मौसम बदलने के साथ घातक होगा कोरोना संक्रमण और वायु प्रदूषण, बचाव के लिए करें ये उपाय
दिल्ली के मैक्स हेल्थकेयर के मेटाबॉलिक एंड बैरियाट्रिक सर्जरी के चेयरमैन डॉ. प्रदीप चौबे ने बताया कि मौसम बदलने के साथ वायु प्रदूषण में वृद्धि व कोरोना संक्रमण के जोखिम ने जीवन के लिए खतरा बढ़ा दिया है। जब तक वैक्सीन नहीं आती हमें बचने के सारे उपाय अपनाने होंगे...
नई दिल्ली, जेएनएन। कोविड-19 ने बहुत सारी जिंदगियों पर असर डालने के साथ ही दुनियाभर की स्वास्थ्य प्रणालियों को प्रभावित किया है। इसका संक्रमण और वैक्सीन आने में देरी वर्तमान की बड़ी चुनौतियां हैं। वायरस का खौफ अभी भी कायम है और दवा निर्माता कोविड-19 के लिए विशेष उपचार तथा सुरक्षित वैक्सीन विकसित करने के लिए प्रयासरत हैं।
वहीं वायु प्रदूषण दशकों से दिल्ली के नागरिकों की जिंदगी का हिस्सा बना हुआ है। मौसम में बदलाव के साथ जैसे ही हम सर्दी की ओर बढ़ते हैं, वायु प्रदूषण के खतरे में वृद्धि होने लगती है। प्रदूषण, पर्यावरण में ऐसे पदार्थों को मिला देता है, जो मनुष्यों की सेहत और जीवन की गुणवत्ता की सामान्य कार्यशीलता को प्रभावित करते हैं। उद्योगतथा वाहनों से होने वाले उत्सर्जन के अलावा पराली (खेती की कटाई के बाद बचे अवशेष) को जलाना, सड़क की धूल, निर्माण गतिविधियां और कूड़े-कचरे को जलाना भी शहरों के प्रदूषण को बढ़ाने में योगदान दे रहा है।
पुराने वाहनों के शहर में प्रवेश पर प्रतिबंध, पॉवर स्टेशनों को बंद करना और यहां तक कि पराली की आग से उत्पन्न होने वाले प्रदूषकों को कम करने के बहुत सारे प्रयास किए गए हैं, लेकिन यह प्रयास कुछ हद तक ही सफल हुए हैं। हर साल इस समय हम प्रदूषण की भयावह समस्या का सामना करते हैं, जिससे छाती में होने वाले संक्रमणों में वृद्धि के कारण आईसीयू बेड्स और सांस के रोगियों से अस्पताल भर जाते हैं। इस बार तो कोविड-19 और वायु प्रदूषण का घातक मिश्रण है, जो डॉक्टरों की चिंता को बढ़ा रहा है।
वायु प्रदूषण और कोविड-19 का साथ: वायु की खराब गुणवत्ता तथा कोविड-19 लोगों में सांस से संबंधित समस्याओं को सक्रिय करने के लिए एक घातक संयोजन है और अब तो यह राजधानी के लोगों की सेहत से जुड़ी एक बड़ी समस्या बन गया है। छोटे कणों वाले पदार्थ और हवा की गति में वृद्धि वायरस को तेजी से दूर-दूर तक फैला सकती है। कोरोना पीड़ितों की बढ़ती संख्या और साथ में विषाक्त जहरीली वायु सेहत के लिए एक खतरनाक स्थिति है। सांस लेने के लिए हवा फेफड़ों में जाती है। इसमें कोविड-19 तथा विषैले प्रदूषकों का मिश्रण होने से फेफड़ों में जलन जैसी समस्याएं होंगी, जो नुकसान पहुंचाएगी और संक्रमण को सहज बनाएंगी। जिससे संक्रमित होने पर रोगी की स्थिति और तेजी से बिगड़ेगी।
अभी मास्क ही बचाएगा : प्रदूषित वायु के संपर्क में आने से दिल तथा सांस से संबंधित रोगों के कारण होने वाली समस्याएं इंसान को समय से पहले मृत्यु की ओर ले जाती हैं। कोविड-19 महामारी के व्यापक पहलुओं के बीच वायु की गुणवत्ता में आवश्यक वृद्धि एक प्रमुख समाधान है। सर्वाइवल चेन का नारा है, ‘आपका मास्क मुझे बचाता है और मेरा आपकी रक्षा करता है।’ अभी मास्क पहनने के नियम का पालन ही इस समस्या का एकमात्र हल है, जो कोरोना और प्रदूषकों को नियंत्रित करके दोहरी सुरक्षा देता है।
शारीरिक दूरी और स्वच्छता : कोविड-19 महामारी की लहर के कारण साल 2020 की यात्रा बहुत ही कठिन रही है। शारीरिक दूरी, हाथों की स्वच्छता और मास्क पहनना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए प्रमुख जीवनरेखा बने हैं। कोविड-19 के प्रारंभ होने के बाद से ही मास्क बचाव का एक स्थाई कवच बना है। 100 साल पहले जब स्पेनिश फ्लू फैला था, यह उसके प्रसार को रोकने में कारगर साबित हुआ था। निश्चित रूप से मास्क के कारण अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या और संक्रमण से होने वाली मौतों में कमी आई है। कोविड-19 महामारी के दौर में अब मास्क पहनना नियम है। इसे न पहनना एक दंडनीय अपराध बन गया है। इससे भी अधिक, सभी लोगों के लिए यह एक जिम्मेदार नागरिक के दायित्व का प्रतीक है और इसे न पहननना गैरजिम्मेदारी।
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