दे के पीछे

जनरल वीके सिंह ने कहा कि सीरिया में शिया-सुन्नी को लेकर जो वर्तमान द्वंद चल रहा है इसके पीछे विचार ही है।

By JP YadavEdited By: Published: Sun, 18 Mar 2018 12:26 PM (IST)Updated: Sun, 18 Mar 2018 12:26 PM (IST)
केंद्रीय मंत्री ने कहा- आतंकवाद का पॉलिटिकल लिंक जानना जरूरी, सच होता है पर्दे के पीछे
केंद्रीय मंत्री ने कहा- आतंकवाद का पॉलिटिकल लिंक जानना जरूरी, सच होता है पर्दे के पीछे

गुरुग्राम (जेएनएन)। केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ कोई लड़ाई तब तक सफल नहीं हो सकती जब तक इसके पॉलिटिकल लिंक की पहचान न हो जाए। उन्होंने कहा कि आतंकवादी संगठनों को मजबूती यूं ही नहीं मिल जाती है। परदे के पीछे से कोई न कोई सहयोग जरूर कर रहा होता है।

loksabha election banner

आतंकी संगठनों को सहयोग करने वाली कड़ी का पता लगाकर सख्ती करना जरूरी हो गया है। इसके लिए उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद शीत युद्ध का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि किसी प्रकार के हित को साधने वाले टूल के रूप में आतंकवाद का इस्तेमाल किया जाता रहा है।

जनरल वीके सिंह ने यह बातें शुक्रवार को गुरुग्राम के होटल लीला में इंडियन फाउंडेशन की ओर से आयोजित 'काउंटर टेररिज्म कांफ्रेंस 2018' के अंतिम दिन देश-विदेश के प्रतिनिधियों के समक्ष बतौर मुख्य वक्ता कही। जनरल ने अपने संबोधन के शुरुआत में यह स्पष्ट कर दिया कि यहां वह जो कुछ बोलने जा रहे हैं यह उनका व्यक्तिगत विचार है। यह भारत सरकार या उनके मंत्रालय का विचार नहीं है।

उन्होंने कहा कि शीत युद्ध के दौरान अलग-अलग क्षेत्रों में प्रभाव जमाने की एक प्रतिस्पर्धा शुरू हुई। आतंकवाद कभी धर्म तो कभी विचार के आधार पर सिर उठाता रहा है। जनरल ने कहा कि सीरिया में शिया-सुन्नी को लेकर जो वर्तमान द्वंद चल रहा है इसके पीछे विचार ही है। इससे किसे फायदा हो रहा है। आइएसआइएस और अलकायदा को भी परदे के पीछे कोई ना कोई सहयोग तो कर ही रहा है। इस कड़ी को पहचानने की जरूरत है।

जनरल ने कहा कि दुर्भाग्य से आतंकी संगठनों का नेटवर्क आतंक के खिलाफ लड़ने वालों से कहीं बेहतर है। वह एक दूसरे के संपर्क में रहते हैं। आपस में तकनीकों का लेन-देन करते हैं। इन आतंकी संगठनों द्वारा एक दूसरे से सूचनाएं तक साझा की जाती हैं।

वह अपनी विध्वंसक क्षमता को बढ़ाने का लगातार प्रयास भी करते हैं। राष्ट्रहित को पूरा करने के लिए भी आतंकवाद का सहारा लिया जाता है। ऐसे संगठनों को पीछे से सहयोग किया जाता है। हमें आतंक को मिटाने की लड़ाई को मजबूत बनाने के लिए गहराई से सोचने के साथ-साथ आपसी सहयोग को बड़े स्तर पर ले जाना होगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.