Delhi Riots: घर जलाने के मामले में पीड़ित ने पुलिस के दावे को झुठलाया, कोर्ट से दो आरोपित बरी
Delhi Riots पुलिस दावा करती रही कि घर जलाने वाले दंगाइयों में शामिल दो आरोपितों को पीड़ित ने पहचाना है जबकि गवाही में पीड़ित ने इस दावे को खारिज करते हुए कोर्ट में बयान दिया कि वह आग लगाने वाले दंगाइयों को नहीं जानते।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। उत्तर पूर्वी दिल्ली में दंगे के दौरान घर जलाने के मामले में चश्मदीद गवाह के रूप में पेश किए गए पीड़ित ने पुलिस के दावे को झुठला दिया। पुलिस दावा करती रही कि घर जलाने वाले दंगाइयों में शामिल दो आरोपितों को पीड़ित ने पहचाना है, जबकि गवाही में पीड़ित ने इस दावे को खारिज करते हुए कोर्ट में बयान दिया कि वह आग लगाने वाले दंगाइयों को नहीं जानते। जब आग लगाई गई, वह घर में नहीं थे।
दंगाईयों ने जलाया था खुर्शीद आलम का घर
इसी आधार पर अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने इस केस में आरोपित बनाए गए योगेंद्र सिंह और सूरज को सभी आरोपों से बरी कर दिया। निर्णय सुनाते हुए कोर्ट ने पुलिसकर्मी की ओर से घटना की मौखिक शिकायत न करने की बात पर उसकी गवाही पर संदेह जताया।ज्योति नगर थाना क्षेत्र के अशोक नगर में दंगाइयों ने 25 फरवरी 2020 को खुर्शीद आलम के घर को जला दिया था।
पुलिस ने दंगा व आगजनी समेत कई आरोपों में प्राथमिकी दर्ज की
आग लगाने से पहले दंगाइयों ने उनके घर से नकदी, गहने व घरेलू सामान चोरी किया था। इस क्षेत्र में मस्जिद परिसर में बनीं दुकानों में भी तोड़फोड़ की गई थी। इस मामले में पीड़ित खुर्शीद आलम की शिकायत पर पुलिस ने दंगा व आगजनी समेत कई आरोपों में प्राथमिकी की थी। जांच के दौरान पुलिस ने इस केस में अशोक नगर में ही रहने वाले टेलर योगेंद्र सिंह और सूरज को आरोपित बनाया। इन दोनों के खिलाफ ही आरोपपत्र दायर किया गया। उसमें पीड़ित खुर्शीद आलम और कांस्टेबल प्रमोद चश्मदीद गवाह के तौर पर दोनों के बयान शामिल किए गए।
पुलिस कंट्रोल रूम को काल कर मांगी मदद
पुलिस ने दावा किया कि पीड़ित ने इन दोनों आरोपितों को दंगाई के रूप में पहचाना है। पिछले नवंबर में आरोप तय होते वक्त दोनों आरोपितों ने खुद को बेकसूर बताते हुए मामले के परीक्षण की मांग की थी।गवाही का दौर शुरू हुआ तो पीड़ित ने कोर्ट में बयान दिया कि 25 फरवरी 2020 को दोपहर 12:30 बजे दंगाई आए और मस्जिद परिसर को नुकसान पहुंचाया। मैंने और मेरे बेटे दानिश ने पुलिस कंट्रोल रूम पर काल कर मदद मांगी थी। इस पर पुलिस टीम आई। उन्हें देखकर दंगाई भाग गए थे।
दंगाई की नहीं हो सकी थी पहचान
पुलिस अधिकारी मेरे परिवार को घर से निकाल कर सुरक्षित स्थान पर ले गए थे। मेरी अनुपस्थिति में घर में आग लगा दी गई। मैंने किसी दंगाई को नहीं पहचाना। दूसरे चश्मदीद कांस्टेबल प्रमोद की गवाही के दौरान कोर्ट ने पाया कि उसने घटना के संबंध में कोई डीडी एंट्री नहीं की थी और न ही थाने में मौखिक शिकायत की।
दो आरोपितों को कोर्ट ने किया बरी
चार गवाहों की खुद अभियोजन पक्ष ने गवाही नहीं कराई, उन्हें सूची से हटा दिया। इसे देखते हुए कोर्ट ने गवाही के बीच मामले का निपटारा करते हुए दोनों आरोपितों को बरी कर दिया। ये दोनों आरोपित इससे पहले भी दंगे के दो मामलों में बरी हो चुके हैं। अब इनके खिलाफ सात मामले कोर्ट में विचाराधीन हैं।