शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक बोले- नई शिक्षा नीति के जरिये भारत फिर से बनेगा विश्व गुरु
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वेदों व संस्कृति को शिक्षा का आधार बनाकर चरित्र पर जोर दिया जाएगा। किसी कारणवश यदि कोई डिग्री कोर्स की पढ़ाई अधूरी छोड़ देता हैं तो उनकी सुविधा के लिए एकेडमिक आडिट बैंक बनाया जाएगा।
नई दिल्ली/नोएडा, जागरण संवाददाता। आज भारत के अलावा विदेशों में भी लोग भारतीय परंपराओं से जुड़ना चाहते हैं। हम एनआइओएस को देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी लेकर जाएंगे। जल्द ही विदेशों में प्रवासियों के लिए हिंदी कोर्स की शुरुआत की जाएगी। वहीं, मदरसा शिक्षा को एनआइओएस में विषय के रूप में मान्यता दी जाएगी, ताकि मदरसों में पढ़ रहे छात्र भी शैक्षणिक सांस्कृतिक रूप से समृद्ध बनकर देश के विकास में योगदान दे सकें। नई शिक्षा नीति के जरिये भारत फिरर से विश्व गुरु बनेगा और दुनिया में शिखर पर पहुंचेगा। नई प्रतिभाएं खोजी जाएंगी, ताकि लोकल फॉर वोकल को लोकल फॉर ग्लोबल बनाया जा सके। यह बातें मंगलवार को सेक्टर-62 स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग (एनआइओएस) में आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कही। इस दौरान उन्होंने भारतीय ज्ञान परंपरा पाठ्यक्रमों के अध्ययन सामग्री का विमोचन भी किया।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि नई शिक्षा नीति-2020 शिक्षार्थी के अंतर्मन में भारतीयता के प्रति गौरव की भावना के निर्माण के साथ साथ हमारे प्राचीन ज्ञान, कौशल और मूल्यों की स्थापना पर बल देती है। एनआइओएस द्वारा निर्मित भारतीय ज्ञान परंपरा का पाठ्यक्रम शिक्षा नीति की इसी भावना का परिपालन करता है। मोदी सरकार के सौ दिन पूरे होने पर हमने शिक्षा को भारतीय ज्ञान परंपरा से जोड़ने की बात कही थी। आज एनआइओएस लक्ष्य की ओर बढ़ चुका है। नई शिक्षा नीति का उद्देश्य मशीन नहीं बल्कि एक अच्छा मानव निर्मित करना है, जो केवल नौकरी के पीछे न भागे, बल्कि दूसरों को रोजगार दें।
छात्रों की सुविधा को बनेगा एकेडमिक ऑडिट बैंक
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वेदों व संस्कृति को शिक्षा का आधार बनाकर चरित्र पर जोर दिया जाएगा। किसी कारणवश यदि कोई डिग्री कोर्स की पढ़ाई अधूरी छोड़ देता हैं तो उनकी सुविधा के लिए एकेडमिक आडिट बैंक बनाया जाएगा। वहीं, रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए नेशनल रिसर्च फाउंडेशन का गठन कर रहे हैं। कार्यक्रम में एनआइओएस चेयरपर्सन प्रो. सरोज शर्मा ने कहा कि अब संस्कृति आधारित विभिन्न कोर्स का विस्तार होगा। भारतीय ज्ञान परंपरा के सभी विषयों की पहुंच अधिक से अधिक शिक्षार्थियों तक हो, इसके लिए सभी विषयों का अनुवाद मार्च 2021 तक हिंदी भाषा और अप्रैल 2021 तक अंग्रेजी भाषा में किया जाएगा।