दिल्ली में होगा ‘ट्रांसजेंडर कवि सम्मेलन’, जानिये- क्या है इसका मकसद
महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के मौके पर समारोह में ‘भारतीय साहित्य में गांधी’ विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी भी आगंतुकों को गांधी के विचारों से अवगत होने का मौका देगी।
नई दिल्ली [हंसराज]। समृद्ध साहित्य की पांच दिवसीय धरोहर सजने को तैयार है। जहां पग-पग पर साहित्य की खुशबू होगी। एक नए साहित्य का सृजन करेगी। जिसका हमारी सभ्यता व संस्कृति से अन्योन्याश्रय संबंध रहा है। कविता...कहानियां...उपन्यास...संस्मरण...आत्मकथा... रिपोतार्ज...गोष्ठी और सम्मेलनों की एक माला सी गुथी है। जिसके फूल भले पुराने से लगते हैं, पर खुशबू उनकी आज भी ताजी है। ज्ञान और अनुभवों के इन मोतियों से सजे साहित्योत्सव में युवाओं के लिए साहित्य के संस्कार होंगे तो साहित्य जगत के लिए इस उत्सव के कई मायने होंगे। वक्त की मुतालबा भी है ऐसे उत्सवों से साहित्य की जमीं ऊर्जावान हो...पल्लवित हो...।
साहित्य की जमीं पर बीते वर्ष कितने बीज अंकुरित है... कितनी फलित हुई, ऊर्जावान हुई, कितनी समृद्ध हुई यह सब तस्वीरें बयां करेंगी। हर झलक खास होगी। इस प्रदर्शनी में विविध कार्यक्रमों में किस साहित्यकार को सम्मान से नवाजा गया, उस कार्यक्रम से जुड़ी उनकी दिलचस्प यादें और कहानियां देख-जान सकेंगे। अकादमी द्वारा देश के 20 से ज्यादा शहरों में आयोजित साहित्यिक कार्यक्रम ‘ग्रामलोक’ की झलकियां भी अपने-आप में अद्भुत होंगी।
ग्रामलोक कड़ी में अकादमी द्वारा हिंदी, हरियाणवी, भोजपुरी, मैथिली, संथाली, बंगाली और मणिपुरी समेत 24 भाषाओं में कार्यक्रमों के आयोजन की तस्वीरें भाषा को समृद्ध करने में अकादमी की भूमिका बयां करेंगी, जो लोक सिनेमा के दीवाने हैं, लेकिन जून 2018 में दिल्ली में आयोजित ‘डॉक्यूमेंट्री फिल्म फेस्टिवल’ में नहीं पहुंचा पाए वे तस्वीरों के माध्यम से उसे महसूस कर सकेंगे। साहित्य अकादमी पुरस्कार 2018 के सभी विजेताओं को प्रदर्शनी में तस्वीरों और उनकी प्रसिद्ध पंक्तियों के माध्यम से जानना भी आगंतुकों के लिए खास अनुभव रहेगा।
दस सत्रों में गांधी
महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के मौके पर समारोह में ‘भारतीय साहित्य में गांधी’ विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी भी आगंतुकों को गांधी के विचारों से अवगत होने का मौका देगी। दस सत्रों में आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम में गांधी के अनेक रूप को जान-समझ सकेंगे। 21वीं सदी में गांधीवादी मूल्य की क्या अहमियत है, दलित आंदोलन में गांधी की क्या भूमिका रही, साहित्य जगत पर गांधी के विचारों ने क्या और कैसा प्रभाव डाला इससे तो रूबरू होंगे ही साथ ही यह भी जान सकेंगे कि अमेरिकी लेखक गांधी को किस नजरिये से देखते हैं। विश्व की आत्मकथाओं में गांधी कहां हैं और फिल्मों व नाटकों में गांधी के चरित्र का किस तरह वर्णन किया गया है। इन तमाम विषयों पर शिक्षाविद् अपनी बात रखेंगे।
सांस्कृतिक कार्यक्रमों की सजेगी महफिल
साहित्योत्सव पर रवींद्र भवन का पूरा परिसर उत्सव के रंग में रंगा नजर आएगा। मेघदूत का कलात्मक परिवेश जहां नृत्य, संगीत समेत सांस्कृतिक गतिविधियों की मेजबानी करेगा, वहीं देशभर के साहित्यकारों की उपस्थिति वातावरण को जीवंत बनाएगी। प्रख्यात लेखक व शिक्षाविद् मृणाल मिरी के हाथों पुस्तक प्रदर्शनी व तस्वीर प्रदर्शनी से समारोह का आगाज होगा।
पहला दिन : 28 जनवरी
साहित्य कुंभ के पहले संगम में आयोजन तो कई होंगे इनमें बेहद खास ‘अखिल भारतीय आदिवासी लेखिका सम्मिलन’ रहेगा। दोपहर साढ़े तीन बजे से आयोजित होने वाले कार्यक्रम में प्रख्यात लेखिका रमणिका गुप्ता और प्रख्यात बांग्ला लेखिका अनीता अग्निहोत्री के सानिध्य में मंजुला चौहानन, सिंधु सी, सीना थानचांगड, कविता कुसुगल सहित लेखिका रचना पाठ करेंगी।
दूसरा दिन
29 जनवरी संगम के दूसरे दिन भी साहित्योत्सव में खूब रंग जमेंगे, आखिर इस दिन कवि सम्मेलन भी होने वाला है जिसमें सुषमा कुमारी असुर, रश्मि चौधुरी, के अंजली बेलागल, अनुराधा मुंडू, शकुंतला बेसरा और नागरेखा गांवकर काव्य पाठ करेंगी।
तीसरा दिन
30 जनवरी साहित्यकारों से जगमग उत्सव के तीसरे दिन ‘पूर्वोत्तरी- उत्तर पूर्व और उत्तरी लेखक सम्मिलन’ होगा, जिसके उद्घाटन सत्र में प्रख्यात हिंदी कवि विश्वनाथ प्रसाद तिवारी और असमिया लेखक ध्रुव ज्योति बोरा भी मौजूद रहेंगे। इसी दिन दोपहर में ‘भाषांतर : अनुवाद की चुनौतियां एवं समाधान’ विषय पर परिचर्चा भी खास रहेगी। जिसमें प्रख्यात कन्नड़ अनुवादिका आशा देवी अपना वकतव्य देंगी।
चौथा दिन
31 जनवरी चौथे दिन आप ‘आमने-सामने’ आयोजन में साहित्य अकादमी पुरस्कार 2018 से पुरस्कृत प्रतिष्ठित साहित्यकारों से बातचीत कर सकेंगे। इसी दिन एक और खास आयोजन ‘युवा सहिती : नई फसल’ भी होगा।
पांचवां दिन
1 फरवरी पांचवें दिन महात्मा गांधी की 150 वीं वर्षगांठ के अवसर पर ‘भारतीय साहित्य में गांधी’ विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी जारी रहेगी। इसके बाद ‘विश्व दृष्टि में गांधी’ और ‘आत्मकथाओं में गांधी’ विषयों पर भी गोष्ठी होंगी। इसके अलावा चुनौती बनता जा रहा नाट्य जगत इसी को ध्यान में रखते हुए ‘नाट्य लेखन का वर्तमान परिदृश्य ’ पर परिचर्चा होगी।
छठा व समापन दिवस
इस दिन ‘आओ कहानी बुनें : बाल गतिविधियां’ बेहद खास रहेंगी। इसी के आखिरी सत्र में ‘एक बहादुर बच्चे के साथ संवाद’ होगा, इसमें राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार विजेता बच्चे हिस्सा लेंगे।