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क्रिकेट में बेशुमार करियर की संभावनाएं, पैसा है और शोहरत भी, जानें कैसे निखारें खुद को

Career in Cricket टोक्यो ओलिंपिक के बाद आइपीएल और अब टी-20 वर्ल्ड कप को लेकर क्रिकेट प्रेमियों में खूब उत्साह है। उभरते युवा खिलाड़ियों द्वारा देश-दुनिया में बनाई जा रही पहचान ने देश के बच्चों-किशोरों-युवाओं के बीच विभिन्न खेलों को और लोकप्रिय बना दिया है।

By Mangal YadavEdited By: Published: Tue, 19 Oct 2021 02:53 PM (IST)Updated: Tue, 19 Oct 2021 03:05 PM (IST)
क्रिकेट में बेशुमार करियर की संभावनाएं, पैसा है और शोहरत भी, जानें कैसे निखारें खुद को
क्रिकेट के क्षेत्र में बनाएं करियर। प्रतीकात्मक तस्वीर

नई दिल्ली [धीरेंद्र पाठक]। हाल में संपन्‍न इंडियन प्रीमियर लीग (आइपीएल) के 14वें सीजन में हर्षल पटेल, ऋतुराज गायकवाड़ और वेंकटेश अय्यर जैसे नवोदित खिलाड़ियों ने अपने प्रदर्शन से खूब वाहवाही बटोरी। पटेल ने सीजन का सबसे ज्यादा विकेट लेने का रिकार्ड बनाया। उन्हें उनके इस बेहतरीन खेल प्रदर्शन के लिए पर्पल कैप के साथ गेमचेंजर आफ द सीजन, मोस्ट वैल्युएबल प्लेयर आफ द सीजन जैसे अवार्ड से भी नवाजा गया। इन सभी अवार्ड के लिए उन्हें 10-10 लाख रुपये का इनाम अलग से मिला। कहने का मतलब यह है कि खेल अब सिर्फ खेल नहीं, बल्कि कमाई और नाम कमाने का एक बड़ा जरिया बन गए हैं।

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आइपीएल जैसे आयोजनों से बहुत बड़ा बाजार इससे जुड़ गया है। इसलिए खेलों में खुद को तराश लेने के बाद आजकल अवसरों की कोई कमी नहीं है। खास बात यह है कि पिछले कुछ वर्षों में सामान्य और कमजोर आर्थिक स्थिति वाले परिवारों के बच्चों ने भी अपनी प्रतिभा और जुनून के बल पर कामयाबी की इबारत लिखी है यानी यहां प्रतिभा के साथ आपकी कड़ी मेहनत आपकी कामयाबी के दरवाजे खोल सकती है। 

अगर क्रिकेट की बात करें, तो सिर्फ खिलाड़ी के रूप में ही नहीं, कोच (बालिंग, बैटिंग, फील्डिंग), कमेंटेटर, क्यूरेटर, स्टैटिशियन, स्कोरर, फिजियोथेरेपिस्ट, डाइटिशियन और ब्रांड मैनेजमेंट के तौर पर भी जुड़ने के आकर्षक विकल्प हैं।

करियर के नये रंग

पटेल जैसे नवोदित खिलाड़ियों का तेजी से पहचान बनाना दर्शाता है कि खेलकूद में दिनभर व्यस्त रहने वाले युवाओं की खिल्ली उड़ाना अब बीते दिनों की बात हो गई है। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आए दिन होने वाले मैच और प्रतियोगिताओं के कारण खेल, खिलाड़ी और उससे जुड़े लोगों के सामने पैसा, ग्लैमर और पहचान सब कुछ है। कोई इसे मैदान में उतर कर हासिल कर रहा है, तो खेल के मैदान से बाहर रहते हुए खेल प्रबंधन, खिलाड़ियों को प्रशिक्षित करने, उनके खानपान और स्वास्थ्य की देखभाल का जिम्मा उठाते हुए अपने करियर को नये आयाम दे रहा है।

इसमें क्रिकेट सबसे अधिक लोकप्रिय एवं अवसरों से भरपूर है, क्योंकि देश में या देश के बाहर करोड़ों की संख्या में क्रिकेट प्रेमी हैं। ऐसे में आप एक खिलाड़ी (बैट्समैन, स्पिन बोलर, फास्ट बोलर, विकेट कीपर) के तौर पर शुरुआत करने के बाद करियर को उड़ान दे सकते हैं। रवि शास्त्री, सुनील गावस्कर, सौरभ गांगुली, राहुल द्रविड़, अनिल कुंबले जैसे उदाहरण हमारे सामने हैं, जो एक कामयाब खिलाड़ी के रूप में रिटायर होने के बाद अब युवा खिलाड़ियों के मेंटर की भूमिका निभा रहे हैं।

भारत के सफलतम कप्तान महेंद्र सिंह धौनी ने तो न केवल अपनी अगुवाई में चेन्नई सुपर किंग को चौथी बार आइपीएल का खिताब दिलाया, बल्कि उन्हें दुबई में चल रहे टी-20 विश्व कप के लिए भारतीय टीम का मेंटर भी बनाया गया है। इसलिएअब क्रिकेट में करियर बनाने का मतलब केवल खिलाड़ी बनने तक सीमित नहीं है, इसमें आज कई विकल्प जुड़ गए हैं:

कमेंटेटर

टीवी/रेडियो पर दर्शकों या श्रोताओं को चलते खेल के हर पल का हाल दिलचस्प अंदाज में बताने वाले कमेंटेटर्स को, उनकी आवाज को आपने जरूर देखा-सुना होगा। ऐसे एक्सपर्ट्स की आजकल स्पोर्ट्स चैनल, दूरदर्शन या रेडियो में जरूरत होती है। जाहिर है जितनी ज्यादा ऐसी प्रतियोगिताएं या मैच होंगे, उतनी संख्या में कमेंटेटर्स की भी जरूरत होगी। कमेंटेटर बनने के लिए किसी खास योग्यता की जरूरत नहीं होती है। बस, खेलों के बारे में जानकारी होने के अलावा आवाज अच्छी होनी चाहिए, जैसे कि हर्षा भोगले हैं, जो खिलाड़ी नहीं होते हुए भी क्रिकेट के एक चर्चित कमेंटेटर हैं।

इसी तरह अन्य, स्पोर्ट्स की कमेंट्री के लिए भी कमेंटेटर की जरूरत होती है। अगर आपने स्नातक स्तर पर जनसंचार की पढ़ाई की है, तो आपको इस क्षेत्र में प्रवेश मिल सकता है। हां, लेकिन आपकी आवाज और अंदाज दोनों प्रभावी होने चाहिए।

कोच

बच्चों, किशोरों में खेल की काबिलियत को पहचान कर उनकी प्रतिभा को निखारने का काम कोच ही करते हैं। यही खिलाड़ियों को बैटिंग, बालिंग, फील्डिंग और विकेटकीपिंग की सही तकनीक से अवगत कराते हैं। आज की तारीख में हर खेल में कोच की बड़ी अहमियत है। इस फील्ड में पूर्व खिलाडि़यों के अलावा गहरी दिलचस्पी रखने लोग भी ट्रेनिंग लेकर कोच के तौर पर करियर शुरू कर सकते हैं।

क्यूरेटर

मैच से पहले और मैच के दौरान अक्सर इस बात की काफी चर्चा होती है कि पिच कैसी है। क्या यह बल्लेबाजों को ज्यादा सपोर्ट करेगी या फिर तेज गेंदबाजों और स्पिनरों को। सही मायने में, क्रिकेट के खेल का यह सबसे अहम हिस्सा भी है। इस तरह की पिचें जो तैयार करते हैं, उन्हें क्यूरेटर कहा जाता है। ऐसे लोगों को मिट्टी और मौसम दोनों की अच्छी समझ होती है। एक क्यूरेटर बनने के लिए प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेलने या फिर इंटरनेशनल क्रिकेट सेंटर्स में काम करने का अनुभव होना चाहिए। इसके बाद बीसीसीआइ से इससे संबंधित सर्टिफिकेट कोर्स किया जा सकता है।

फिजियोथेरेपिस्ट

खेलों के लिए खिलाड़ी खुद को फिट कैसे रखें, ताकि उनका परफार्मेंस लगातार अच्छा बना रहे, यह मार्गदर्शन उन्हें एक फिजियोथेरेपिस्ट ही दे सकता है। इसलिए खेलों के आयोजनों से लेकर विभिन्न ट्रेनिंग एकेडमीज/सेंटर्स में आजकल ऐसे प्रोफेशनल की काफी जरूरत देखी जा रही है। तमाम बड़े-बड़े खिलाड़ी निजी तौर पर भी ऐसे प्रोफेशनल्स की सेवाएं लेते हैं, ताकि चोट से वे जल्दी रिकवर हो सकें। कुल मिलाकर, फिजियोथेरेपिस्ट ही खिलाड़ियों को चोट से उबारकर उन्हें दोबारा फील्ड पर उतरने के काबिल बनाता है। जहां तक कोर्स की बात है, तो बीसीसीआइ लेवल एक और लेवल दो के फिजियोथेरेपी कोर्स संचालित करता है। लेकिन इसके लिए क्रिकेट में दिलचस्पी होनी चाहिए।

अंपायर

मैदान में खेल को सुचारु रूप से संचालित करने, आउट होने का फैसला करने, खिलाड़ियों को अनुशासित रखने में अंपायर की भूमिका अहम होती है। खेल के दौरान दो मैदानी अंपायर और एक मैच रेफरी होता है। मैदानी अंपायर के फैसले पर आपत्ति होने पर रिप्ले का सूक्ष्म अध्ययन करके मैच रेफरी आउट होने या नाटआउट के बारे में अंतिम फैसला करता है। अंपायरिंग में गहरी रुचि होने और खेल की बारीकियों, तकनीक से अवगत रहने वाले लोग खुद को अंपायर के रूप में आगे बढ़ा सकते हैं। अपनी प्रतिभा और प्रदर्शन के आधार पर अंतरराष्ट्रीय स्तर के अंपायरिंग पैनल में शामिल हुआ जा सकता है।

अन्य आकर्षक विकल्प

खेलों में अपने अनुभव और विशेषज्ञता के आधार टीम मैनेजर, फिटनेस इंस्‍ट्रक्‍टर, स्कोरर, स्टैटिशियन, डाइटिशियन, स्पोर्ट्स जर्नलिस्ट आदि के रूप में करियर बना सकते हैं। बीपीएड/एमपीएड कोर्स करके आप स्कूल-कालेजों में फिजिकल टीचर के रूप में खुद को आगे बढ़ा सकते हैं। नेशनल लेवल पर खेलने वाले खिलाडि़यों के लिए आर्मी, पुलिस और रेलवे आदि में भी सरकारी नौकरियों के मौके होते हैं। सार्वजनिक क्षेत्र के कई उपक्रम और बड़ी निजी कंपनियां भी अपनी टीम रखती हैं।

ऐसे निखारें खुद को

जो बच्चे, किशोर में ही अपना करियर बनाना चाहते हैं, उन्हें इसके लिए शुरुआत से ही इस खेल में रुचि पैदा करनी होगी और कम से कम क्रिकेट के किसी दो एरिया में खुद को निखारते हुए कुशलता हासिल करने पर ध्यान देना होगा। वैसे, बच्चों को क्रिकेट सीखने की यह शुरुआत बचपन (चार-पांच वर्ष की उम्र) से ही कर देनी चाहिए। क्योंकि तभी खेलों के प्रति रुचि बच्चों में आसानी से विकसित की जा सकती है। इसलिए अभिभावकों को भी समय रहते अपने बच्चों की खेल प्रतिभा को पहचान कर उन्हें आगे बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए। आजकल देश के तकरीबन हर छोटे-बड़े शहर में क्रिकेट का प्रशिक्षण देने के लिए बहुत सी स्पोर्ट एकेडमीज संचालित हो रही हैं, जहां पर क्रिकेट की बेसिक ट्रेनिंग लेकर खुद को आगे बढ़ाया जा सकता है।

खेल मंत्रालय के अधीन कार्यरत स्पोर्ट्स अथारिटी आफ इंडिया की ओर से भी देश के प्रमुख शहरों में बहुत सी स्‍पोर्ट्स एकेडमीज इस तरह का प्रशिक्षण बच्चों को दे रही हैं। आमतौर पर ये एकेडमीज बच्चों को पांच से आठ वर्ष, नौ से 14 वर्ष और 15 वर्ष की उम्र कैटेगरी के अनुसार प्रवेश देते हुए उनकी ग्रूमिंग करती हैं। साथ ही, एकेडमीज के कोच यह भी देखते हैं कि खेल के किस एरिया में बच्चे की अधिक रुचि है। फिर उसे उसी खेल और सेगमेंट के अनुसार आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। इन एकेडमीज या स्पोर्ट्स कालेज द्वारा स्टूडेंट्स को इंटर सिटी व इंटर स्टेट लेवल की प्रतिस्पधाओं में भी भेजा जाता है। बाद में यहीं से अपने खेल प्रदर्शन के आधार पर खिलाड़ी अंडर-15 ,अंडर-17/18 , अंडर-19 या अंडर-22 जैसी टीमों में खेलते हुए अपने प्रदर्शन के बल पर नेशनल/इंटरनेशनल टीम और आइपीएल टीम का हिस्सा बनते हैं। स्कूल, कालेज या विश्वविद्यालय की टीम से जुड़कर भी खुद को आगे बढ़ाया जा सकता है।

कोचिंग के साथ-साथ खुद भी राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों के वीडियो देखकर तकनीक सीख सकते हैं और अपनी प्रतिभा के अनुसार इनोवेशन के साथ विशेषज्ञता भी हासिल कर सकते हैं। जैसे जसप्रीत बुमराह ने यार्कर फेंकने में विशेषज्ञता हासिल की है। श्रीलंका के स्पिनर मुथैया मुरलीधरन अपने 'दूसरा' (खास गेंद) के लिए जाने जाते थे, जबकि वहीं के मलिंगा का यार्कर भी बल्लेबाजों को हैरान करता था।

क्रिकेट में बेशुमार करियर संभावनाएं

क्रिकेट कोच कपिल पांडेय ने बताया कि बच्‍चों को अगर अपना करियर क्रिकेट में बनाना है, तो उन्‍हें सबसे पहले सही उम्र में ही ग्राउंड में आ जाना चाहिए और किसी कोच के मार्गदर्शन में इसकी बारीकियों को सीखना चाहिए। मुझे लगता है क्रिक्रेट सीखने के लिए सही उम्र आठ से साढ़े आठ साल बीच ठीक है, क्‍योंकि इस दौरान तीन-चार साल का लंबा समय रहता है, जिसमें अपने स्किल डेवलपमेंट पर ध्‍यान देना चाहिए। जब शुरुआत के दिनों में स्किल डेवलपमेंट सही से हो जाता है, तो वह आने वाले दिनों में बड़ा महत्‍वपूर्ण रोल अदा करता है। जब बच्‍चा अंडर 14 तक पहुंच जाए, तो उसका फिटनेस उस समय कम रहता है, तब उसे इसे इंप्रूव करने पर फोकस करना चाहिए, क्‍योंकि जब बच्‍चों का फिटनेट और स्किल मजबूत रहेगा, तो बहुत जल्‍दी वह आने वाले क्रिकेट में एक युवा खिलाड़ी के रूप में खुद को स्‍थापित कर सकेगा। कुल मिलाकर, मेरा मानना यही है कि क्रिकेट के अंदर कहीं भी शार्टकट नहीं चलता है।

आपको कड़ी मेहनत करके अपनी बालिंग, बैटिंग और फील्डिंग इन सभी को ठीक करने पर ध्‍यान देना होगा। इसके साथ ही, क्रिकेट में केवल स्किल से ही काम नहीं चलने वाला, आपका चरित्र और अनुशासित जीवन शैली भी मायने रखता है, जिसमें समय से खाना, सोना और पढ़ाई करना सब शामिल है। अंतोत्‍गत्‍वा आपको आगे बढ़ाने में यही चीजें काम आती हैं। अगर करियर की बात करें, तो यहां खिलाड़ी के अलावा, एमपीएड/बीपीएड करके टीचर बन सकते हैं, एनआइएस करके कोच बन सकते हैं, मैच खेल कर आप अम्‍पायर और रेफरी के साथ ही क्‍यूरेटर बन सकते हैं यानी क्रिकेट के अंदर इतनी संभावनाएं हैं कि कोई भी यहां बेरोजगार नहीं रह सकता है। बस, आपको अपने को एक्‍सपर्ट बनाने पर ध्‍यान देने की जरूरत है और समय के साथ खुद को रिफ्रेश करते रहें।


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