Ramlila Festival 2022: दिल्ली में डिजिटल रूप से होगा पुतले का दहन, राम-राम बोलता आएगा नजर रावण
Ramlila Festival 2022 कोरोना महामारी के दो वर्ष बाद पुतला बनाने वाले कारीगरों में उत्साह देखने को मिल रहा है।रामलीला मैदान पर 100 फुट का रावण 90 फुट का कुंभकरण और 80 फुट का मेघनाथ का ईको फ्रेंडली पुतला बना रहे हैं।
नई दिल्ली [आशीष सिंह]। Ramlila Festival 2022: राजधानी में रामलीला का धूम-धाम से मंचन किया जा रहा है। रामलीला के लिए पुतलों का निर्माण कार्य भी अंतिम दौर पर चल रहा है। कारीगर दिन रात मेहनत कर पुतलों को आकार देने में जुटे हुए हैं। प्रदूषण को देखते हुए इस वर्ष पटाखों पर पाबंदी है। ऐसे में पटाखों का इस्तेमाल न करते हुए लीला का आयोजन कर रही समितियों ने भी पूतला दहने करने में बदलाव किए हैं। जिसमें डीजिटल रूप से रावण, कुंभकरण व मेघनाथ के पुतलों का दहन किया जाएगा।
इसके साथ ही रावण को इस बार एलईडी रोशनी के माध्यम से रोता हुआ दिखाया जाएगा। वहीं, रावण दहन होते समय लोग रावण के मुख से हे राम की वाणी भी सुनेंगे। कोरोना महामारी के दो वर्ष बाद पुतला बनाने वाले कारीगरों में उत्साह देखने को मिल रहा है।रामलीला मैदान पर 100 फुट का रावण, 90 फुट का कुंभकरण और 80 फुट का मेघनाथ का ईको फ्रेंडली पुतला बना रहे हैं।
कोरोना महामारी के दो वर्ष बाद कारीगरों के चेहरे पर भी खुशी है। लाल किला में आयोजित हो रही लव कुश रामलीला कमेटी के अध्यक्ष ने बताया कि स्वच्छ पर्यावरण को ध्यान में और भागीदारी निभाते हुए इलेक्ट्रिक आतिशबाजी की जाएगी। थोड़े हरित पटाखों का इस्तेमाल होगा लेकिन सब डिजिटल होगा। नव श्री धार्मिक धार्मिक लीला कमेटी ने बताया कि पुतला दहन पटाखों का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा।
गंगा-जमुनी तहजीब को कर रहे हैं प्रदर्शित
हिंदू-मुस्लिम एकता का संदेश के साथ ही पुतला बनाने वाले कारीगर मिसाल पेश कर रहे हैं। मध्य व पुरानी दिल्ली में मुस्लिम कारीगर रावण, कुंभकर्ण का मेघनाथ का पुतला तैयार कर रहे हैं। इसमें अधिकतर मुस्लिम कारीगर कार्य कर रहे हैं। जो कि गाजियाबाद, मुरादाबाद, बुलंद शहर, मेरठ समेत विभिन्न जिलों से आए हैं। गाजियाबाद के फरुख नगर से आए मोहम्मद आजम अली ने बताया कि वह सन 1988 से पुतला बनाने का कार्य कर रहे हैं। वह कहते हैं कि इस समय राजधानी में उनकी 40 टीमें पुतले बनाने का कार्य करी हैं।
वह कहते हैं कि धार्मिक कार्य में काम करने का मौका मिलता है तो आगे आना होता है। यहां हिंदू भाईयों के साथ काम करने में काफी अच्छा लगता है। उन्होंने बताया कि कोरोना महामारी के चलते दो वर्ष तक काम नहीं था, जिससे इस बार कारीगरों को भी कमाने का मौका मिला है। यहां पुतला बना रहे बुलंद शहर से आए कारीगर फरमान ने कहा कि बीते एक माह से पुतले बनाने का कार्य किया जा रहा।
इस वर्ष काफी काम मिला है। जिससे अच्छा लग रहा है। वहीं, कारीगर कादीर अली ने बताया कि बीते दिनों वर्षा होने के चलते कुछ दिनों के लिए पुतले बनाने का कार्य में बाधा आ गई थी, लेकिन कारीगरों में उत्साह कम नहीं हुआ। कश्मीरी गेट की राम लीला मैदान के परिसर पर मेरठ से पुतला बनाने आए सलमान ने बताया कि उनका यह पुस्तैनी काम है। इस वर्ष अच्छा कमाई हो रही है।
असम की बांस, मेरठ के कागज का हो रहा है इस्तेमाल
पुतला बनाने के लिए असम की बांस व मेरठ के कागज का इस्तेमाल कर पुतला तैयार किए जा रहे हैं। कारीगर आजम अली ने बताया कि कागज की कीमत थोड़ी बढ़ गई है। बांस दूर से आता है तो उसमें भी वृद्धि आई है। असम का बांस मजूबत माना जाता है जिससे वहां के बांस का अधिक इस्तेमाल किया जाता है।