राजधानी के लोगों को डेंगू व चिकनगुनिया से बचाने के लिए दिल्ली सरकार और नगर निगम के बीच सामंजस्य जरूरी
दिल्ली सरकार ने पिछले साल इस अभियान को पहली बार शुरू किया था और सरकार का दावा है कि इसी के कारण पिछले साल राजधानी में डेंगू के मामलों को नियंत्रित करने में उल्लेखनीय मदद मिली थी।
नई दिल्ली, जेएनएन। दिल्ली सरकार की ओर से मच्छरजनित रोगों की रोकथाम के लिए रविवार से की गई 10 हफ्ते, 10 बजे, 10 मिनट महाअभियान की शुरुआत स्वागतयोग्य है। मुख्यमंत्री ने अपने आवास पर गमले में जमा पानी बदलकर इसकी शुरुआत की। उन्होंने अपील भी की कि सभी सामाजिक-धार्मिक संगठन, आरब्डल्यूए और दिल्ली में रहने वाले लोग इस अभियान में हिस्सा लेने के लिए आगे आएं, ताकि डेंगू को हराया जा सके।
दिल्ली सरकार ने पिछले साल इस अभियान को पहली बार शुरू किया था और सरकार का दावा है कि इसी के कारण पिछले साल राजधानी में डेंगू के मामलों को नियंत्रित करने में उल्लेखनीय मदद मिली थी। इसमें कोई दो राय नहीं कि यदि सभी दिल्लीवासी अपने घरों में सप्ताह में एक बार देख लें कि कहां पानी जमा हो रहा है और उसे जमा न होने दें। साथ ही गमलों इत्यादि में जमा पानी को बदल दें, तो मच्छरों को पनपने से रोकने में काफी हद तक सफलता मिल सकती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस रविवार यानी 6 सितंबर से हम दिल्ली में डेंगू के खिलाफ अगले 10 हफ्ते तक चल चलने वाली लड़ाई शुरू कर रहे हैं।
कुछ दिन पूर्व दिल्ली के नगर निगमों की ओर से भी मच्छररोधी महाअभियान की शुरुआत की गई थी। लेकिन, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि दिल्ली सरकार और नगर निगम अपने-अपने स्तर पर अलग-अलग अभियान चला रहे हैं। एक-दूसरे के साथ सामंजस्य की बात तो कोसों दूर, वे एक-दूसरे के अभियान को खारिज कर आरोप-प्रत्यारोप में जुटे हैं। यह स्थिति दिल्ली के लिए कतई ठीक नहीं है।
दिल्लीवासियों को किसी बीमारी से बचाने के प्रयासों में दोनों एजेंसियों को राजनीति को दरकिनार कर एकसाथ आना ही चाहिए। यदि दिल्ली सरकार और नगर निगम इन अभियानों में एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करते हैं, तो दिल्लीवासियों को निश्चित तौर पर अधिक लाभ मिलेगा। एक-दूसरे के मच्छररोधी अभियानों में खामियां ढूंढने के बजाय, उन्हें एक-दूसरे के अभियान को प्रभावी बनाने में मदद करनी चाहिए। दिल्लीवासियों, आरडब्ल्यूए और सामाजिक-धार्मिक संस्थाओं को भी इस अभियान के साथ पूरी इच्छाशक्ति से जुटना चाहिए।
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