यूपी के इस जिले में हजारों शिक्षकों की सेल्फी से लगेगी हाजिरी, पढ़ें पूरी खबर
प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षकों ने सेल्फी वाली ई-उपस्थिति दर्ज कराने का विरोध किया है।
गाजियाबाद (अनिल त्यागी)। यूपी में सत्तासीन भारतीय जनता पार्टी की सरकार कामचोर मुलाजिमों पर नकेल कसने की कवायद लगातार कर रही है। अब नई शुरुआत शिक्षा विभाग में की गई है। परिषदीय स्कूलों के अध्यापकों को ड्यूटी पर समय से पहुंचकर ‘ई-शिक्षा गाजियाबाद‘ ऐप पर अपनी सेल्फी अपलोड करनी पड़ेगी।
अध्यापक को अवकाश की स्वीकृति भी इसी ऐप से मिलेगी। इसके लिए अध्यापक को स्मार्ट फोन रखना जरूरी है। अध्यापकों को मोबाइल में ‘ई-शिक्षा गाजियाबाद‘ ऐप अपलोड करने के आदेश जारी हो गए हैं। इस संबंध खंड शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने अध्यापकों के साथ बैठक भी कर ली है।
भोजपुर के खंड शिक्षा अधिकारी पवन कुमार भाटी ने बताया कि अब निर्धारित समय पर अध्यापक को डयूटी पर पहुंचना होगा। वहां स्कूल की लोकेशन को दर्शाती अपनी सेल्फी अध्यापक को बेसिक शिक्षा विभाग के ‘ई-शिक्षा गाजियाबाद‘ ऐप पर अपलोड करनी होगी।
सेल्फी अपलोड करने के समय से ही अध्यापक की स्कूल में उपस्थिति दर्ज मानी जाएगी। खंड शिक्षा अधिकारी ने बताया कि अध्यापक को अवकाश की स्वीकृति भी इसी ऐप से मिलेगी। ऐसा न करने वाले अध्यापकों को डयूटी से अनुपस्थित माना जाएगा। सभी अध्यापकों को स्मार्टफोन रखने की अनिवार्यता की गई है।
इसके अलावा विद्यालय संबंधी सभी प्रकार की सूचनाओं का आदान-प्रदान भी इसी ऐप के जरिए किया जाएगा। खंड शिक्षा अधिकारी ने बताया कि सभी परिषदीय स्कूलों के अध्यापकों को यह ऐप अपलोड करना जरूरी है।
वहीं, प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षकों ने सेल्फी वाली ई-उपस्थिति दर्ज कराने का विरोध किया है। शिक्षकों ने ई-उपस्थिति के लिए दबाव डाले जाने पर आंदोलन करने की चेतावनी भी दी है।
उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के मंत्री डॉ. अनुज त्यागी ने कहा कि शिक्षक सेल्फी वाली ई-उपस्थिति का विरोध करते हैं। शिक्षकों को मॉनीटरिंग से कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन इस तरह से सेल्फी खींचकर समाज में उनकी छवि को खराब करने के प्रयास को सहन नहीं किया जाएगा।
पूरे प्रदेश में कहीं भी इस तरह से शिक्षकों की उपस्थिति दर्ज नहीं की जा रही है, सिर्फ गाजियाबाद में ही इसे लागू किया गया है। यह गाजियाबाद के शिक्षकों के साथ नाइंसाफी है।
इसका सभी शिक्षक विरोध करेंगे और सेल्फी युक्त ई-उपस्थिति दर्ज नहीं कराएंगे। कोई भी शिक्षक इसकी ट्रेनिंग में भी शामिल नहीं होगा। जरूरत पड़ी तो शिक्षक इसके विरोध में आंदोलन भी करेंगे।