AIIMS में कीमो और रेडिएशन के बाद अब इस थेरेपी से भी हो रहा कैंसर का इलाज
एम्स में अब इम्यूनोथेरपी से भी कैंसर का इलाज हो रहा है। डॉक्टर कहते हैं कि सॉफ्ट टिश्यू सारकोमा से जुड़े कुछ खास तरह के कैंसर के इलाज में यह थेरेपी कारगर है।
नई दिल्ली, जेएनएन। कीमो और रेडिएशन थेरेपी के बाद एम्स में अब इम्यूनोथेरपी से भी कैंसर का इलाज हो रहा है। डॉक्टर कहते हैं कि सॉफ्ट टिश्यू सारकोमा से जुड़े कुछ खास तरह के कैंसर के इलाज में यह थेरेपी कारगर है। एम्स कैंसर सेंटर में इस थेरेपी से अब तक करीब 15 मरीजों का इलाज हो चुका है।
कीमोथेरेपी की तरह इसका शरीर पर दुष्प्रभाव भी नहीं पड़ता। अमेरिका सहित कई देशों में इम्यूनोथेरेपी पर काफी शोध चल रहा है। इसलिए डॉक्टर आशान्वित हैं कि आने वाले समय में इस थेरेपी के इस्तेमाल से कैंसर के इलाज का तरीका बदल जाएगा। हालांकि मौजूदा समय में कुछ चुनिंदा कैंसर के इलाज में ही इसका इस्तेमाल हो रहा है।
एम्स के मेडिकल आंकोलॉजी के विशेषज्ञ डॉ. समीर रस्तोगी ने कहा कि एएसपीएस सरकोमा, टियर-सेल व एंजियो सारकोमा में इम्यूनोथेरेपी फायदेमंद है। उन्होंने कहा कि यह सामान्य सी दवा होती है जो मरीज को ग्लूकोज में मिलाकर दी जाती है। यह मरीज के शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने व कैंसर सेल को नष्ट करने में मदद करती है। इसका शरीर पर दुष्प्रभाव नहीं पड़ता। इसलिए दवा देने से मरीज के बाल नहीं झड़ते व मुंह में छाले नहीं पड़ते। जबकि कीमो में बाल झड़ने व मुंह में छाले पड़ने की परेशानियां होती हैं।
हालांकि, शरीर की इम्यून सिस्टम ज्यादा बढ़ जाए तो यह अंगों के लिए हानिकारक हो सकता है। इससे थायराइड व पेट की बीमारी हो सकती है। डॉक्टर कहते हैं कि इम्यूनोथेरेपी का इस्तेमाल ‘इम्यून चेक प्वाइंट इनहिबिटर’ दवा के रूप में होता है। असल में शरीर में कुछ ऐसे सेल होते हैं, जो कैंसर को बढ़ाते हैं, जबकि शरीर में ही कुछ ऐसे इनहिबिटर (प्रोटीन) भी होते हैं, जो कैंसर सेल को बढ़ने से रोकते हैं। शरीर के ऐसे ही इनहिबिटर से इम्यूनोथेरेपी की दवा विकसित कर इलाज में इस्तेमाल हो रहा है।
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