रेलवे बोर्ड के एक फैसले से रेल कर्मचारियों की वर्षों पुरानी मांग हुई पूरी, जानिए क्या थी उनकी मांग ?
ट्रेन में तैनात गार्ड अब ट्रेन मैनेजर के नाम से जाने जाएंगे। कर्मचारी यूनियन पिछले काफी समय से इस बदलाव की मांग कर रहे थे। रेलवे बोर्ड के इस फैसले रेल कर्मचारियों की वर्षों पुरानी मांग पुरी हो गई है।
नई दिल्ली [संतोष कुमार सिंह]। ट्रेन में तैनात गार्ड अब ट्रेन मैनेजर के नाम से जाने जाएंगे। इस संबंध में रेलवे बोर्ड ने सभी क्षेत्रीय रेलवे को पत्र जारी कर दिया है। कर्मचारी यूनियन पिछले काफी समय से इस बदलाव की मांग कर रहे थे। रेलवे बोर्ड के इस फैसले रेल कर्मचारियों की वर्षों पुरानी मांग पुरी हो गई है। वर्ष 2004 से गार्ड के पदनाम बदलने की मांग की जा रही थी। तर्क दिया जा रहा था कि गार्ड का काम सिर्फ सिग्नल के लिए झंडी व टार्च दिखाना नहीं है।
यात्री ट्रेनों में यात्रियों की जरूरतों को पूरा करने के साथ ही पार्सल सामग्री का निष्पादन, यात्रियों की सुरक्षा और ट्रेन की संरक्षा भी गार्ड के जिम्मे है। ऐसे में पदनाम बदलना आवश्यक है। इसे लेकर पिछले वर्ष नवंबर में कर्मचारी संगठनों के पदाधिकारियों की रेलवे बोर्ड के अधिकारियों के साथ बैठक हुई थी जिसमें पदनाम बदलने को लेकर सहमति बन गई थी।
उसके बाद से इस संबंध में आदेश जारी होने की उम्मीद की जा रही थी।
अधिकारियों का कहना है कि पदनाम बदलने से जिम्मेदारी में किसी तरह का बदलाव नहीं होगा। स्टेशन मैनेजर की जिम्मेदारी पहले की तरह रहेगी। कर्मचारी यूनियन के नेताओं का कहना है कि इस फैसले से गार्ड को उनके कांव जिम्मेदारी के अनुरूप पदनाम मिलेगा।
पुराना पदनाम- नया पदनाम
- असिस्टेंट गार्ड-असिस्टेंट पैसेंजर ट्रेन मैनेजर
- गुड्स गार्ड-गुड्स ट्रेन मैनेजर
- सीनियर गुड्स गार्ड-सीनियर गुड्स ट्रेन मैनेजर
- सीनियर पैसेंजर गार्ड-सीनियर पैसेंजर ट्रेन मैनेजर
- मेल/एक्सप्रेस गार्ड-मेल/एक्सप्रेस ट्रेन मैनेजर