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नमो देव्यै महा देव्यै: मां के नाम को जीवित रखने के लिए सुरभि कर रही जरूरतमंदों की सेवा

पूर्वी दिल्ली में अलग अलग जगह शिविर लगाकर सुरभि अपने पूरे परिवार के साथ पिछले छह वर्षों से यह जरूरतमंदों की सेवा कर रही हैं। उनके कार्यों से प्रेरित होकर आज 100 से भी अधिक लोग उनके साथ जुड़कर निस्वार्थ भाव से जरूरतमंदों की सेवा कर रहे हैं।

By Mangal YadavEdited By: Published: Thu, 22 Oct 2020 03:11 PM (IST)Updated: Thu, 22 Oct 2020 03:11 PM (IST)
नमो देव्यै महा देव्यै: मां के नाम को जीवित रखने के लिए सुरभि कर रही जरूरतमंदों की सेवा
निष्काम भाव से जरूरतमंद लोगों की सेवा कर रही हैं मानसरोवर निवासी सुरभि जैन।

नई दिल्ली [रितु राणा]। मां जन्म देने के साथ अपने बच्चों को अच्छे गुण और व्यहार देकर एक अच्छा नागरिक बनाती है। बच्चों के जन्म से ही उनकी सेवा में मां अपना सारा जीवन न्यौछावर कर देती है उसी मां के नाम को जीवित रखने के लिए निष्काम भाव से जरूरतमंद लोगों की सेवा कर रही हैं मानसरोवर निवासी सुरभि जैन। सुरभि ने बताया कि कैंसर रोग से 2012 में उनकी मां निशा जैन का स्वर्गवास हो गया। इसके बाद उन्होंने अपनी मां के नाम को जीवित रखने के लिए सामाजिक कार्य करने का मन बनाया।

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उन्होंने 2014 में निश्चय निशा जैन नाम से संस्था की शुरूआत की जिससे वह ज्यादा से ज्यादा जरूरतमंद लोगों तक पहुंचकर उनकी सेवा कर सकें। उनकी मां कैंसर रोग से पीड़ित थी, कोई और कैंसर या किसी भी अन्य बीमारी से अपनी जान न गंवा बैठे, इसलिए वह आज जगह जगह जाकर निशुल्क स्वास्थ्य जांच, रक्तदान, नेत्र जांच, योग शिविर लगाकर लोगों को स्वास्थ्य लाभ दे रही हैं। उनकी मां भी जरूरतमंदों की मदद के लिए हमेशा आगे रहकर कार्य करती थी इसलिए उन्होंने भी ठान लिया कि वह भी मां के नक्शे कदम पर चलकर लोगों की सेवा करेंगे।

पूर्वी दिल्ली में अलग अलग जगह शिविर लगाकर सुरभि अपने पूरे परिवार के साथ पिछले छह वर्षों से यह जरूरतमंदों की सेवा कर रही हैं। उनके कार्यों से प्रेरित होकर आज 100 से भी अधिक लोग उनके साथ जुड़कर निस्वार्थ भाव से जरूरतमंदों की सेवा कर रहे हैं। इनमें चिकित्सक, शिक्षक व समाजसेवी शामिल हैं। उनकी कोशिश रहती है कि वह हर दिन समाज के लिए कुछ अच्छा कार्य करें। उन्होंने मानसरोवर पार्क में ही 50 गरीब व बेघर बच्चों को भी गोद लिया हुआ है। जिन्हें एक आश्रम में शिक्षा व स्वास्थ्य सुविधाएं भी दी जाती हैं। साथ ही 200 से अधिक लोगों से वह अब तक रक्त दान करा चुके हैं। 500 से ज्यादा लोगों को निश्शुल्क चश्मे वितरित कर चुके हैं।

वहीं, कोरोना काल में भी वह अपनी जान की परवाह किए बगैर जरूरतमंदों की मदद के लिए आगे आई। वह अपने परिवार के साथ मिलकर अब तक 50 हजार से अधिक कपड़े के बने मास्क व झुग्गी बस्ती व फुटपाथ पर जाकर गरीब व जरूरतमंदों को राशन भी वितरित कर चुकी हैं।

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