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दादा के सपने को पूरा करने के लिए IIT गर्ल मीणा ने छोड़ी अमेरिका की नौकरी, अन्नदाताओं को बना रहीं धनवान

अनु बताती हैं कि हर किसान की अपनी अलग समस्या होती है। इसके लिए वो खुद गांव-गांव जाकर किसानों की समस्याएं सुनती हैं और किसानों की फसल बिकवाने से लेकर पैकिंग एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश में भेजने की भी व्यवस्था कर किसानों की समस्याएं सुलाझाती हैं।

By Prateek KumarEdited By: Published: Sat, 17 Oct 2020 03:59 PM (IST)Updated: Sat, 17 Oct 2020 03:59 PM (IST)
दादा के सपने को पूरा करने के लिए IIT गर्ल मीणा ने छोड़ी अमेरिका की नौकरी, अन्नदाताओं को बना रहीं धनवान
दिल्ली के आइआइटी से साल 2016 में पासआउट छात्रा अनु मीणा।

नई दिल्ली [रीतिका मिश्रा]। राजधानी दिल्ली के आइआइटी से साल 2016 में पासआउट छात्रा अनु मीणा ने देश के अन्नदाता को मुनाफा दिलाने के लिए बड़े स्तर एक ऐसा अभियान छेड़ा है जो उनको न सिर्फ उनकी फसल का उचित मूल्य दिला रहा है बल्कि खेती करने में आने वाली समस्याओं को भी हल कर रहा है साथ ही मीणा की मदद से अब किसान बिचौलियों के चुंगल से भी बच सकेंगे। उन्होंने साल 2017 में किसानों के लिए अकेले ही एक ऐसी कंपनी की नींव रखी जो किसानों से सीधा फसल खरीद कर ग्राहकों को दे और किसानों को अच्छा मुनाफा दिलाएं। उनके इस अभियान के चलते उन्हें साल 2018 में फोर्ब्स मैगजीन द्वारा 30 अंडर 30 एशिया अवार्ड, साल 2019 में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय व ग्लोबल गांधी पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।

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दादा के सपने को पूरा करने के लिए छोड़ी नौकरी

26 वर्षीय अनु की कहानी बड़ी संघर्ष भरी है। सरकारी स्कूल से हिंदी माध्यम में 12वीं तक की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने इंजीनियर बनने के लिए आइआइटी दिल्ली में दाखिला लिया। यहां से निकलने के बाद उन्होंने अमेरिका की एक कंपनी में नौकरी की। लेकिन अपने किसान रहे दादा का एक सपना पूरा करने के लिए उन्होंने बीच में ही नौकरी छोड़ दी। अनु बताती हैं उनके दादा फसल बेचने को लेकर और उसके उचित दाम न मिलने को लेकर परेशान रहते थे, और ये सिर्फ उनके दादा की समस्या नहीं थी, ज्यादातर किसान इसी समस्या का सामना कर रहे हैं। इसलिए उनके दादा का सपना था कि अनु किसानों के लिए कुछ करें। आज किसानों को उचित मुनाफा दिलवाकर वो अपने दादा के सपने को पूरा कर रही हैं। इसके साथ ही वो किसानों को उनकी फसल को लेकर जागरूक करने के लिए कृषि विज्ञान केंद्रों में आयोजन भी कराती हैं।

गांव- गांव जाकर किसानों से सुनती हैं समस्याएं

अनु बताती है कि हर किसान की अपनी अलग समस्या होती है। किसी को अपने उत्पाद की पैकिंग में समस्या आती है तो किसी की उसे दूसरे जिलों में बेचने में। इसके लिए वो खुद गांव-गांव जाकर किसानों की समस्याएं सुनती हैं और किसानों की फसल बिकवाने से लेकर, उसकी पैकिंग, एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश में भेजने के लिए परिवहन आदि की भी व्यवस्था कर किसानों की समस्याएं सुलाझाती हैं। अब तक वो दिल्ली, राजस्थान, मध्यप्रदेश, पंजाब, बिहार, उत्तर प्रदेश, हरियाणा के गांवों में जा चुकी है। किसानों के लिए काम करने के लिए अपने शुरुआती दिनों को याद करते हुए वो बताती हैं कि पहले वो अक्सर सुबह तीन बजे उठकर मंडी जाकर देखती थी कि कौन सा उत्पाद कौन से राज्य से आ रहा है, उस पर कितनी दलाली ली जा रही है। ये सब देखने के बाद वो कहती हैं कि कृषि एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें पारदर्शिता के साथ बेहतर तकनीक लाने की सख्त आवश्यकता है। क्योंकि तकनीक के माध्यम से ही खेती-किसानी का विकास कर गरीबी पर काबू पाया जा सकता है।

50 गांव में किसानों के लिए बनाएं सहायता केंद्र

अनु के मुताबिक उनकी कंपनी दो तरीके से काम करती है। पहला किसानों को ग्राहको को बेचने के लिए। दूसरा ग्राहकों को किसानो से खरीदने के लिए। इसके लिए उन्होंने तकनीक का सहारा लेकर किसानों के लिए एप भी बनाया है। जिन किसानों को तकनीक का ज्ञान नहीं है उनकी फसल बिकवाने के लिए अनु ने हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश व अन्य राज्यों में कुल 50 सहायता केंद्र बनाएं हैं। जहां पर जाकर भी किसान अपनी फसल को बेचने या अन्य कोई जानकारी दे सकते हैं। फिर इन केंद्रों से ही सीधे किसानों की मदद की जाती है। इससे एक तो किसान उत्पाद की गुणवत्ता पर भी ध्यान देते हैं और दूसरा इस पूरी प्रक्रिया में बिचौलियों के न होने से किसानों को बाजार से करीब 20 से 25 फीसद ज्यादा कीमत मिल जाती है।

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