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Delhi Riots: सांप्रदायिक आधार पर आरोपपत्र से दिल्ली पुलिस का यू-टर्न, अब एक साथ होगी सुनवाई

Delhi Riots 10 जनवरी 2022 को इस मामले की सुनवाई के दौरान जांच अधिकारी विकास राणा ने कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल कर आग्रह किया था कि पहले से दायर आरोपपत्र को केवल हिंदू समुदाय के आरोपितों के खिलाफ सुनवाई की जाए।

By Ashish GuptaEdited By: Pradeep Kumar ChauhanPublished: Thu, 20 Oct 2022 09:13 PM (IST)Updated: Thu, 20 Oct 2022 09:13 PM (IST)
Delhi Riots: सांप्रदायिक आधार पर आरोपपत्र से दिल्ली पुलिस का यू-टर्न, अब एक साथ होगी सुनवाई
Delhi Riots: 25 फरवरी 2020 को दंगाइयों ने आटो चालक बब्बू की पीट-पीट कर हत्या कर दी गई थी।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। Delhi Riots: दिल्ली दंगे के दौरान खजूरी खास में आटो चालक की हत्या के मामले में हिंदू-मुस्लिम आरोपितों के खिलाफ पुराने आरोपपत्र के आधार पर एकसाथ सुनवाई चलेगी। दिल्ली पुलिस ने पूर्व में सांप्रदायिक आधार पर आरोपपत्र अलग-अलग करने के निर्णय से यू-टर्न ले लिया है। पुलिस के आग्रह पर अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचल के कोर्ट ने पुराने आरोपपत्र पर सुनवाई आगे बढ़ाने की स्वीकृति प्रदान करते हुए सभी मुस्लिम आरोपितों को अगली सुनवाई पर पेश होने के लिए समन जारी कर दिया, जिन्हें जनवरी 2022 में पेश होने से मना कर दिया था।

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17 आरोपितों के खिलाफ आरोपपत्र दायर

खजूरी चौक के पास 25 फरवरी 2020 को दंगाइयों ने आटो चालक बब्बू की पीट-पीट कर हत्या कर दी गई थी। इस मामले में पुलिस ने 17 आरोपितों के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया था। इसमें कुलदीप सिंह, हरजीत सिंह उर्फ हैप्पी, संदीप उर्फ संजीव, राहुल उर्फ अजय, भारत भूषण, आदिल, फरमान, इसरार, इकबाल, जुबैर, मारूफ, रिजवान, शमीम उर्फ लाला उर्फ आरिफ, शाहबुद्दीन, तैय्यब, इमरान और बब्बू को आरोपित बनाया गया था।

हिंदू आरोपितों की सूची अलग दायर करने का आदेश

10 जनवरी 2022 को इस मामले की सुनवाई के दौरान जांच अधिकारी विकास राणा ने कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल कर आग्रह किया था कि पहले से दायर आरोपपत्र को केवल हिंदू समुदाय के आरोपितों के खिलाफ सुनवाई की जाए। साथ ही बताया था कि मुस्लिम समुदाय के आरोपितों के लिए अलग से आरोपपत्र दायर किया जाएगा। इस पर कोर्ट ने आदेश जारी करते हुए अपने स्टाफ से कहा था कि हिंदू आरोपितों की सूची अलग की जाए।

मुस्लिम आरोपितों से कहा था कि उन्हें पेश होने की जरूरत नहीं है। उस वक्त सुनवाई कर रहे न्यायाधीश का बाद में स्थानांतरण दूसरे कोर्ट में हो गया। गत 17 अगस्त को इस मामले की सुनवाई अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचल के कोर्ट में हुई, तब अभियोजन पक्ष से सवाल किया गया था कि एक घटना को लेकर दो सम्प्रदाय के आरोपितों के खिलाफ किस कानूनी प्रविधान के तहत और क्यों दो आरोपपत्र प्रस्तावित कर परीक्षण अलग कराने का प्रयास किया गया।

पुलिस ने अपने पूर्व के निर्णय से लिया यू-टर्न

इस पर अभियोजन ने अपना अंतिम रुख स्पष्ट करने के लिए समय मांगा था। बुधवार को इस मामले में पुलिस ने कोर्ट के इस सवाल पर अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा कि वह पुराने आरोपपत्र के आधार पर ही हिंदू व मुस्लिम आरोपितों के खिलाफ सुनवाई आगे बढ़ाना चाहते हैं। कोर्ट ने इस पर कहा कि पुलिस ने अपने पूर्व के निर्णय से यू-टर्न लिया है। उनका आग्रह स्वीकार कर पुराने आरोपपत्र के अनुसार ही सुनवाई जारी रखी जाएगी।


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