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पेड़ों पर कहीं बाघ तो कहीं नजर आ रहे भालू, यहां डरते नहीं बल्कि सेल्फी लेते हैं लोग

दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के उद्यान विभाग की एक छोटी सी कोशिश ने पेड़ों को जीवंत बना दिया है। उद्यान विभाग की ओर से पशुओं की प्रतिकृतियां व मुखौटे आदि से पेड़ों को सजाया जा रहा है।

By Edited By: Published: Sat, 19 May 2018 09:16 PM (IST)Updated: Sun, 20 May 2018 05:44 PM (IST)
पेड़ों पर कहीं बाघ तो कहीं नजर आ रहे भालू, यहां डरते नहीं बल्कि सेल्फी लेते हैं लोग
पेड़ों पर कहीं बाघ तो कहीं नजर आ रहे भालू, यहां डरते नहीं बल्कि सेल्फी लेते हैं लोग

नई दिल्ली [जेएनएन]। द्वारका की कई सोसायटियों में पेड़ों पर इन दिनों कहीं बाघ तो कहीं भालू नजर आता है। आश्चर्य की बात है कि लोग इन्हें देखकर दूर भागने के बजाय इनके पास जाकर इन्हें गौर से देखते हैं। कई लोग तो खुशी-खुशी इनके साथ सेल्फी लेने लगते हैं। द्वारका के अलावा ऐसे नजारे आने वाले दिनों में दिल्ली के अन्य हिस्सों में भी देखने को मिलेंगे।

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निगम की पहल से लोग खुश हैं

दरअसल, दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के उद्यान विभाग की एक छोटी सी कोशिश ने पेड़ों को जीवंत बना दिया है। उद्यान विभाग की ओर से पशुओं की प्रतिकृतियां व मुखौटे आदि से पेड़ों को सजाया जा रहा है। निगम की इस पहल से लोग काफी खुश हैं। द्वारका के अलावा दिल्ली के अन्य हिस्सों में भी इस तरह की कोशिश उद्यान विभाग की ओर से की जा रही है।

आपको आश्चर्य होगा

द्वारका सेक्टर-14 स्थित राधिका अपार्टमेंट में करीब एक दर्जन पेड़ ऐसे हैं, जिन्हें देखकर आपको आश्चर्य होगा। इन पेड़ों को आप जब पहली बार देखेंगे तो आपको ऐसा लगेगा मानो सचमुच में कोई बाघ आपके सामने है। इनकी प्रतिकृतियों को पेड़ के तनों के बीच ऐसे सजाया गया है कि बाघ पेड़ पर आराम फरमा रहा है तो कहीं पेड़ पर चढ़ने की कोशिश में है। सेक्टर-19 में भी ऐसे नजारें कई जगह दिख जाएंगे। सेक्टर-19 निवासी सुनील सरीन बताते हैं कि उद्यान विभाग की यह कोशिश सराहनीय है। इससे लोगों का पेड़ों से भावनात्मक जुड़ाव हो रहा है।

समझ रहे प्रकृति की अहमियत 

सेक्टर-14 स्थित राधिका अपार्टमेंट में रहने वाली पूनम बताती हैं कि हरियाली आज लोगों की जरूरत है। आज जहां द्वारका बसी है, वहां पहले खेत व घने जंगल होते थे। बीते वक्त के साथ इनकी जगह कंक्रीट से बनी बहुमंजिला इमारतों ने ले ली। आज बच्चों के लिए यह समझना काफी कठिन है, पेड़ हमें केवल फल या फूल ही नहीं देते हैं बल्कि ये कई पशुओं व पक्षियों के लिए आसरा भी होते हैं। इस तरह की प्रतिकृतियों के माध्यम से बच्चे वन्य जीवन को आसानी से समझ पाएंगे और हरियाली के प्रति उनका नजरिया भी बदलेगा। वे यह समझ सकेंगे कि हरियाली केवल शौक या दिखावे की ही नहीं बल्कि कई मायने में जरूरत है। यदि हमें प्रकृति की विविधता को कायम रखना है तो हरियाली के प्रति अपना नजरिया बदलना होगा। हमें यह समझना होगा कि हरियाली नहीं तो कई जंतुओं या खुद इंसान का अस्तित्व भी संकट में पड़ जाएगा।

शुरुआत 100 पेड़ों से

नजफगढ़ जोन उद्यान विभाग के उपनिदेशक राजकुमार बताते हैं कि करीब सौ पेड़ों पर पशुओं की प्रतिकृतियां व इंसानों के मुखौटे सजाए गए हैं। आने वाले समय में इसकी संख्या बढ़ाई जाएगी। अच्छी बात यह है कि हमारी कोशिश का असर हो रहा है। लोग पेड़ों से भावनात्मक तौर पर जुड़ रहे हैं।

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