मुरादाबाद में डिरेल हुई डबल-डेकर ट्रेन, दिल्ली पहुंचे यात्रियों ने सुनाई दहशत की कहानी
रविवार दोपहर तीन बजे ट्रेन यात्रियों को लेकर आनंद विहार रेलवे स्टेशन पर पहुंची। ट्रेन से उतरते ही यात्रियों ने पहले जान बख्शने के लिए ऊपर वाले का शुक्र अदा किया।
नई दिल्ली [शुजाउद्दीन]। लखनऊ से दिल्ली आ रही लखनऊ-आनंद विहार डबल-डेकर ट्रेन रविवार सुबह मुरादाबाद से पहले बेपटरी हो गई। दो कौच ट्रैक से नीचे उतर गए। हादसे में किसी के घायल होने की कोई सूचना नहीं है। दोपहर तीन बजे ट्रेन यात्रियों को लेकर आनंद विहार रेलवे स्टेशन पर पहुंची। ट्रेन से उतरते ही यात्रियों ने पहले जान बख्शने के लिए ऊपर वाले का शुक्र अदा किया। इसके बाद फोन से अपने परिजनों को सही सलामत दिल्ली पहुुंचने की जानकारी साझा की।
यात्रियों ने साझा किया अपना दर्द
स्टेशन पर पहुंचे यात्रियों ने अपने दर्द को जागरण के साथ साझा किया। हादसे के घंटों बाद भी यात्रियों के चेहरे पर डर और खाैफ साफ झलक रहा था। रेलवे को लेकर यात्रियों में काफी गुस्सा देखने को मिला। यात्रियों ने आरोप लगाया कि रेलवे की वजह से सैकड़ों यात्रियों की जान जाते जाते रह गई। जिस ट्रैक पर मरम्मत कार्य चल रहा था, उसी ट्रैक पर ट्रेन को दौड़ाना रेलवे की लापरवाही को दर्शाता है। रेलवे का नेटवर्क इतना कमजोर है की मरम्मत कार्य के बारे में पता होने के बाद भी ट्रेन के चालक को सूचना तक नहीं दी गई। इतना ही नहीं घटना के काफी समय के बाद बचाव दल मौके पर पहुंचा। जो लोग मुरादाबाद के यात्री थे, उन्हें बस से रवाना किया गया। जिस जगह हादसा हुआ है, वह आबादी वाला इलाका था। ट्रेन के उस ट्रेक पर आने पर लोगों ने शोर भी मचाया, पत्थर भी फेंके लेकिन ट्रेन चालक इन संदेशों को समझ ही नहीं सका।
मारिया (यात्री) के मुताबिक, यह घटना रेलवे प्रशासन की गंभीर लापरवाही का नतीजा है। रेलवे की एक जरा सी चूक सैकड़ों यात्रियों के लिए मौत ला सकती थी। जिस ट्रैक पर मरम्मत का कार्य चल रहा था, उसी ट्रैक पर ट्रेन दौड़ा दी। ऊपर वाले ने इतना रहम किया की हादसे में कोई घायल नहीं हुआ। डब्बे ट्रैक से उतरने पर बच्चे से लेकर बड़े तक दहशत में आ गए थे।
अन्य यात्री फरिहा का कहना है कि मैं अपने परिवार के साथ लखनऊ से दिल्ली आ रही थी। सुबह दस बजे के वक्त परिवार के सदस्य आपस में बातें कर रहे थे, तभी तेज झटके लगने शुरू हो गए। ट्रेन के बाहर खड़े लोग चेन खिंचने का इशारा कर रहे थे और पत्थर मार रहे थे। लेकिन ट्रेन के अंदर तक उनकी आवाज ही नहीं पहुंच पा रही थी। ट्रेन की गति होने की वजह से यात्रियों की जान बची है।
वहीं, एक और यात्री ज्योति की मानें तो लखनऊ से दिल्ली एक कार्यक्रम में परिवार के सदस्यों के साथ आ रही थी। सब कुछ ठीक चल रहा था, सुबह के वक्त अचानक ट्रेन के कोच पटरी से उतर गए। उस वक्त ट्रेन में सवार यात्रियों की हालत को बयां नहीं किया जा सकता, एक पल को लगा की सबकुछ खत्म। हादसे के एक घंटे बाद बचाव दल मौके पर पहुंचा। ट्रेन में 15 कोच थे, लेकिन दिल्ली केवल चार कोच ही आए।
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