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एक साथ दो मोर्चों पर घिरे केजरीवाल, LG के फैसलों से दिल्‍ली में सियासत तेज

इन दिनों केजरीवाल सरकार दो अलग-अलग मोर्चों पर संघर्ष कर रही है। पहला मोर्चा खुद पार्टी के वरिष्‍ठ नेता कुमार विश्‍वास ने खोल रखा है तो दूसरे मोर्चे पर वह एलजी के फैसलों से परेशान हैं।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Fri, 12 Jan 2018 10:05 AM (IST)Updated: Fri, 12 Jan 2018 03:14 PM (IST)
एक साथ दो मोर्चों पर घिरे केजरीवाल, LG के फैसलों से दिल्‍ली में सियासत तेज
एक साथ दो मोर्चों पर घिरे केजरीवाल, LG के फैसलों से दिल्‍ली में सियासत तेज

नई दिल्ली [ जेएनएन ]। आम आदमी पार्टी के अंदर मचे घमासान के बीच अब उपराज्‍यपाल के दो फैसलों ने दिल्‍ली सरकार की बेचैनी को बढ़ा दिया है। इन दिनों केजरीवाल सरकार दो अलग-अलग मोर्चों पर संघर्ष कर रही है। आप के खिलाफ पहला मोर्चा खुद पार्टी के वरिष्‍ठ नेता कुमार विश्‍वास ने खोल रखा है तो दूसरे मोर्चे पर दिल्‍ली सरकार एलजी के ताजा फैसलों से परेशान हैं। उपराज्‍यपाल के दाेनों फैसले केजरीवाल की इच्‍छाओं पर पानी फेर रहे हैं। 

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1- सेवानिवृत डॉक्टरों की नियुक्ति के मामले पर तकरार बढ़ी

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार व उपराज्यपाल के बीच अस्पतालों में सेवानिवृत डॉक्टरों व कर्मचारियों की नियुक्ति के मामले पर उनके बीच तकरार बढ़ गई है। उपराज्यपाल अनिल बैजल ने अस्पतालों में सेवानिवृत कर्मचारियों की नियुक्ति की पहल पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा उठाए गए सवाल पर हैरानी जताई है। इस संबंध में उन्होंने मुख्यमंत्री को एक जवाबी पत्र भी लिखा है। उन्होंने कहा है कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर ही स्वास्थ्य विभाग ने सेवानिवृत कर्मचारियों की नियुक्ति का प्रस्ताव रखा था।

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उन्होंने कहा कि 16 अगस्त 2017 को  मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में एक बैठक हुई थी। इस बैठक की मिनट्स आफ द मीटिंग भी मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा जारी किया गया था। इसलिए यह बात हैरान करने वाली है कि अब मुख्यमंत्री ने अपने एक पत्र में स्वयं रिक्त पदों पर सेवानिवृत कर्मियों को रखने के बारे में सवाल उठाए हैं। सेवानिवृत कर्मियों की अनुबंध पर नियुक्ति कर्मचारियों की कमी को पूरा करने का मात्र अंतरिम उपाय है। समस्या का स्थायी समाधान नहीं। अस्पतालों में स्थायी कर्मचारियों की नियुक्ति से ही दिल्ली के लोगों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सकेंगी।

रिक्त पदों को भरने की कार्ययोजना तैयार

उपराज्यपाल ने कहा कि सरकारी अस्पतालों में लंबे समय से अनेकों पद खाली पड़े हैं। दिल्ली सरकार के अन्य विभागों में भी रिक्तियां हैं। रिक्त पदों पर कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए कार्ययोजना तैयार कर ली गई है। स्वास्थ्य विभाग ने जानकारी दी है कि स्थायी नियुक्ति के लिए दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड व संघ लोक सेवा आयोग से अनुरोध किया गया है। उन्होंने मुख्य सचिव व प्रधान स्वास्थ्य सचिव नियुक्ति के मामलें की हर 15 दिन पर समीक्षा करने का निर्देश दिया है। इसके अलावा पदोन्नति से संबंधित रिक्त पदों पर नियुक्ति के लिए सभी विभागों को मार्च तक विभागीय प्रमोशनल समिति की बैठकें आयोजित करने का निर्देश दिया है।

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अस्पतालों में 755 डॉक्टरों की कमी

दिल्ली सरकार के अस्पतालों व डिस्पेंसरियों में डॉक्टरों, नर्सिंग, पैरामेडिकल व अन्य कर्मचारियों के 2108 पदों पर सेवानिवृत कर्मचारियों की नियुक्ति की पहल की गई है। इसमें डॉक्टरों के 755 पद हैं, जो खाली पड़े हैं। इसके अलावा पांच डेंटल डॉक्टर, 614 नर्सिंग कैडर, 734 पैरामेडिकल व अन्य कर्मचारियों के पद रिक्त पड़े हैं। नर्सिंग कर्मचारियों ने रिक्त पदों पर सेवानिवृत कर्मचारियों की नियुक्ति का पिछले दिनों विरोध भी किया था।

2- LG ने रोका वक्फ बोर्ड का गठन

उपराज्‍यपाल ने दिल्ली वक्फ बोर्ड  के गठन पर रोक लगाकर केजरीवाल सरकार की बेचैनी को और बढ़ा दिया है। इसमें दिलचस्‍प यह है कि दिल्‍ली सरकार कुमार विश्वास को अपमानित  करने वाले अपने चहेते जिन विधायक अमानतुल्लाह खान को फिर से दिल्ली वक्फ बोड का चेयरमैन बनाने पर तुली थी, उपराज्यपाल अनिल बैजल ने सरकार की इस इच्छा पर पानी फेर दिया है।

उपराज्यपाल ने एक अदालती आदेश का हवाला देते हुए वक्फ बोर्ड के गठन पर रोक लगा दी है। उपराज्यपाल की इस कार्रवाई से दिल्ली सरकार में बहुत बेचैनी है। इसे लेकर सरकार ने पलटवार किया। दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा है कि उपराज्यपाल ने जानबूझ कर इसे रोका है।

बता दें कि अमानतुल्लाह के चेयरमैन रहते हुए दिल्ली वक्फ बोर्ड में बड़ा घपला उजागर हुआ था। उस समय के उपराज्यपाल नजीब जंग ने बोर्ड को भंग कर दिया था। इस मामले की सीबीआइ जांच चल रही है। इसके बाद नवंबर 2017 में दिल्ली सरकार के राजस्व विभाग ने दिल्ली वक्फ बोर्ड के गठन की प्रक्रिया के लिए अधिसूचना जारी की थी।


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