पांच साल की हुई आम आदमी पार्टी: आज भी कायम है सवाल- क्या हुआ तेरा वादा
राजनीति की जिस गंदगी से दूर रहने का दावा अरविंद केजरीवाल और उनके साथी करते रहे हैं अब पार्टी उसी दलदल में धंसी है।
नई दिल्ली (जेएनएन)। बदलाव की राजनीति, ईमानदारी, आम आदमी की आवाज जैसे जुमलों के साथ देश की सियासत में कदम रखने वाली आम आदमी पार्टी इतने कम समय में ही आम नहीं रही। प्रशांत भूषण, प्रो.आनंद कुमार और योगेंद्र यादव जैसे लोगों की सक्रियता में गठित हुई इस पार्टी से जनता ने जो सपना देखा था वह इन नेताओं के अलग होने के साथ दूर हो गया।
अब पार्टी के नेता, विधायक और मंत्री अब महंगी कारों में चलते हैं। बड़े फार्म हाउसों में पार्टी की बैठकें होती हैं। भ्रष्टाचार और वीआइपी कल्चर से दूर रहने का वादा फुस्स हो चुका है और पार्टी आम से खास हो चुकी है। मंत्री हो या विधायक, सब बेनकाब हो रहे हैं।
आम आदमी पार्टी का असल चेहरा जनता को दिख गया है। राजनीति की जिस गंदगी से दूर रहने का दावा अरविंद केजरीवाल और उनके साथी करते रहे हैं अब पार्टी उसी दलदल में धंसी है।
इस दौरान विभिन्न आरोपों में मंत्रियों को निकाला गया तो करीब 18 विधायकों पर एफआइआर दर्ज हुई और 12 विधायक अलग-अलग मामलों में गिरफ्तार भी हो चुके हैं। हर बार पार्टी कड़ी कार्रवाई का राग अलापती है और अंदरखाने गोलमाल जारी रहता है।
जनता को उस समय बड़ा झटका लगा था जब फरवरी 2015 में पार्टी के सत्ता में आने के कुछ समय बाद ही विवाद शुरू हो गया था। इसके बाद एक फैसला लेकर प्रशांत भूषण, प्रो.आनंद कुमार और योगेंद्र यादव आदि नेताओं को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया जो पार्टी के अंदर की गलत बातों का विरोध करते थे।
पार्टी के गठन में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले कुमार विश्वास जैसे लोग अब पार्टी में अपना वजूद स्थापित करने के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। पार्टी अब कुछ खास लोगों के हाथों में है। उन्हीं के हिसाब से सब कुछ चलता है। पार्टी को इस मुकाम तक लाने वाले कार्यकर्ता पार्टी से दूर हो रहे हैं।