विहिप के नए कार्याध्यक्ष का संकल्प, अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण होकर ही रहेगा
बोले कुमार, अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हो यह किसी एक की भावना नहीं है बल्कि देश-दुनिया में रहने वाले करोड़ों हिन्दुओं की भावना है।
गुरुग्राम [ आदित्य राज ] । वर्षों तक विश्व हिन्दू परिषद के पर्याय बने रहे निवर्तमान अंतरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष डॉ. प्रवीण तोगडिय़ा की जगह वरिष्ठ अधिवक्ता आलोक कुमार को कार्याध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई है। उन्होंने जिम्मेदारी संभालने के साथ ही अपनी सक्रियता तेज कर दी।
रविवार से ही वह सभी विषयों पर एक साथ काम शुरू कर देंगे। उनका मानना है कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हो यह किसी एक की भावना नहीं है बल्कि देश-दुनिया में रहने वाले करोड़ों हिन्दुओं की भावना है। करोड़ों हिन्दुओं की भावना का ही आवाज बनकर परिषद सामने है। मंदिर का निर्माण होकर रहेगा।
शनिवार को दैनिक जागरण से खास बातचीत में आलोक कुमार ने कहा कि वह लंबे समय से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े हुए हैं। विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) के काफी मुकदमें अधिवक्ता के नाते लड़ चुके हैं। राजनीतिक, सामाजिक एवं धार्मिंक संगठनों से उनका जुड़ाव शुरू से रहा है।
नई जिम्मेदारी उनके लिए बहुत बड़ी चुनौती नहीं है। वह देश-दुनिया के करोड़ों हिन्दुओं के सहयोग से काम करेंगे। करोड़ों लोगों की इच्छा है कि अयोध्या में भगवान श्रीराम के मंदिर का निर्माण हो। इसके लिए वर्षों से प्रयास चल रहा है। जल्द ही मंदिर का निर्माण होगा।
यदि कोई कहता है कि राम मंदिर निर्माण का आंदोलन कम हो गया है या हो जाएगा तो यह सोच गलत है। राम मंदिर निर्माण का आंदोलन किसी संगठन का नहीं है बल्कि देश-दुनिया के करोड़ों हिन्दुओं का आंदोलन है। विहिप या कोई संगठन केवल चेहरा है।
सामाजिक समरस्ता का संदेश देंगे
आलोक कुमार ने कहा कि देश के भीतर सामाजिक समरसता का भाव पैदा करने के ऊपर जोर देने की विशेष आवश्यकता है। वह रविवार को सबसे पहले भगवान बाल्मीकी मंदिर में पूजन करने के लिए जाएंगे। हिन्दू समाज में कहीं भी किसी भी स्तर पर बिखराव न दिखाई दे, इसके लिए विशेष रूप से प्रयास करेंगे।
इसके लिए समरसता के ऊपर विशेष रूप से काम करना होगा। समय-समय पर कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। देश को यदि मजबूत बनाना है तो सामाजिक समरसता के ऊपर काम करना होगा। विहिप किसी धर्म के खिलाफ नहीं है बल्कि देश के खिलाफ आवाज बुलंद करने वालों के खिलाफ है।
यह देश सबका है। यह भाव हर किसी के मन में होना चाहिए। जब भाव रहेगा फिर कहीं से भी देश के खिलाफ आवाज बुलंद नहीं होगी।
कोई व्यक्ति संगठन से बड़ा नहीं होता है
क्या डॉ. तोगडिय़ा की जगह दिए जाने का आपके ऊपर दबाव रहेगा, इस पर आलोक कुमार ने कहा कि उन्होंने संगठन की मजबूती के लिए बेहतर प्रयास किए हैं। यह प्रयास संगठन के माध्यम से किए हैं। संगठन बड़ा है न कि व्यक्ति। जब भी कोई व्यक्ति संगठन से अपने आपको बड़ा समझ लेता है, वहीं से गलती शुरू हो जाती है।
डॉ. तोगडिय़ा का यह कहना कि निवर्तमान अध्यक्ष राघव रेड्डी की हार देश के करोड़ों हिन्दुओं की भावना के खिलाफ है, यह गलत है। संगठन में व्यवस्था संचालन हेतु जिम्मेदारी दी जाती है अन्यथा सभी मिलजुलकर काम करते हैं।
200 लोगों का देह दान करा चुके हैं आलोक कुमार
उत्तरप्रदेश के बदायूं जिले के गांव बिसौली में चार सितंबर 1952 को जन्मे आलोक कुमार की विशेष पहचान दिल्ली ही नहीं देश में दधीचि देह दान समिति के संरक्षक के रूप में है। वह अब तक मृत्यु के बाद 200 देह दान करा चुके हैं। अपने माता-पिता का भी देह दान कर चुके हैं। मेडिकल कॉलेज को दान किया जाता है।
दिल्ली उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में भी पहचान है। वर्ष 1973 से 1974 के बीच दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष रहे। 1993 से 1995 के बीच दिल्ली विधानसभा के उपाध्यक्ष रहे। भारत प्रकाशन के प्रबंध निदेशक हैं। इसके अलावा भी कई संगठनों से जुड़े हुए हैं। आलाेक कुमार आरएसएस के दिल्ली प्रांंत के सहसंघचालक भी हैं।