स्वदेशी प्राकृतिक संस्था ने बच्चों को प्रशिक्षण देकर बनाया आत्मनिर्भर, सबके चेहरे पर दिख रही खुशी
नए-नए प्रकार के डिजाइन वाली मोमबत्तियों ने लोगों को अपनी ओर आकर्षित किया। एक दिन में बच्चों द्वारा बनाई गई सारी मोमबत्तियां एक ही दिन में बिक गई जिससे बच्चे बहुत खुश हुए। उन्होंने बताया कि बच्चों के बीच एक हजार रुपये की मोमबत्ती बनाने वाली सामग्री खरीदी गई।
नई दिल्ली, पुष्पेंद्र कुमार। स्वदेशी प्राकृतिक संस्थान के चौपाल पाठशाला द्वारा न्यू अशोक नगर सेवा बस्ती के गरीब बच्चों के बीच दीपावली की खुशियां बांटी गई। झुग्गी में रहने वाले बच्चे खुशी-खुशी त्योहार की उमंग का अहसास कर सकें, इसके लिए संस्था द्वारा दीवाली के अवसर पर बच्चों को मोमबत्ती बनाने की सामग्री बांटी गई है और सभी बच्चों को मोमबत्ती बनाना भी सिखाया गया। संस्था का मकसद बच्चों को आत्मनिर्भर बनाना था ताकि बच्चे अन्य लोगों से भीख मांगने के बदले खुद से मोमबत्ती तैयार कर बाजारों में बेचकर अपनी जरूरत पूरी कर सकें।
स्वदेशी प्राकृतिक संस्था का चल रहा रोशनी प्रोजेक्ट
संस्था के संस्थापक दर्श वत्स ने बताया कि जो बच्चे खाना खाने के लिए भीख मांगने पर मजबूर थे आज वहीं बच्चे जब एक नया हुनर सीख गए है तो उनमें पढ़ाई के साथ-साथ काम करने की एक लालसा जगी और वास्तव में उनकी एक मूल समस्या का समाधान हुआ। प्रोजेक्ट के माध्यम से बच्चों को मोमबत्तियां बनानी सिखाई गई।
झुग्गी झोपड़ी के बच्चों को सिखाया मोमबत्ती तैयार करना
इस प्रोजेक्ट में बच्चों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया और खूब मोमबत्तियां बनाई। जब सारी मोमबत्तियां एक दम तैयार हो गई तो पास के एक मंदिर के बाहर छोटा सा स्टॉल लगाया। नए-नए प्रकार के डिजाइन वाली मोमबत्तियों ने लोगों को अपनी ओर आकर्षित किया। एक दिन में बच्चों द्वारा बनाई गई सारी मोमबत्तियां एक ही दिन में बिक गई, जिससे बच्चे बहुत खुश हुए। उन्होंने बताया कि बच्चों के बीच एक हजार रुपये की मोमबत्ती बनाने वाली सामग्री खरीदी गई।
मेहनत की कमाई पाकर बच्चे खुश
सारी मोमबत्ती तैयार होने के बाद करीब वह पांच हजार रुपये तक बिक गई। एक हजार रुपये की फिर से सामग्री खरीदी गई और बाकी रुपयों को प्रत्येक बच्चों के हिसाब से उनको बांट दिए। अपनी मेहनत की कमाई पाकर बच्चे काफी खुश हैं और उनके अंदर आत्मनिर्भर बनने का जूनुन है बच्चे खुद से मोमबत्ती तैयार करने के लिए तैयार है। इसी तरह भविष्य में ऐसे ही नए नए प्रोजेक्ट बनाकर बच्चों को नए-नए हुनर सिखाकर आत्मनिर्भर बनाया जाएगा। इस कार्य में पूरी चौपाल पाठशाला की टीम ने मेहनत कर इसको सफल बनाया।
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