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EXCLUSIVE : मिड-डे मील में फिर मिली छिपकली, बच्‍चों के स्‍वास्‍थ्‍य से हो रहा खिलवाड़

दिल्ली सरकार ने मिड-डे मील आपूर्ति करने वाली संस्था आर्य नवयुग शिक्षा समिति के खिलाफ मामला दर्ज कराने के आदेश दिए हैं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Thu, 12 Jul 2018 09:33 AM (IST)Updated: Thu, 12 Jul 2018 11:40 AM (IST)
EXCLUSIVE : मिड-डे मील में फिर मिली छिपकली, बच्‍चों के स्‍वास्‍थ्‍य से हो रहा खिलवाड़
EXCLUSIVE : मिड-डे मील में फिर मिली छिपकली, बच्‍चों के स्‍वास्‍थ्‍य से हो रहा खिलवाड़

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। मिड-डे मील की गुणवत्‍ता को लेकर सवाल उठते रहे हैं। अब नरेला के एक विद्यालय के मिड-डे मील में छिपकली मिली, जिसे खाकर 28 छात्राएं बीमार पड़ गईं। ऐसी घटनाएं पिछले काफी समय से हो रही है। लेकिन हर बार थोड़ा हल्‍ला होने के बाद फिर मामला ठंडा हो जाता है। मिड-डे मील के जरिए बच्‍चों के स्‍वास्‍थ्‍य से खिलवाड़ का ये खेल बंद होने का नाम नहीं ले रहा है। लगातार हो रही इन घटनाओं से साफ है कि सरकार मिड-डे मील की गुणवत्‍ता सुधारने की दिशा में असफल रही है।

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नरेला क्षेत्र के बांकनेर गांव स्थित राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के मिड-डे मील में बुधवार को एक छिपकली मिली। इस मिड-डे मील को खाकर 28 छात्राएं बीमार पड़ गईं। छठी से आठवीं कक्षाओं की इन छात्राओं को नरेला स्थित सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र अस्पताल में भर्ती कराया गया। हालांकि देर शाम सभी को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। उधर, छात्राओं का हाल जानने पहुंचे दिल्ली सरकार के समाज कल्याण मंत्री राजेंद्र पाल गौतम को अभिभावकों ने घेर लिया और खूब खरी-खोटी सुनाई। दिल्ली सरकार ने मिड-डे मील आपूर्ति करने वाली संस्था आर्य नवयुग शिक्षा समिति के खिलाफ मामला दर्ज कराने के आदेश दिए हैं।

मिड-डे मील में छिपकली मिलने और छात्राओं के अस्पताल में भर्ती होने की सूचना पर दिल्ली सरकार के समाज कल्याण मंत्री राजेंद्र पाल गौतम अस्पताल पहुंचे। सातवीं कक्षा की छात्रा पूजा ने मंत्री को बताया कि जो मिड-डे मील उन्हें दिया गया, उसमें छिपकली थी। इस पर मंत्री ने पूरे मिड-डे मील को कब्जे में लेकर आपूर्ति करने वाली एजेंसी के खिलाफ मामला दर्ज कराने के आदेश अधिकारियों को दिए। बाद में मिड-डे मील के कुछ सैंपल जांच के लिए भेज दिए गए।

अभिभावकों ने मंत्री को घेरा
अस्पताल में भर्ती छात्राओं का हाल जानने के बाद मंत्री राजेंद्र पाल जब वापस गाड़ी में बैठने लगे तो अभिभावक उनकी गाड़ी के सामने आ गए। उन्होंने मंत्री से सवाल किया कि मिड-डे मील में कभी छिपकली तो कभी कॉकरोच आदि मिलने की शिकायत आ रही है, लेकिन सरकार कुछ नहीं कर रही है। केवल बयानबाजी होती है। आखिर कब तब ऐसा चलेगा। मंत्री ने अभिभावकों को समझाने का प्रयास किया, लेकिन वह इस जिद पर अड़े थे कि सरकार यह ठोस आश्वासन दे कि भविष्य में इस तरह की कोई गड़बड़ी नहीं होगी। अभिभावकों का आक्रोश देख मौके पर मौजूद पुलिस अफसरों ने मंत्री को उनकी गाड़ी में बैठाकर रवाना कर दिया। अधिकांश अभिभावक मिड-डे मील नीति को लेकर सरकार की कोसते दिखे।

कल्याणपुरी में भी मिड-डे मील में मिली थी छिपकली
कल्याणपुरी इलाके में स्थित सर्वोदय कन्या विद्यालय में शनिवार को मिड-डे मील में छिपकली पाई गई। मिड-डे मील खाने से दो छात्राएं बीमार हो गई थीं। उन्हें लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल में भर्ती कराया गया था। सूचना पर उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया स्कूल पहुंचे थे और आपूर्ति करने वाली फर्म का ठेका रद कर दिया था।

गुणवत्ता सुधारने में विफल रही सरकार
मिड-डे मील की गड़बड़ियों ने एक बार फिर स्कूली बच्चों के अभिभावकों को चिंता में डाल दिया है। खाने की गुणवत्ता में बार-बार खामियों के मिलने के बावजूद इसे गंभीरता से नहीं लिया जाना दिल्ली सरकार की बड़ी विफलता है। पिछले एक हफ्ते के भीतर दो ऐसी घटनाओं ने मिड-डे मील को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। पहले पूर्वी दिल्ली के कल्याणपुरी में दो बच्चियों का बीमार होना और अब उत्तरी दिल्ली के नरेला में भोजन में छिपकली मिली है। गौर करने वाली बात यह है कि आखिर भोजन की गड़बड़ियों और उसकी प्रक्रियाओं के बारे में कैसे पता चलेगा। अफसोस की बात है कि खाने की शुद्धता की जांच को लेकर अबतक विशेष गाइडलाइंस भी नहीं बनाई गई हैं।

सूचना के अधिकार के तहत पांच वर्षों में दिए गए जवाब के अनुसार, शिक्षा निदेशालय में भेजे गए मिड-डे मील के सैंपल में 90 फीसद फेल हो जाते हैं। मौजूदा हालात को देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि आज भी इनमें कोई सुधार नहीं हुआ है और इन घटनाओं से यह साबित हो जाता है। दिल्ली सरकार के स्कूलों से लेकर नगर निगम के स्कूलों में भी मिड-डे मील को लेकर हालात एक जैसे ही है। करोड़ों रुपये का बजट तैयार करने के बाद भी समस्याओं का अंत नहीं हो सका है। भोजन में पोषक तत्वों की कमी को लेकर भी शिकायतें लगातार आती रहती हैं और अक्सर बच्चे खाने में स्वाद ठीक नहीं होने की भी बात करते हैं, लेकिन उनकी शिकायतों को हमेशा नजरअंदाज किया जाता है।

आज भी वर्ष 2011 जैसे हालात
गौरतलब है कि वर्ष 2011 में सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी में शिक्षा निदेशालय ने बताया था कि पांच वर्ष में मिड-डे मील के 2244 सैंपल जांच के लिए भेजे गए। इनमें से मात्र 246 सैंपल ही बिना किसी रुकावट के पास हो सके। ऐसे में मौजूदा समय में लगातार हो रही गड़बड़ियों को देखकर इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि हालात में कोई सुधार नहीं हुआ है। आज भी पूर्वी दिल्ली सहित उत्तरी दिल्ली के मंगोलपुरी, किराड़ी, बवाना, सुल्तानपुरी, नरेला, जहांगीरपुरी समेत कई ऐसे इलाके हैं, जहां के स्कूलों में बच्चे दिए जाने वाले भोजन से संतुष्ट नहीं हैं। इसमें कोई दो राय नहीं कि अभावग्रस्त और निर्धन परिवार के बच्चों के पास इस भोजन को खाने के अलावा दूसरा विकल्प नहीं होता। जानकारों के मुताबिक शिक्षा के क्षेत्र में काफी पैसे खर्च किए जाने के बाद भी मिड-डे मील की गुणवत्ता को सुधारा नहीं जा सका है।

एजेंसियों के साथ ही स्कूल की भी जांच बेहद जरूरी
मिड-डे मील को बनाने और उसे स्कूलों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी लेने वाली एजेंसियों पर कई बार कार्रवाई भी हुई है। लेकिन, हकीकत यह है कि आज भी ये एजेंसियां बिना किसी जांच के स्कूलों में भोजन भेज रही हैं। वहीं, इस तरह के मामलों में स्कूलों की जांच को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि भोजन बांटने से लेकर इसकी जांच की जिम्मेदारी स्कूल की भी है, जिसमें अधिकतर स्कूल विफल रहे हैं।

भिनभिनाती मक्खियों के बीच पक रहा नौनिहालों का भोजन
दूषित मिड-डे-मील खाकर भले ही बच्चों की तबीयत खराब हो जाए, लेकिन आपूर्ति एजेंसी की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ता। निगम के स्कूलों में भोजन की आपूर्ति करने वाली एजेंसी की रसोई में मक्खियों के बीच बच्चों के लिए भोजन पकाया जा रहा था। पूर्वी निगम शिक्षा समिति के चेयरमैन राजकुमार बल्लन ने शाहदरा उत्तरी जोन की तीन प्रमुख एजेंसियों दलित मानव उत्थान संस्था दयालपुर, भारतीय मानव कल्याण परिषद मंडोली रोड और स्त्री शक्ति गोकलपुर की रसोई का औचक निरीक्षण किया तो सफाई व्यवस्था की कलई खुल गई। दलित मानव उत्थान संस्था की रसोई देखकर चेयरमैन दंग रह गए। रसोई में मक्खियां भिनभिना रही थीं। शिक्षा विभाग के सहायक निदेशक (योजना) अंबुज कुमार ने तो इतना तक कह दिया कि उन्होंने अपने जीवन में किसी रसोई में इतनी मक्खियां नहीं देखी।

रसोई के बाहर संस्था का बोर्ड भी नहीं लगा था। इस पर शिक्षा समिति के चेयरमैन ने संस्था के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए। वहीं, गोकलपुर स्थित स्त्री शक्ति की रसोई में सफाई व्यवस्था तो संतोषजनक थी, लेकिन मिड-डे-मील में प्रयुक्त खाद्य सामग्री तय मानक वाले नहीं थी। भारतीय मानव कल्याण परिषद मंडोली रोड की रसोई में भी सफाई एवं रखरखाव की व्यवस्था में घोर लापरवाही पाई गई। राजकुमार बल्लन ने कहा कि सभी आपूर्तिकर्ताओं को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।

‘अक्षयपात्र’ को लाने पर दिल्ली सरकार कर सकती है विचार
सरे राज्यों में मिड-डे-मील उपलब्ध करा रहे संगठन ‘अक्षयपात्र’ को दिल्ली के स्कूलों के लिए इस जिम्मेदारी को सौंपने पर सरकार जल्द विचार कर सकती है। इससे पहले भी सरकार ने पायलट प्रोजेक्ट के तहत इस संगठन को जमीन देने का फैसला किया था, लेकिन एलजी ने बिना टेंडर उन्हें सुविधा लेने को गलत बताते हुए प्रोजेक्ट रोक दिया था। सरकार का तर्क है कि अक्षय पात्र अन्य राज्यों में भी बेहतर सुविधा दे रही है। इसे अन्य राज्य सरकारों ने बेहतर सर्विस के आधार पर उसे चुना। ऐसे में सरकार भी वही सुविधा बच्चों को देना चाहती है। समाज कल्याण विभाग के मंत्री राजेंद्र पाल गौतम का कहना है कि पिछली बार अधिकारियों के कारण जमीन देने व अन्य में प्रोजेक्ट फंस गया था, लेकिन सरकार अब इस दिशा में काम कर रही है।

सरकार के साथ एजेंसी संचालकों की बैठक आज
राजधानी के सरकारी स्कूलों में मिड-डे-मील की गुणवत्ता को लेकर दिल्ली सरकार ने बृहस्पतिवार को बैठक बुलाई है। बुधवार को फिर से मिड-डे-मील में छिपकली मिलने की घटना के बाद से सरकार सख्त हो गई है। ऐसे एनजीओ से मिड-डे-मील उपलब्ध कराने का करार सरकार रद सकती है। इस संबंध में शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि बुधवार को फिर से खाने में छिपकली पाई गई है। इससे पहले भी ऐसी घटना सामने आ चुकी है। उन्होंने कहा कि बृहस्पतिवार को मिडडे-मील परोस रहीं सभी एजेंसी संचालकों की बैठक बुलाई गई है है जो इसके लिए किचन की सुविधा उपलब्ध करवा रही हैं।

इस बैठक में शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी एजेंसी संचालकों से उनके द्वारा गुणवत्ता के लिए उठाए जा रहे कदम के बारे में जानकारी हासिल करेंगे। उन्होंने कहा कि यदि जो एनजीओ बच्चों को पौष्टिक आहार नहीं दे सकते तो वे अपना किचन बंद कर दें। बच्चों को बेहतर भोजन देना ही सरकार का उद्देश्य है। इससे पहले भी कल्याणपुरी में ऐसी घटना सामने आई थी। उसमें दो बच्चे बीमार हो गए थे। उन्होंने कहा कि किचन चलाने वालों की लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी। उन्हें पहले भी कहा जा चुका है कि किचन की जगह को साफ-सुथरा रखें। समय-समय पर पेस्ट कंट्रोल करवाएं। इसके बावजूद ऐसी घटना होती है तो उन्हें हटा दिया जाएगा। नरेला, बांकनेर के राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में मिड-डे- मील में मिली छिपकली के मामले में एफआइआर दर्ज होगी। 


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