सुप्रीम कोर्ट में 23 मार्च को निर्भया केस मामले में होगी सुनवाई, दोषियों को अलग-अलग फांसी देने पर होगा विचार
सुप्रीम कोर्ट में एक बार फिर निर्भया मामले पर बहस होगी। इस बार सुप्रीम कोर्ट सभी दोषियों को अलग-अलग फांसी देने वाली याचिका पर विचार करेगा।
नई दिल्ली, एएनआइ। सुप्रीम कोर्ट में एक बार फिर निर्भया मामले पर बहस होगी। इस बार सुप्रीम कोर्ट सभी दोषियों को अलग-अलग फांसी देने वाली याचिका पर विचार करेगा। सुप्रीम कोर्ट में एक बार फिर निर्भया मामले पर बहस होगी। इस बार सुप्रीम कोर्ट सभी दोषियों को अलग-अलग फांसी देने वाली याचिका पर विचार करेगा। इससे पहले गुरुवार को इस मामले में सुनवाई हुई। इस बार केंद्र सरकार की गृहमंत्रालय की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट इस मामले में सुनवाई करेगा।
क्यों उठ रही अलग-अलग फांसी देने की मांग
अभी तक दिल्ली प्रिजन मैनुअल के मुताबिक अगर एक से ज्यादा शख्स किसी एक सजा का दोषी है तो सभी को एक साथ सजा मिलेगी। इसलिए कानून के मुताबिक सभी दोषियों को एक साथ सजा देने का प्रावधान है। जिसका फायदा हर बार दोषी उठा रहे थे और बारी-बारी से कभी दया याचिका तो कभी सुधारात्मक याचिका दाखिल कर सजा की तारीख टलवा रहे थे।
तीन बार कैंसिल हो चुका है डेथ वारंट
कैदियों के इस रवैये से कोर्ट बार बार डेथ वारंट जारी कर रहा था। अब तक तीन बार डेथ वारंट जारी कर उसे कैंसिल किया जा चुका है। गुरुवार पांच मार्च, 2020 को कोर्ट ने चौथी बार डेथ वारंट जारी किया है। बार बार डेथ वारंट जारी कर और उसे कैंसिल करने से लोगों के मन में कानून के गलत इस्तेमाल से कई तरह की शंका पनप रही थी। जिसके बाद दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। बता दें कि दिल्ली हाई कोर्ट ने इस मामले में पहले ही दोषियों को अलग-अलग सजा देने से मना कर दिया था।
क्या है मैनुअल में प्रावधान (Delhi Prison Manual)
दिल्ली जेल मैनुअल के मुताबिक, एक क्राइम में सभी दोषियों को एक साथ सजा देने का प्रावधान है। किसी क्राइम में एक से अधिक दोषियों को फांसी सुनाई गई हो तब ऐसी परिस्थिति में किसी भी दोषी की याचिका लंबित हो तो सभी की फांसी रुक जाती है।