cyber Crime: 1000 फेक क्रेडिट कार्ड से लगाया करोड़ों का चूना; आप भी रहें इनसे सावधान
फर्जी दस्तावेज पर कार्ड जारी होने के कुछ ही दिन में यह गैंग उन वेंडर के पास पहुंचता था जहां ईओडी-पीओएस मशीन संचालित होती है।
नोएडा, जेएनएन। पिछले तीन वर्षों में फर्जी दस्तावेज पर तकरीबन 1000 क्रेडिट कार्ड जारी कराकर 10 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी करने वाले गैंग के तीन शातिरों को यूपी एसटीएफ की नोएडा यूनिट ने गिरफ्तार किया है। आरोपितों की पहचान उत्तम नगर नई दिल्ली निवासी भूपेन्द्र, मंगोलपुरी नई दिल्ली निवासी तीरथ व रोहिणी दिल्ली निवासी चंद्रप्रकाश के रूप में हुई। 8वीं पास भूपेन्द्र गैंग का सरगना है और वह कई मोबाइल कंपनी व बैंकों के वेंडर के साथ काम कर चुका है।
दूसरा आरोपित तीरथ टीवीएस मोटर साइकिल के शोरूम में सेल्स मैनेजर के रूप में कार्यरत है, जबकि चंद्रप्रकाश बैंकों के लिए काम करने वाले एक वेंडर के वहां काम करता है। इनके पास से विभिन्न बैंकों के 36 डेबिट-क्रेडिट कार्ड, आठ आधार कार्ड, सात पासबुक, आठ मोबाइल, विभिन्न बैंकों के क्रेडिट कार्ड के लिए भरे जाने वाले 41 फार्म, आठ क्रेडिट कार्ड स्टेटमेंट, विभिन्न बैंकों द्वारा जारी 16 क्रेडिट कार्ड की फोटो कॉपी, तीन फर्जी पे स्लीप, लैपटाप, प्रिंटर के अलावा विभिन्न दस्तावेज बरामद हुए हैं।
क्षेत्राधिकारी एसटीएफ राजकुमार मिश्र ने बताया कि अगस्त 2018 तक वेंडर के साथ काम कर चुका भूपेन्द्र ग्राहकों के नाम के दस्तावेज उपलब्ध कराता था और फर्जीवाड़े का मास्टरमाइंड है। तीरथ भूपेन्द्र को केवाईसी से संबंधित कागजात उपलब्ध कराता है। चन्द्र प्रकाश विभिन्न बैंक के लिए मौके पर जाकर क्रेडिट कार्ड लेने वाले कस्टमर से उनके कागजात सत्यापित करता है, जिसके बाद क्रेडिट कार्ड की प्रक्रिया शुरू होती है। यह इस गैंग से मिला हुआ था।
क्षेत्राधिकारी ने बताया कि इस गैंग ने ही कोतवाली सेक्टर 24 क्षेत्र निवासी प्रवीण के नाम पर फर्जी दस्तावेज के सहारे क्रेडिट कार्ड बनवाकर पांच लाख रुपये निकाल लिए थे। पिछले दिनों जब बैंक की तरफ से उनसे संपर्क किया गया तो फर्जीवाड़े का पता गला। इसके बाद उन्होंने कोतवाली सेक्टर 24 में एफआइआर दर्ज कराई। अब एसटीएफ ने केस की छानबीन के बाद इस गैंग का पर्दाफाश किया है और आरोपित पकड़े गए हैं। एसटीएफ के अनुसार इसके अलावा दिल्ली व चंडीगढ़ में रहने वाले दो व्यक्तियों के नाम का फर्जी क्रेडिट कार्ड बनाकर पांच-पांच लाख रुपये निकालने के केस का भी पर्दाफाश हुआ है।
वेंडर शॉप पर कार्ड स्वाइप कराकर निकालते थे नकदी
फर्जी दस्तावेज पर कार्ड जारी होने के कुछ ही दिन में यह गैंग उन वेंडर के पास पहुंचता था, जहां ईओडी-पीओएस मशीन संचालित होती है। वहां कार्ड स्वाइप कराकर लिमिट का पूरा कैश निकाल लेते थे या कैश ट्रांसफर करा लेते थे। कार्ड की लिमिट खत्म होते ही तोड़कर फेंक देते थे। पूछताछ से पता लगा है कि इस गैंग से और भी कुछ लोग जुड़े हैं।
पूछताछ में पिछले तीन वर्ष में एक हजार से अधिक लोगों के नाम पर फर्जी क्रेडिट कार्ड तैयार कर 10 करोड़ रुपये से अधिक नकदी निकालने की बात स्वीकारी है। क्षेत्राधिकारी ने बताया कि पूछताछ व बरामद दस्तावेज से इनके सात बैंक खाते का पता लगा है। क्योंकि फर्जीवाड़े के लिए वह वेंडर की दुकानों पर तीन से चार प्रतिशत तक कमीशन देकर काम कर लेते थे, जिसकी वजह से रकम इनके खाते तक सीधे नहीं पहुंचती थी और यह पकड़े नहीं जाते थे। इन आरोपितों का पुराना कोई आपराधिक इतिहास भी अबतक नहीं मिला है।
एक दस्तावेज हाथ लगते उस नाम के सभी दस्तावेज कर लेते थे तैयार
क्षेत्राधिकारी ने बताया कि इनके पास से बरामद लैपटाप में फोटो शॉप सहित विभिन्न साफ्टवेयर मौजूद हैं। किसी भी व्यक्ति के नाम का एक दस्तावेज मिलने पर उस नाम का पैन कार्ड, पे स्लीप सहित क्रेडिट कार्ड में बैंक में लगने वाले सभी दस्तावेज फर्जी तरीके से खुद तैयार कर लेते थे। सेक्टर 24 में एफआइआर दर्ज कराने वाले प्रवीण का आधार कार्ड की कॉपी इनके हाथ लगी थी। उसके बाद उनके नाम का फर्जी पैन कार्ड बनवा लिया। इसके बाद उनके नाम का क्रेडिट कार्ड जारी कराकर पांच लाख रुपये निकाले थे। इनके लैपटाप में हजारों की संख्या में केवाईसी की साफ्ट कॉपी मिली है। इसके अलावा इनके पास से विभिन्न व्यक्तियों के अभिलेख बरामद हुए हैं। एसटीएफ के अनुसार इस प्रकार के गैंग से बचने के लिए अगर आप अपने दस्तावेज की कॉपी कही दे रहे हैं तो उस पर अवश्य लिखें कि किस उपयोग के लिए यह कॉपी है।