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दिल्ली में भी हो सकते हैं अमृतसर जैसे भीषण हादसे, जा सकती है सैकड़ों लोगों की जान

दिल्ली में हालत यह है कि यहां पटरियों के किनारे लाखों की संख्या में लोग अवैध रूप से रह रहे हैं, जिन्हें हटाने में रेलवे प्रशासन असमर्थ नजर आता है।

By Edited By: Published: Sat, 20 Oct 2018 09:15 PM (IST)Updated: Sun, 21 Oct 2018 04:17 PM (IST)
दिल्ली में भी हो सकते हैं अमृतसर जैसे भीषण हादसे, जा सकती है सैकड़ों लोगों की जान
दिल्ली में भी हो सकते हैं अमृतसर जैसे भीषण हादसे, जा सकती है सैकड़ों लोगों की जान

नई दिल्ली (संतोष कुमार सिंह)। राजधानी दिल्ली के विभिन्न इलाकों में रेलवे ट्रैक के किनारे बस रही अवैध झुग्गी बस्तियों से अमृतसर जैसा हादसा होने का खतरा बना हुआ है। रेल प्रशासन सोता रहा और लोग उसकी जमीन पर कब्जा करते चले गए। हालत यह है कि यहां पटरियों के किनारे लाखों की संख्या में लोग अवैध रूप से रह रहे हैं, जिन्हें हटाने में रेलवे प्रशासन असमर्थ नजर आता है। यह सुरक्षित रेल परिचालन के लिए बड़ी समस्या है और कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। रेल पटरी के किनारे बस गई 50 हजार झुग्गियां रेलवे अधिकारी देखते रह गए और राजधानी में उनकी लगभग 5,98,798 वर्ग मीटर जमीन पर कब्जा कर लिया गया। इन पर 50 हजार से ज्यादा झुग्गियां बना ली गईं हैं।

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अतिक्रमण के कारण ट्रैक के रखरखाव और साफ-सफाई में परेशानी होती है। साथ ही इससे रेल परिचालन भी बाधित होता है। सुरक्षा के लिहाज से भी अतिक्रमण हटाना जरूरी है। पटरी पर लोगों के आने-जाने से दुर्घटना की आशंका इन अवैध झुग्गियों में रहने वाले लोग पटरी को शौचालय के रूप में इस्तेमाल करते हैं। बच्चे पटरियों पर खेलते हैं। पटरी किनारे बनी दुकानों के आसपास भीड़ इकट्ठी रहती है। इन लोगों के ट्रेन की चपेट में आने का खतरा बना रहता है।

इस कारण राजधानी में प्रवेश करते ही ट्रेनों की रफ्तार कम करनी पड़ती है, जिसका फायदा अपराधी उठाते हैं। वे ट्रेन में चढ़कर अपराध करने के बाद झुग्गियों में छिप जाते हैं। रेल चालक पर भी हमले की घटनाएं हो चुकी हैं। इसी तरह से ट्रेनों पर पत्थरबाजी की घटनाएं भी आम हैं। वोट बैंक की सियासत से बढ़ी समस्या रेलवे की जमीन से अतिक्रमण हटाने में सबसे बड़ी बाधा इसका राजनीतिकरण है।

रेलवे ट्रैक के किनारे अवैध कब्जा कर रहने वालों के वोट के लालच में सभी पार्टियों के नेता अतिक्रमण हटाने का विरोध करते हैं। कुछ वर्ष पहले शकूरबस्ती में अतिक्रमण हटाने को लेकर खूब सियासत हुई थी। रेल प्रशासन ने 2003 में कुछ स्थानों पर झुग्गी हटाने के लिए 11.15 करोड़ रुपये दिए थे, लेकिन झुग्गियां नहीं हटाई गई।

राज्य सरकार के सहयोग से ही हटेगा अतिक्रमण रेलवे अधिकारियों का कहना है कि राज्य सरकार के सहयोग के बिना रेलवे की जमीन पर से अतिक्रमण हटाना मुश्किल है। पहले एक जनवरी, 2006 तक बनी झुग्गियों के पुनर्वास करने का फैसला किया गया था, जिसे राज्य सरकार ने बढ़ाकर एक जनवरी, 2016 कर दिया है। इसी तरह प्रति झुग्गी 15 हजार रुपये मुआवजा की राशि भी 22 लाख रुपये कर दी गई है। इस नियम की वजह से रेलवे जमीन से अतिक्रमण हटाना असंभव सा हो गया है। अदालत ने भी इन्हें हटाने पर रोक लगा दी है।

आरएन सिंह (दिल्ली के मंडल रेल प्रबंधक) के मुताबिक, सुरक्षित रेल परिचालन के लिए पटरियों के किनारे से अतिक्रमण हटाना जरूरी है। इसके लिए दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड के साथ नियमित बैठकें की जा रही हैं। किसी तरह का हादसा न हो, इसके लिए अतिक्रमण वाले क्षेत्र में फेंसिंग की जा रही है, जिससे कि लोग ट्रैक तक नहीं पहुंचे।  


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