Move to Jagran APP

इस मौसम में खतरनाक हो सकती है इस विटामिन की कमी, करें ये काम

मोटापा बढ़ने के साथ ही शरीर में विटामिन-डी का स्तर घटता जाता है। ऐसे लोगों को विटामिन-डी की आपूर्ति के साथ ही मोटापा घटाने की ओर भी ध्यान देना चाहिए।

By Amit MishraEdited By: Published: Mon, 20 Nov 2017 05:10 PM (IST)Updated: Mon, 20 Nov 2017 10:01 PM (IST)
इस मौसम में खतरनाक हो सकती है इस विटामिन की कमी, करें ये काम
इस मौसम में खतरनाक हो सकती है इस विटामिन की कमी, करें ये काम

गुरुग्राम [जेएनएन]। इस मौसम में विटामिन-डी की कमी होने का सबसे ज्यादा खतरा रहता है। बच्चों से लेकर युवा व बुजुर्ग लोगों में इसका असर देखने को मिलता है। डाक्टरों का कहना है कि विटामिन-डी शरीर के विकास व हड्डियों के विकास और स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी है।

loksabha election banner

विटामिन-डी के लिए कोई दवा नहीं लेनी है बल्की धूप में रहना है। धूप के संपर्क में आने पर शरीर इसका निर्माण करने लगता है। हालांकि विटामिन-डी खाने की कुछ चीजों से भी प्राप्त होता है, लेकिन खाने की चीजों से विटामिन-डी की पूर्ति उतनी नहीं होती है जितनी धूप से होती है। इससे कई बीमारियों से बचाव भी होता है।

विटामिन-डी कमी होने की पहचान 

- दर्द या तेज दर्द
- कमजोरी महसूस करना
- हड्डियों में दर्द
- हड्डियों का दर्द (आमतौर पर कूल्हों, पसलियों और पैरों आदि की हड्डियों में होता है। खून में विटामिन-डी की कमी होने पर ये आशंकाएं प्रबल होती हैं।

खतरा 
- विटामिन की कमी होने पर कार्डियोवेस्क्युलर रोग होने का डर बना रहता है और मृत्यु व याददाश्त कमजोर हो सकती है।
- बच्चों में अस्थमा से गंभीर रूप से प्रभावित होना एवं कैंसर होने का खतरा।
- विटामिन-डी मधुमेह, उच्च रक्तचाप, ग्लूकोल इनटालरेंस और मल्टिपल स्क्लेरोसिस आदि बीमारियों से बचाव और इलाज में महत्वपूर्ण होता है।
- शिशुओ में इसकी कमी होने पर मांसपेशियो में मरोड़े, सांस लेने में परेशानी और दौरे आने की परेशानी हो सकती है। उनके शरीर में कैल्शियम की भी कमी हो जाती है। सांस की तकलीफ के कारण बच्चे की पसलियां (रिब केज) नर्म रह जाता है और आस-पास की मांसपेशियां भी कमजोर रह जाती हैं।
- पैरों की हड्डियां और सिर के अंदर कमजोरी आ जाती है। ऐसे में छूने पर यह हड्डियां नर्म महसूस होती हैं। रिकेट्स जैसी बीमारी में हड्डियां लचीली हो जाती हैं। पैरों की हड्डियां कमजोर हो कर मुड़ने लगें तो यह स्थिति रिकेट्स कहलाती है।
- समय पर दांत न आना विटामिन-डी की कमी का ही लक्षण है।
- त्वचा का गहरा रंग मिलेनिन नामक पिगमेंट के कारण होता है। मिलेनन बहुत अधिक होने के कारण धूप लगने पर त्वचा में विटामिन-डी का निर्माण ठीक से नहीं हो पाता।
- गर्भावस्था में महिला के शरीर में विटामिन-डी की कमी होने पर गर्भ में शिशु को इसकी कमी की आशंका होती है। जिन महिलाओं का रंग गहरा होता है, उन्हें इसकी आपूर्ति का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
- समय से पहले जन्मे शिशुओं में इसकी कमी हो सकती है।
- मोटापा बढ़ने के साथ ही शरीर में विटामिन-डी का स्तर घटता जाता है। ऐसे लोगों को विटामिन-डी की आपूर्ति के साथ ही मोटापा घटाने की ओर भी ध्यान देना चाहिए। क्योंकि रक्त में मौजूद विटामिन-डी को फैट कोशिकाएं अवशोषित कर लेती हैं और समस्या जस की तस बनी रह सकती है या फिर बदतर भी हो सकती हैं।

रात को ड्यूटी बढ़ा सकती है परेशानी 

आज बड़ी संख्या में युवा रात को ड्यूटी कर रहे हैं और दिन में कमरे में सोते हैं। ऐसे में वो धूप में कुछ मिनट भी नहीं रहते। यह बड़ा कारण है विटामिन- डी कम होने का। ऐसे ही बहुत बुजुर्ग हैं जो चल नहीं पा रहे हैं और उन्हें धूप में कोई नहीं बैठा पा रहा है। ऐसे में बुजुर्ग में विटामिन-डी की कमी बहुत होती है।
डा. काजल कुमुद, वरिष्ठ फिजिशियन जिला अस्पताल 

यह भी पढ़ें: दिल्ली के लालकिला में देखिए वे चीनी बर्तन जिन्हें तुगलक ने फिंकवा दिया था


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.