ग्रेनो हादसा: जिंदगी भर का जख्म दे गया हादसा, दुआ के साथ अपनों को तलाश रही हैं आंखें
शिव कुमार परिवार के साथ शुक्रवार को मैनपुरी लौटने वाले थे। मंगलवार रात को यह हादसा हो गया। राम कुमार ने बताया कि मलवे से गृह प्रवेश पर दी गई ज्वैलरी, नगदी व कुछ कपड़े मिले हैं।
नोएडा [रणजीत मिश्रा]। ग्रेटर नोएडा वेस्ट के शाहबेरी गांव में मंगलवार रात भरभरा कर गिरी छह मंजिला दो इमारतों के मलबे में दबे लोगों के परिजन बुधवार को दिन भर उन्हें तलाशते रहे। राहत व बचाव कार्य की धीमी गति के कारण उनकी आंखें पथरा गईं। मलबे में मैनपुरी के उदैतपुर अभई गांव के रहने वाले शिव कुमार त्रिवेदी, उनकी मां, भाभी व एक साल की भतीजी भी दब गई।
शिव कुमार त्रिवेदी इजीकेयर पेस्ट एंड कंट्रोल कंपनी में प्रबंधक हैं। शिव अच्छी नौकरी के लिए विदेश जाना चाहते हैं। पिता व चाचा से अपनी इच्छा कई बार जाहिर कर चुके हैं। टीवी चैनल व सोशल मीडिया पर इमारत गिरने की सूचना जैसे ही प्रसारित हुई। नोएडा के सेक्टर 121 में रहने वाली उनकी बहन नेहा हतप्रभ रह गईं। उन्होंने पिता सुरेंद्र व चाचा नरेंद्र को मैनपुरी में हादसे की सूचना दी।
हाल ही में खरीदा था फ्लैट
बुधवार करीब एक बजे सुरेंद्र व उनका बड़ा बेटा राम कुमार त्रिवेदी परिवार के सदस्यों की तलाश में मौके पर पहुंचे। देर शाम तक उनकी तलाश जारी थी। राम कुमार त्रिवेदी ने बताया कि शिव कुमार ने दो बैडरूम का फ्लैट खरीदा था। अप्रैल में इसकी रजिस्ट्री कराई थी। 14 जुलाई को उन्होंने गृह प्रवेश किया था। गृह प्रवेश में ही उनकी मां राजकुमारी (50), पत्नी प्रियंका (28) व एक साल की बेटी पंखुड़ी आई थी। बीते 28 जून को ही उन्होंने मैनपुरी में परिवार के साथ पंखुड़ी का पहला जन्म दिन मनाया था।
जिंदगी भर का जख्म दे गया हादसा
शिव कुमार परिवार के साथ शुक्रवार को मैनपुरी लौटने वाले थे। मंगलवार रात को यह हादसा हो गया। राम कुमार ने बताया कि मलवे से गृह प्रवेश पर दी गई ज्वैलरी, नगदी व कुछ कपड़े मिले हैं। भाई को तलाशने पहुंचे फैजाबाद निवासी अकरम के लिए हादसा जिंदगी भर का जख्म दे गया। बचाव कर्मियों ने मलवे से उनके भाई शमशाद का शव बरामद किया। उनके परिवार के दो सदस्य अभी भी लापता हैं, मलबे में उनकी तलाश जारी है।
नेहा ने किया था मना
शिव कुमार त्रिवेदी इससे पहले परिवार के साथ न्यू अशोक नगर में रहते थे। इमारत में कम परिवार होने के कारण उन्होंने शिव कुमार को यहां शिफ्ट करने से रोका था। शिव कुमार जल्द से जल्द अपने मकान में शिफ्ट होना चाहते थे। इसलिए बहन की इच्छा न होने के बावजूद उन्होंने 14 जुलाई को परिवार के साथ फ्लैट में गृह प्रवेश किया था।