सीलिंग के खिलाफ धरनों पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी- दिल्ली में कानून-व्यवस्था ध्वस्त
सख्त रुख अपनाते हुए अदालत ने कहा, ‘आप दिल्ली को लगातार बर्बाद नहीं कर सकते।’
नई दिल्ली (प्रेट्र)। राष्ट्रीय राजधानी में जारी सीलिंग के खिलाफ धरनों और हड़ताल पर चिंता जाहिर करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि दिल्ली में कानून-व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो गई है। कर्तव्यों का निर्वाह करने में असफल रहने के लिए केंद्र सरकार व अन्य अधिकारियों को जमकर लताड़ लगाते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि इसी वजह से यह स्थिति पैदा हुई है।
अदालत ने संबंधित सरकारों के लिए इसे बेहद गंभीर मसला करार दिया। जस्टिस मदन बी. लोकुर और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ ने केंद्र सरकार से ऐसे कानूनों के बारे में कई सवाल पूछे, जो अनधिकृत निर्माणों को सीलिंग से सुरक्षा प्रदान करते हैं। पीठ ने केंद्र सरकार की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एएनएस नादकर्णी से कहा कि वह इस मसले पर केंद्र के रुख को सही साबित करें। अदालत ने कहा, ‘आप दिल्ली को लगातार बर्बाद नहीं कर सकते।’
नादकर्णी ने कहा कि दिल्ली में लाखों प्रवासी रहते हैं, इस कारण मांग और आपूर्ति में बड़ा अंतर आ गया है। दिल्ली में करीब 1,400 अनधिकृत कॉलोनियां हैं, जिनमें करीब छह लाख लोग रहते हैं। इस पर अदालत ने आपत्ति जताते हुए कहा कि इस बारे में कोई भी आधिकारिक आंकड़ा रिकॉर्ड पर उपलब्ध नहीं हैं। पीठ ने कहा, ‘सरकार और उसके निकाय अपना काम नहीं कर रहे हैं।
यह आपके द्वारा असफलता की स्वीकारोक्ति है कि मैं अपना काम करने में विफल रहा हूं इसलिए कृपया हमारी मदद कीजिए। यह बेहद गंभीर मामला है। यह शासन का मसला है और दिल्ली के लोग इसलिए परेशान हो रहे हैं क्योंकि आप अपना काम नहीं कर रहे हैं।’