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सुप्रीम कोर्ट ने बीएसईएस डिस्काम की बिजली आपूर्ति बंद करने से रोका, यथास्थिति बनाए रखने के दिए आदेश

Power Supply to BSES Discoms सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली की बिजली कंपनियों आइपीजीसीएल पीपीसीएल और डीटीएल को बीएसईएस की बिजली आपूर्ति काटने से रोक दिया है। सर्वोच्‍च अदालत ने इन्‍हें अगले आदेश तक यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है।

By AgencyEdited By: Krishna Bihari SinghPublished: Mon, 03 Oct 2022 07:04 PM (IST)Updated: Mon, 03 Oct 2022 07:13 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट ने बीएसईएस डिस्काम की बिजली आपूर्ति बंद करने से रोका, यथास्थिति बनाए रखने के दिए आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली की बिजली कंपनियों को बीएसईएस की बिजली आपूर्ति काटने से रोक दिया है।

नई दिल्ली, आइएएनएस। राजधानी की बिजली वितरण कंपनी बीएसईएस ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली की बिजली कंपनियों आइपीजीसीएल, पीपीसीएल और डीटीएल को बिजली आपूर्ति काटने से रोक दिया है और उन्हें अगले आदेश तक यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है। इसने कहा कि डिस्काम को आइपीजीसीएल और पीपीसीएल से बिजली की आवंटित मात्रा 845 मेगावाट है और यह उनके लिए निरंतर और विश्वसनीय बिजली आपूर्ति प्रदान करने के लिए आवश्यक है।

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ब्लैकआउट का खतरा टला

बीएसईएस ने सोमवार को दावा किया कि फैसले ने त्योहारी सीजन के दौरान राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में ब्लैकआउट को रोक दिया है। इससे लगभग 50 लाख बिजली उपभोक्ताओं या दक्षिण, पूर्व, पश्चिम और मध्य दिल्ली के लगभग दो करोड़ निवासियों के हितों की रक्षा हुई है।

नए आवेदन पर पारित किया आदेश

बीएसईएस के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने 28 सितंबर को डिस्काम द्वारा दायर एक नए आवेदन पर आदेश पारित किया था। इसमें आइपीजीसीएल, पीपीसीएल और दिल्ली सरकार को अदालत के पहले के आदेशों के अनुसार कार्य करने का निर्देश देने की मांग की गई थी। एलपीएससी नियम, 2022 के तहत उनकी संबंधित याचिकाओं के निपटारे तक बिजली आपूर्ति के नियमन/कार्रवाई सहित उनके खिलाफ कोई भी कठोर कदम उठाएं।

सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के लिए हुए मजबूर

डिस्काम ने कहा कि वे दिल्ली बिजली उपयोगिताओं के मनमाने ढंग से बकाया भुगतान की मांग और उन्हें आपूर्ति काट देने की धमकी के बाद सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के लिए मजबूर थे। सुप्रीम कोर्ट ने 26 मार्च, 2014 और 12 मई, 2016 के अपने आदेश (वर्तमान बकाया के भुगतान के संबंध में) में किसी भी जबरदस्ती की कार्रवाई के खिलाफ डिस्काम को सुरक्षा प्रदान की थी।

परिसमापन का मुद्दा भी उठाया

साथ ही और दिल्ली बिजली उपयोगिताओं की ये कार्रवाई इन आदेशों का उल्लंघन थी। इसमें कहा गया है कि आदेशों के अनुपालन में, इरएर डिस्काम दिल्ली सरकार द्वारा स्वीकृत सब्सिडी को ध्यान में रख कर दिल्ली बिजली उपयोगिताओं को भुगतान कर रही है। डिस्काम की याचिकाओं ने डीईआरसी द्वारा प्रस्तावित नियामक संपत्तियों के परिसमापन का मुद्दा भी उठाया।

बताई वजह 

आवेदन में कहा गया है कि यदि बीएसईएस डिस्काम को देय राशि डीईआरसी द्वारा समय पर दी जाती, तो दिल्ली उपयोगिताओं को भुगतान करने में देरी नहीं होती। सुप्रीम कोर्ट के समक्ष रिट याचिकाओं के अनुसार, आपूर्तिकर्ताओं को समय पर भुगतान करने में उनके सामने आने वाली कठिनाइयां नियामक निष्क्रियता, नीतियों और डीईआरसी की ओर से मनमाने ढंग से टैरिफ को कृत्रिम रूप से कम रखने में विफलता के कारण हैं। उन्होंने कहा कि इन कठिनाइयों का उनके संचालन और प्रबंधन की दक्षता से कोई लेना-देना नहीं है और परिस्थितिजन्य चुनौतियां उनके नियंत्रण से बाहर थीं और उनके लिए जिम्मेदार नहीं थीं।

...तो ब्लैकआउट हो जाएगा

अपने तर्कों के दौरान, बीएसईएस डिस्काम पर कपिल सिब्बल और ध्रुव मेहता ने तर्क दिया कि बिजली आपूर्ति के किसी भी प्रतिबंध से दिल्ली राज्य बिजली उपयोगिताओं से अल्पकालिक खुली पहुंच या बिजली के विनियमन को वापस लेने के मामले में दिल्ली में बिजली व्यवधान और ब्लैकआउट हो जाएगा, जो राजधानी में ऊर्जा सुरक्षा परिदृश्य को गंभीर रूप से खतरे में डाल देगा।

एकमुश्त निपटान की पेशकश

इस साल जुलाई में, बीएसईएस डिस्काम ने डीईआरसी के तत्वावधान में एकमुश्त निपटान की पेशकश की थी, लेकिन सितंबर के मध्य में आइपीजीसीएल और पीपीसीएल दोनों ने एक स्पष्ट रुख अपनाया था कि वे डिस्काम, राज्यों के साथ किसी भी समझौता वार्ता के लिए बैठना भी नहीं चाहते हैं। 

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