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केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने टीपीपी को उत्सर्जन मानकों के पालन लिए दिया अतिरिक्त समय

सीएसई में औद्योगिक प्रदूषण के कार्यक्रम निदेशक नविता कुमार ने कहा कि नई अधिसूचना कोयले बिजली बनाने के संयंत्रों से होने वाले प्रदूषण को रोकने के प्रयासों कमजोर करती है। भारत में प्रदूषण के लिए थर्मल पावर एक बड़ा योगदानकर्ता है।

By Mangal YadavEdited By: Published: Thu, 08 Apr 2021 04:32 PM (IST)Updated: Thu, 08 Apr 2021 04:32 PM (IST)
केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने टीपीपी को उत्सर्जन मानकों के पालन लिए दिया अतिरिक्त समय
दिल्ली में छह टीपीपी को 2024-2025 तक प्रदूषण फैलाने की इजाजत मिल गई है।

नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। सेंटर फार साइंस एंड एन्वायरनमेंट (सीएसई) ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की तरफ से थर्मल पावर प्लांटों (टीपीपी) के लिए नए उत्सर्जन मानदंडों का पालन करने की दिशा में समय सीमा बढ़ाने की निंदा की है। सीएसई के मुताबिक मंत्रालय का यह फैसला एक तरह से अनिश्चितकाल तक प्रदूषण फैलाने का लाइसेंस देने जैसा है। सीएसई के मुताबिक टीपीपी से प्रदूषण को सीमित करने की घोषणा 2015 में की गई थी और 2017 तक इसे अपनाने की उम्मीद थी। इसके विपरीत बार-बार समय सीमा बढ़ाई जा रही है।

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मंत्रालय की तरफ से एक अप्रैल को आधिकारिक अधिसूचना जारी कर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के 10 किमी के भीतर और 2022 के अंत तक नए उत्सर्जन मानदंडों का पालन करने के लिए 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में टीपीपी की अनुमति देने की अनुमति दी है। इन शहरों में टीपीपी इकाइयां को 31 दिसंबर, 2023 तक उत्सर्जन मानदंडों को पूरा करना आवश्यक होगा।

बाकी क्षेत्रों में कोयला आधारित बिजली संयंत्रों को 31 दिसंबर, 2024 तक नए मानकों का पालन करना होगा।सीएसई की महानिदेशक सुनीता नारायण ने कहा कि यह गलत है। उत्सर्जन मानकों के अनुपालन की समय-सीमा बढ़ाना प्रदूषणकर्ताओं को प्रदूषण का लाइसेंस देता है। उन्होंने कहा कि इस अधिसूचना के मुताबिक दिल्ली में छह टीपीपी को 2024-2025 तक प्रदूषण फैलाने की इजाजत मिल गई है।

वहीं, सीएसई में औद्योगिक प्रदूषण के कार्यक्रम निदेशक नविता कुमार ने कहा कि नई अधिसूचना कोयले बिजली बनाने के संयंत्रों से होने वाले प्रदूषण को रोकने के प्रयासों कमजोर करती है। भारत में प्रदूषण के लिए थर्मल पावर एक बड़ा योगदानकर्ता है। यह अधिसूचना इस क्षेत्र में बेहतरी के लिए किए जा रहे सभी प्रयासों को शून्य कर देती है।

ऊर्जा मंत्रालय की सिफारिश पर जारी हुई अधिसूचना

ऊर्जा मंत्रालय ने पिछले साल पर्यावरण मंत्रालय से अनुरोध किया था कि कोरोना महामारी और आयात प्रतिबंध सहित विभिन्न कारणों से देरी का हवाला देते हुए 2022 से 2024 तक सभी तापीय संयंत्रों के लिए उत्सर्जन मानदंडों को पूरा करने के लिए समय-सीमा का विस्तार करने की सिफारिश की थी।


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