अाम्रपाली बिल्डर को सुप्रीम कोर्ट से मिली आखिरी चेतावनी, तीन दिसंबर तक जमा करना है ब्योरा
जस्टिस अरुण मिश्रा और यूयू ललित की खंडपीठ ने कहा कि आम्रपाली समूह को अपनी हरेक गतिविधि का ब्योरा देना होगा।
नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट ने रियल एस्टेट कंपनी आम्रपाली ग्रुप को आदेश न मानने और टाल-मटोल करने पर चेतावनी देते हुए कहा, 'दीवार पर लिखी इबारत एकदम साफ है।' सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली बिल्डर को तीन दिसंबर तक अपनी सभी संपत्तियों का ब्योरा देने को कहा।
अदालत ने कहा कि देश-विदेश की उसकी सभी संपत्तियां जो उसके निदेशकों, परिजनों, रिश्तेदारों, सीएफओ और आडिटरों के नाम पर हैं उनका भी विस्तृत ब्योरा दें। सर्वोच्च अदालत ने मंगलवार को आम्रपाली समूह, उसके निदेशकों और प्रमोटरों को आखिरी मौका देते हुए कहा कि पिछले साल मई से अब तक पारित किए गए सभी आदेशों का वह पालन करें।
जस्टिस अरुण मिश्रा और यूयू ललित की खंडपीठ ने कहा कि आम्रपाली समूह को अपनी हरेक गतिविधि का ब्योरा देना होगा। इसमें होम बायर्स के हस्तांतरित रुपयों के वित्तीय लेन-देन भी शामिल हैं। हमने यह पहले ही साफ कर दिया है कि आम्रपाली समूह को वर्ष 2008 से आवासीय, कमर्शियल, निजी, आधिकारिक और वित्तीय निर्माण से संबंधित हस्तांतरित धन का ब्योरा देना है। अगर आम्रपाली समूह और उसके निदेशकों ने इन सभी बातों को उजागर नहीं किया तो दीवार पर लिखी इबारत बहुत साफ है।
खंडपीठ ने कहा कि वर्ष 2008 से लेकर अब तक कंपनी को सभी निदेशकों की संपत्तियों का ब्योरा देना होगा। इसमें वह संपत्ति भी शामिल हैं जो उनके परिजनों, रिश्तेदारों, सीएफओ और ऑडिटरों के नाम पर बनाई गई हों। खंडपीठ ने कहा कि कंपनी फ्लैट खरीददारों के धन को दूसरे मदों में देने की जिम्मेदार है।
अदालत ने बैंकों, नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरणों और संबंधित अन्य निकायों को जांच के दौरान फारेंसिक ऑडिटरों से सहयोग करने का निर्देश दिया। खंडपीठ ने अदालत की रेजिस्ट्री को निर्देश दिया कि वह आम्रपाली के सीएफओ चंदर वाधवा के दिए एक करोड़ रुपये के डिमांड ड्राफ्ट (डीडी) को स्वीकार कर ले। साथ ही कंपनी के मामलों की जांच में फारेंसिक ऑडिटरों की मदद के लिए आम्रपाली चार लोगों को नियुक्त करे। अगली सुनवाई पांच दिसंबर को होगी, लेकिन अदालत ने उससे पहले तीन दिसंबर को कंपनी से हलफनामा दायर करने को कहा है।