पीएम नरेंद्र मोदी बोले, मन पर हमेशा रहेगा जेटली के अंतिम दर्शन नहीं करने का बोझ
विदेश यात्रा के कारण अरुण जेटली की अंत्येष्टि में भाग नहीं ले सके प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कैबिनेट में उनकी कमी हमेशा खलती रहेगी।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने पूर्व वित्तमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली को श्रद्धाजंलि दी। अपनी भावपूर्ण श्रद्धांजलि में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इतने लंबे कालखंड तक अभिन्न मित्र रहने वाले जेटली का अंतिम दर्शन नहीं कर पाने का बोझ उनके मन पर हमेशा बना रहेगा। वहीं जीवन के कठिन समय में जेटली के चट्टान की तरह साथ खड़े होने का जिक्र करते हुए अमित शाह ने कहा कि उनके विपरीत परिस्थितियों से बाहर निकलने में जेटली का अभिन्न योगदान था। जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में भाजपा और उसके सहयोगी दलों के साथ विपक्षी दलों के नेताओं ने जेटली को याद किया।
जेटली की कमी को शब्दों में नहीं बता सकता
विदेश यात्रा के कारण अरुण जेटली की अंत्येष्टि में भाग नहीं ले सके प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कैबिनेट में उनकी कमी हमेशा खलती रहेगी। उन्होंने बताया कि जेटली की कितनी बड़ी कमी उन्हें महसूस होती है, उसे वे शब्दों में नहीं बता सकते हैं। उन्होंने कहा कि छात्र राजनीति की नर्सरी में पैदा हुए एक पौधे का हिंदुस्तान की राजनीति के विशाल फलक में एक वट वृक्ष बनकर उभरना अपने आप में बहुत बड़ी बात है। अरुण जेटली के जीवन को विविधताओं से भरा हुआ बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें दुनिया के हर चीज की जानकारी थी।
संसदीय कार्यप्रणाली के इनसाइक्लोपीडिया थे जेटली
सरकार के अहम फैसलों में जेटली के योगदान को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने उन्हें संसदीय कार्यप्रणाली की इनसाइक्लोपीडिया बताया। प्रधानमंत्री ने कहा कि वे सर्वमित्र थे, वे सर्वप्रिय थे और वे अपनी प्रतिभा, पुरुषार्थ के कारण जिसको जहां भी उपयोगी हो सकते थे, वे हमेशा उपयोगी होते थे। प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने सोचा नहीं था कि कभी ऐसा भी दिन आएगा कि उन्हें अपने दोस्त को श्रद्धांजलि देने के लिए आना पड़ेगा।
बड़े भाई के समान चट्टान की तरह साथ खड़े रहे: शाह
विचारधारा के प्रति अरुण जेटली के लगाव का उदाहरण देते हुए अमित शाह ने बताया कि किस तरह संसद से धारा 370 के निरस्त होने के बाद वे पीएमओ पहुंचे थे। वहां प्रधानमंत्री पहले से ही जेटली से बात कर रहे थे। उस दिन हुई बातचीत का हवाला देते हुए शाह ने बताया कि बातचीत के दौरान यह अहसास ही नहीं हुआ कि वे बीमार हैं। शाह ने बताया कि किस तरह जेटली उनके जीवन के कठिन समय में एक बड़े भाई के समान चट्टान की तरह साथ खड़े रहे। उन्होंने बताया कि जेटली ने कभी उन्हें दिल्ली में गुजरात की कमी महसूस नहीं होने दी। उन्होंने बताया कि सार्वजनिक जीवन में पार्टी लाइन से बाहर जाकर ढेर सारे लोगों से दोस्ती रखना उनकी विशेषता थी।
पहली ही मुलाकात में जेटली का कायल हुआ : राजनाथ सिंह
इस अवसर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने 1980 के दशक से अरुण जेटली के साथ संबंधों को याद करते हुए कहा कि जो भी उनसे मिलता था, स्वाभाविक रूप से उनका कायल हो जाता था। यही उनके साथ भी हुआ और पहली मुलाकात में ही वे जेटली की योग्यता और कार्यक्षमता का कायल हो गए थे। उन्होंने बताया कि किस तरह वाजपेयी सरकार ने वाणिज्य मंत्री के रूप में अरुण जेटली ने विश्व व्यापार संगठन में भारत के किसानों के मुद्दे को पुरजोर पैरवी की थी।
इस अवसर पर टीएमसी के दिनेश त्रिवेदी, बसपा के सतीश मिश्रा, सपा के रामगोपाल वर्मा, भाकपा के डी. राजा, रांकपा के शरद पवार, कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी, बीजेडी के पिनाकी मिश्रा, लोजपा के रामविलास पासवान, अकाली दल के सुखबीर बादल और जदयू के राजीव रंजन ललन सिंह ने भी जेटली को श्रद्धांजलि दी।