गुरुग्राम में निजी स्कूल टीचर की घटिया करतूत, जानें- बच्चों के मुंह पर क्यों लगा देती थी टेप
बताया जा रहा है कि यह घटना कई दिन पहले की है, मामले का खुलासा तब हुआ जब स्कूल के एक कर्मचारी ने वीडियो को इंटरनेट पर अपलोड कर दिया।
गुरुग्राम, जेेएनएन। दिल्ली से सटे हरियाणा के गुरुग्राम में एक निजी स्कूल में एक महिला टीचर की हैरान करने वाली करतूत सामने आई है। गुरुग्राम शहर के सेक्टर 37-C के नारायणा टेक्नो स्कूल में एक महिला टीचर ने मासूमों के मुंह पर सेलो टेप लगा दिया, ताकि वे शोर नहीं मचाएं। इस पूरी घटना का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें साफ देखा जा सकता है कि मुंह पर टेप लगाकर किस तरह महिला टीचर मासूमों को शारीरिक और मानसिक तौर परेशान कर रही है। वहीं, वीडियो वायरल होने और मामला मीडिया में सामने आने के बाद स्कूल प्रबंधन ने महिला टीचर पर कार्रवाई करते हुए उसे निलंबित कर दिया।
बताया जा रहा है कि यह घटना कई दिन पहले की है। मामले का खुलासा तब हुआ जब स्कूल के एक कर्मचारी ने वीडियो को इंटरनेट पर अपलोड कर दिया और अब यह सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।
वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि किस तरह एक महिला टीचर मासूमों के मुंह पर सेलो टेप लगा रही है। वहीं, इस वीडियो के वायरल होने के बाद महिला टीचर के नाम का खुलासा हुआ है, लेकिन सुरक्षा कारणों से नाम का खुलासा नहीं किया जा रहा है।
यह पूरा मामला
यहां पर बता दें कि बच्चों पर ज्यादती का यह मामला 6 अक्टूबर का है, लेकिन यह मामला अब जाकर सामने आया है, वह भी वीडियो वायरल होने के बाद। बताया जा रहा है कि महिला टीचर ऐसा इसलिए कर रही थी, जिससे बच्चे क्लास में शोर नहीं मचाए। पीड़ित बच्चे छोटी क्लास में पढ़ते हैं।
वहीं, घटना सामने आने के बाद दो बच्चों के अभिभावकों को स्कूल प्रबंधन को शिकायत दी है, इस पर कार्रवाई करते हुए आरोपित टीचर का निलंबित कर दिया गया।
उधर, स्कूल प्रिंसिपल गुरुराज के मुताबिक, शिकायत मिलने पर हमने कड़ी कार्रवाई करते हुए संबंधित महिला टीचर को तत्काल निलंबित कर दिया।
वहीं, आरोपित टीचर का कहना है कि कुछ बच्चे पूरी क्लास को डिस्टर्ब कर रहे थे और वे इस दौरान अभद्र भाषा का भी इस्तेमाल कर रहे थे। ऐसे में उनके मुंह पर टेप लगाने का फैसला लिया, इसके पीछे और कोई मकसद नहीं था।
गौरतलब है कि टीचर का यह कृत्य किसी हद तक शोषण की श्रेणी में आता है। टीचर की ऐसी हरकत से किसी बच्चे की जान भी जा सकती थी, क्योंकि इससे बच्चों को सांस लेने में परेशानी हो जाती। इतना ही वहीं, वह बच्चा भविष्य में फोबिया का शिकार भी हो सकता है।