निर्भया केसः दोषी मुकेश, विनय व पवन को फांसी का रास्ता साफ, SC से नहीं मिली राहत
कोर्ट ने मुकेश, विनय और पवन की पुनर्विचार याचिका पर गत चार मई को फैसला सुरक्षित रखा था। तब तक चौथे दोषी अक्षय पुनर्विचार याचिका दाखिल नहीं हुई थी।
नई दिल्ली (जेएनएन)। दिल्ली के वसंत विहार इलाके में दिसंबर, 2012 में हुए दुष्कर्म कांड के तीन दोषियों विनय, मुकेश और पवन को फांसी की सजा का रास्ता साफ हो गया है। दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा दी गई फांसी की सजा के खिलाफ दाखिल पुनर्विचार याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को खारिज कर दिया। इसी के साथ कोर्ट ने निर्भया के तीन दोषियों की फांसी पर मुहर लगी दी है। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान मुकेश, विनय और पवन की पुनर्विचार याचिका को आधारहीन बताते हुए खारिज किया है। कोर्ट ने कहा कि मुख्य फ़ैसले में दख़ल देने का कोई आधार नज़र नही आता है।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया के चार दोषियों को गत वर्ष पांच मई को फांसी की सजा सुनाई थी। अक्षय को छोड़कर तीन दोषियों ने सजा के ख़िलाफ़ पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी, लेकिन चौथे अभियुक्त अक्षय ने फैसला सुरक्षित होने तक पुनर्विचार याचिका दाखिल नहीं की थी। कोर्ट ने मुकेश, विनय और पवन की पुनर्विचार याचिका पर बहस सुनकर गत चार मई को अपना फैसला सुरक्षित रखा था।
बता दें कि दिल्ली हाई कोर्ट ने 13 मार्च, 2014 को मुकेश, विनय, पवन और अक्षय को फांसी की सजा सुनाई थी।
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मई 2017 में हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा था।
फैसले पर निर्भया की मां ने कहा कि हमारा संघर्ष अभी खत्म नहीं हुआ है। न्याय मिलने में देरी हुई है। हम न्यायपालिका से अपील करेंगे कि सिस्टम मजबूत किया जाए। न्याय जल्दी मिलना चाहिए। वहीं, निर्भया के पिता ने कहा कि हमें पता था कि पुनर्विचार याचिका खारिज होगी। उस घटना को काफी वक्त बीत चुका है। महिलाओं को अभी भी धमकियां दी जाती हैं।
गौरतलब है कि 16 दिसंबर, 2012 की रात फिल्म देखकर लौटते समय 23 वर्षीय पैरामेडिकल छात्र निर्भया (बदला हुआ नाम) से छह लोगों ने चलती बस में सामूहिक दुष्कर्म किया था और हैवानियत की सारी सीमाएं लांघ दी थीं। दोषियों ने निर्भया और उसके मित्र को नग्न हालत में चलती बस से नीचे फेंक दिया था। दोनों को कुचलकर मारने की कोशिश भी की गई थी। इस मामले में दिल्ली की निचली अदालत और हाई कोर्ट ने चार दोषियों मुकेश, पवन गुप्ता, अक्षय ठाकुर और विनय शर्मा को मौत की सजा सुनाई थी।
एक अभियुक्त ने ट्रायल के दौरान जेल मे खुदकशी कर ली थी, जबकि एक अन्य नाबालिग था जो तीन साल की सजा पूरी होने के बाद छूट चुका है। चारों अभियुक्तों ने दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी और सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल पांच मई को चारों की फांसी पर अपनी मुहर लगा दी थी। इसके बाद तीन अभियुक्तों ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी।
कोर्ट के तय नियमों के मुताबिक फांसी की सजा पाए दोषियों की पुनर्विचार याचिका पर तीन न्यायाधीशों सीजेआइ दीपक मिश्रा, आर. भानुमति और अशोक भूषण की पीठ ने खुली अदालत में बहस सुनकर फैसला सुरक्षित रखा था।
चारों दोषियों की मौत की सजा पर मुहर लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, ‘इस घटना से सदमे की सुनामी आ गई थी और इसने सभ्यता के तानेबाने को नष्ट कर दिया था।’ दोषियों की हैवानियत और अपराध की भयावहता का वर्णन करते हुए कोर्ट ने कहा था कि लगता है यह कहानी किसी दूसरी दुनिया की है जहां इंसानियत का अनादर होता है।