नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अधिवक्ता के माध्यम से सोमवार को दिल्ली हाई कोर्ट में जवाब दाखिल करके कहा कि वह पार्टी के अध्यक्ष हैं और पिछले 30 वर्षों से इस पार्टी को चला रहे हैं, लेकिन भारतीय निर्वाचन आयोग (ईसीआइ) के आदेश के कारण वह अपने पिता के नाम और चिह्न का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं।

आदेश के कारण रुक गई पार्टी की राजनीतिक गतिविधियां 

ईसीआइ के आदेश को अवैध बताते हुए ठाकरे की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता ने कहा कि इस आदेश के कारण पार्टी की राजनीतिक गतिविधियां रुक गई हैं। अधिवक्ता ने कहा कि प्रथम दृष्टया मामला बनने को लेकर संतुष्ट होने तक ईसीआइ चुनाव चिह्न को फ्रीज नहीं कर सकता।

ईसीआइ के आठ अक्टूबर के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर ठाकरे पक्ष ने न्यायमूर्ति संजीव नरूला की पीठ के समक्ष दलील दी। आठ अक्टूबर को ईसीआइ ने ठाकरे व महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के दोनों धड़ों को आधिकारिक मान्यता पर अंतिम निर्णय आने तक शिवसेना नाम या प्रतीक धनुष और तीर का उपयोग नहीं करने का निर्देश दिया गया था।

मामले में मंगलवार को होगी सुनवाई

हाल ही में हुए अंधेरी ईस्ट उपचुनाव के लिए दोनों पार्टी गुटों को अलग-अलग सिंबल आवंटित किए गए थे। ठाकरे के अधिवक्ता ने कहा कि ईसीआइ चुनाव चिह्न (आरक्षण और आवंटन) आदेश के मापदंडों को संतुष्ट किए बिना आदेश पारित नहीं कर सकता था। इस पर अदालत ने मामले की सुनवाई मंगलवार के लिए सूचीबद्ध करते हुए दोनों पक्षों को संक्षिप्त लिखित जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।

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Edited By: Abhishek Tiwari