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Unauthorised colonies in Delhi: कॉलोनियों में मालिकाना हक पाने के लिए पंजीकरण शुरू

डीए द्वारा बनाए गए पैनल में शामिल जीआइएस एजेंसियों के माध्यम से 70000 निवासियों ने अपनी संपत्तियों की जीआइएस मैपिंग भी करवा ली है।

By JP YadavEdited By: Published: Sat, 09 May 2020 11:09 AM (IST)Updated: Sat, 09 May 2020 11:09 AM (IST)
Unauthorised colonies in Delhi:  कॉलोनियों में मालिकाना हक पाने के लिए पंजीकरण शुरू
Unauthorised colonies in Delhi: कॉलोनियों में मालिकाना हक पाने के लिए पंजीकरण शुरू

नई दिल्ली, जागरण संंवाददाता। Unauthorised colonies in Delhi: दिल्ली में चल रहे  लॉकडाउन की वजह से अनधिकृत कॉलोनियों में मालिकाना हक देने का जो काम बीच में ही रुक गया था, दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने अब उसे नए सिरे से शुरू कर दिया है। पीएम उदय योजना के तहत दिल्ली में 2.75 लाख लोगों ने पंजीकरण करा लिया है।

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शुक्रवार को डीडीए ने दिल्लीवासियों से अपील की है कि जिन लोगों ने अभी तक प्रधानमंत्री उदय पोर्टल पर पंजीकरण नहीं कराया है, वे अपना पंजीकरण करवा लें। जानकारी के मुताबिक, डीडीए द्वारा बनाए गए पैनल में शामिल जीआइएस एजेंसियों के माध्यम से 70,000 निवासियों ने अपनी संपत्तियों की जीआइएस मैपिंग भी करवा ली है। 65 हजार लोगों को आइडी भी मिल चुकी है।

डीडीए अधिकारियों ने बताया कि लॉकडाउन अवधि के दौरान सेवाओं को जारी रखने के लिए, आवेदनों की पूर्ण जांच की जाएगी। यदि कोई कमी पाई जाती है तो ऑनलाइन डेफिसिएंसी मेमो (डीएम) जारी किया जाएगा। ऑनलाइन डेफिसिएंसी मेमो प्राप्त करने वाले आवेदकों को सलाह दी जाती है कि वे अपने उत्तर ऑनलाइन ही प्रस्तुत करें। वे अपने आवेदनों को ऑनलाइन ही सही भी कर सकते हैं।

डीडीए की ओर से बनाए गए प्रोसेसिंग सेंटर (द्वारका, पीतमपुरा, हौजखास और लक्ष्मी नगर) लॉकडाउन अवधि के दौरान सक्रिय रूप से कार्य कर रहे हैं। अधिकारियों ने बताया कि कोविड-19 कंटेनमेंट (सील)जोन को छोड़कर शीघ्र ही सर्वेक्षणकर्ताओं के माध्यम से संपत्तियों के निरीक्षण का कार्य फिर से शुरू किया जा रहा है।

सर्वेक्षणकर्ताओं को सलाह दी गई है कि वे शरीरिक दूरी के मानकों का सख्ती से पालन करें और सभी सावधानी बरतें। प्रोसेसिंग सेंटर्स के अधिकारियों को भी कोरोना के मद्देनजर सभी एहतियाती बरतने की सलाह दी गई है। प्रत्येक सेंटर पर उपलब्ध स्थान और सुविधाओं के अनुसार आगंतुकों की संख्या निर्धारित की जाएगी ताकि शारीरिक दूरी के मानकों का कड़ाई से पालन किया जा सके।


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