श्रवण कुमार की तरह माता-पिता को कांवड़ में लेकर हरिद्वार जाते हैं ये पांच भाई
हरिद्वार से गंगाजल के साथ माता-पिता को लेकर मंगलवार को पंचकूला के मनसा देवी मंदिर पहुंचे और शिवालय में महादेव का जलाभिषेक किया।
पलवल (राजेश मलकानियां)। पलवल के गांव फुलवारी में रहने वाले पांच भाइयों को देखकर हर कोई कह उठता है, बेटे हों तो ऐसे। पांचों भाई दो वर्षों से अपने माता-पिता को कांवड़ पर बैठाकर उन्हें सावन के महीने में हरिद्वार लेकर जाते हैं। इनमें से चार भाई अपने कंधे पर कांवड़ ढोते हैं और पांचवा ट्रैक्टर लेकर साथ चलता है। जो भाई थक जाता है, वह ट्रैक्टर पर आ जाता है और ट्रैक्टर चला रहा भाई उसका स्थान ले लेता है।
हरिद्वार से गंगाजल के साथ माता-पिता को कांवड़ में लेकर वे मंगलवार को पंचकूला के मनसा देवी मंदिर पहुंचे। मंदिर में स्थित शिवालय में माता-पिता के साथ महादेव का जलाभिषेक किया। पांचों भाई बंसीलाल, रोहताश, राजू, महेंद्र व जगपाल मजदूरी करते हैं। सभी गांव मे माता-पिता के साथ रहते हैं। पिता चंद्रपाल सिंह 78 वर्ष के हो चुके हैं। मां रूपवती की उम्र 66 वर्ष है।
बुजुर्ग चंद्रपाल ने बताया कि वह सावन में कांवड़ लेकर हरिद्वार से गंगाजल लाना चाहते थे, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। उम्र बढ़ती गई। शरीर अशक्त हो गया। एक साल पहले यह बात जब उन्होंने बेटों को बताई तो बेटों ने संकल्प किया कि उनकी इच्छा को जरूर पूरा करेंगे। पांचों भाइयों ने बड़ी कांवड़ बनाई। उसपर माता-पिता को बैठाया और पैदल चलकर हरिद्वार पहुंच गए। पैदल इसलिए क्योंकि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कांवड़ लाने में किसी वाहन का उपयोग नहीं करना चाहिए। हरिद्वार में नीलकंठ मे भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने के बाद सबने गंगाजल भरा और वहां से पंचकूला माता मनसा देवी मंदिर पहुंचे। यहां पूजन-अर्चन के बाद पलवल के लिए रवाना हुए।
रोज करते हैं 8-10 किलोमीटर की यात्रा
पांचों भाइयों में सबसे बड़े बंसीलाल ने बताया कि गांव के पांच अन्य युवक भी हमारी मदद करते हैं। हर दिन आठ से दस किलोमीटर का ही सफर करते हैं, जिससे माता-पिता को परेशानी न हो। माता रूपमती और पिता चंद्रपाल अपने बेटों की सेवा से गदगद हैं। उनका कहना है कि सभी बेटों को हमारे बेटों से प्रेरणा लेनी चाहिए। हर बेटे को अपने मां-बाप की देखभाल और सेवा करनी चाहिए।