एक राज्य की रफ्तार, वहां की आर्थिक स्थिति, उसका विकास... सब उद्योग जगत पर निर्भर
दिल्ली-एनसीआर के संदर्भ में यह बात और भी महत्वपूर्ण है। यहां के शहर औद्योगिक विकास की दृष्टि से एक-दूसरे से परस्पर जुड़े हैं। ये सहयोग करें तो यहां विकास को पंख लग सकते हैं। इसके लिए एक मजबूत औद्योगिक नीति की जरूरत है जो उद्योगों का आधार होती है।
नई दिल्ली, जेएनएन। एनसीआर के शहरों में उद्यमी ऐसी नीति की कमी से जूझ रहे हैं। यही नहीं, बीते कुछ सालों से दिल्ली- एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण ने उद्योग जगत को खासा प्रभावित किया है। पर्यावरण अनुकूल संसाधन नहीं होने के कारण कभी कारखानों को बंद रखने का आदेश, तो कभी जेनरेटर न चलाने का फरमान।
यहां तक कि प्रदूषण का हवाला देकर औद्योगिक इकाइयों को अन्यत्र स्थानांतरित भी कर दिया जाता है। उद्यमियों की परेशानी को देखते हुए दिल्ली सरकार ने औद्योगिक नीति में बदलाव किया। हरियाणा सरकार ने भी औद्योगिक इकाई को प्रदूषण रहित बनाने के लिए उपकरण लगाने पर सब्सिडी नीति बनाई।
अब उद्यमियों को रीति-नीति के साथ चलना है। उनके आगे अड़चन यह है दिल्ली, हरियाणा के ये नियम एनसीआर के सभी जिलों में नहीं हैं। दिल्ली के उद्यमी अपनी प्रदूषित इकाइयों के लिए भी एनसीआर में सुरक्षित जगह तलाश रहे हैं। औद्योगिक संगठनों की मांग पर हरियाणा सरकार सैद्धांतिक रूप से सहमति भी दे चुकी है।
इसमें एनसीआर में उद्योगों के लिए राज्यों से अलग एक नई नीति बनने की बात है। अब सवाल यह उठता है कि यह नीति बनाने के लिए पहल कौन करे? इस नीति को बनाने से एनसीआर में औद्योगिक विस्तार को कैसे गति मिलेगी? उद्यमियों-कर्मचारियों की सुविधा के लिए क्या प्रयास किए जाएं? इसी की पड़ताल करना हमारा आज का मुद्दा है
आदेशों पर अमल में दिखानी होगी तत्परता
दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का एक बड़ा कारण यहां की औद्योगिक इकाइयों को माना जाता है। इन पर लगाम लगाने के लिए एनजीटी, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सहित हरियाणा और उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा समय-समय आदेश दिए जाते रहे हैं। दिल्ली एनसीआर में कितनी हैं छोटी-बड़ी औद्योगिक इकाइयां, कितनी हो चुकी हैं गैस चालित, जानेंगे आंकड़ों की जुबानी।
ये था सीपीसीबी का आदेश
27 नवंबर, 2020 को सीपीसीबी ने लिखित आदेश जारी कर हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और राजस्थान सरकार को निर्देश दिया था कि एनसीआर में शामिल सभी जिलों में किसी भी नई औद्योगिक इकाई को उसी आधार पर अनापत्ति प्रमाण पत्र दिया जाए कि वह किसी स्वच्छ ईंधन यानी पीएनजी, सीएनजी, एलपीजी और बायोगैस से ही संचालित की जाएगी।
दादरी, खुर्जा और बुलंदशहर के 80 गांव की जमीन लेकर नया नोएडा (दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद इनवेस्ट रीजन) विकसित करने की योजना तैयार है। 80 गांव की 20 हजार हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण कर औद्योगिकरण किया जाना प्रस्तावित है।
दिल्ली सरकार के उद्योग मंत्री सत्येंद्र जैन ने बताया कि हमारा मकसद है कि दिल्ली में या तो ऐसे उद्योग लगाए जाएं जिनसे प्रदूषण न हो या फिर दूसरे तरह के कार्य शुरू किए जाएं। दिल्ली सरकार ने पिछले साल केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा था जिस पर केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय अधिसूचना जारी कर चुका है।
अभी तक सेवा से संबंधित उद्योग मास्टर प्लान में आफिस की श्रेणी में आते थे, जिनके लिए जमीन काफी महंगी मिलती थी। ऐसे में ये उद्योग नोएडा, फरीदाबाद व गुरुग्राम चले जा रहे थे। अब ये फिर से दिल्ली में लौटने लगेंगे।