Move to Jagran APP

दिल्ली में कूड़े के पहाड़ पर SC का एलजी पर कटाक्ष, 'आप सुपरमैन...पर करते कुछ नहीं'

सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी के अंदाज में कहा कि 25 बैठक हुई हैं या फि 50 कप चाय पी गई है, इससे हमें मतलब नहीं।

By JP YadavEdited By: Published: Thu, 12 Jul 2018 02:17 PM (IST)Updated: Fri, 13 Jul 2018 05:00 AM (IST)
दिल्ली में कूड़े के पहाड़ पर SC का एलजी पर कटाक्ष, 'आप सुपरमैन...पर करते कुछ नहीं'
दिल्ली में कूड़े के पहाड़ पर SC का एलजी पर कटाक्ष, 'आप सुपरमैन...पर करते कुछ नहीं'

नई दिल्ली (जेएनएन)। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में लगे कूड़े के पहाड़ पर नाराजगी जताते हुए उन्हें हटाने के लिए कुछ नहीं किए जाने पर उपराज्यपाल (एलजी) को फटकार लगाई है। कोर्ट ने उन पर कटाक्ष करते हुए कहा, आप कहते हैं कि आप के पास अधिकार हैं। आप सुपरमैन हैं, लेकिन करते कुछ नहीं। गाजीपुर में कूड़े का पहाड़ कुतुबमीनार से महज आठ मीटर छोटा रह गया है। कोर्ट ने उपराज्यपाल को 16 जुलाई तक हलफनामा दाखिल कर दिल्ली में कूड़े के पहाड़ हटाने की समयबद्ध योजना पेश करने को कहा है। ये तल्ख टिप्पणियां न्यायमूर्ति मदन बी. लोकुर व न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने कचरा निस्तारण के मामले में सुनवाई के दौरान कीं।

loksabha election banner

पिछली सुनवाई पर कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए दिल्ली सरकार और एलजी से पूछा था कि दिल्ली में लगे कूड़े के पहाड़ हटाना किसके कार्यक्षेत्र में आता है। कोर्ट ने दोनों से इस बावत हलफनामा मांगा था। गुरुवार को सुनवाई के दौरान एलजी और दिल्ली सरकार के हलफनामे में बताया गया कि साफ-सफाई और कचरा निस्तारण दिल्ली म्यूनिसिपल कारपोरेशन का काम है और एलजी इसकी निगरानी करते हैं। वे ही निगम को इस बावत आदेश दे सकते हैं।

एलजी की ओर से पेश एएसजी पिंकी आनंद ने कहा कि उपराज्यपाल ने पिछले डेढ़ साल में 25 बैठकें और सात फील्ड विजिट की हैं। इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा, आप बताइए कि ओखला, भलस्वा और गाजीपुर से कूड़े का ढेर कब तक हटेगा। हमें इससे मतलब नहीं है कि आप बैठकों में चाय काफी पीते हुए क्या कर रहे हैं। 25 बैठकों का हवाला मत दीजिए, ये बताइए कि काम क्या हुआ। इन बैठकों में क्या हुआ इसका अंदाजा इसी से लगता है कि कूड़े का पहाड़ ऊंचा होता चला गया। कोर्ट ने कहा, हमें बताया गया था कि गाजीपुर में कूड़े के पहाड़ की ऊंचाई 62 मीटर है जबकि ताजा हलफनामे में 65 मीटर है।

ये हैं कोर्ट की अहम टिप्पणियां

-एलजी कहते हैं कि उनके पास अधिकार हैं और स्वास्थ्य मंत्री द्वारा बुलाई गई बैठक में एलजी ऑफिस से कोई नहीं जाता।

- अगर आपके मुताबिक सरकार का कोई रोल नहीं है, सारे अधिकार आपके पास हैं तो जिम्मेदारी भी आपकी है। क्या एलजी का एमसीडी पर कोई अधिकार नहीं है।

- अगर एलजी यह मानते हैं कि वही सब कुछ हैं, स्वास्थ्य मंत्री कोई फैसला नहीं ले सकते तो खुद क्या किया। बैठक में क्यों नहीं गए।

- गाजीपुर, ओखला और भलस्वा से कूड़े का ढेरकब  तक हटेगा। हमें इससे कोई मतलब नहीं है कि आप बैठकों में चाय काफी पीते हुए क्या कर रहे हैं।

कोर्ट को यह दी गई जानकारी
आइआइटी दिल्ली के प्रोफेसर डाक्टर मनोज दत्ता की अध्यक्षता में साइंटिफिक एडवाइजरी कमेटी ने कूड़े के निस्तारण पर रिपोर्ट दी है, जिस पर अमल हो रहा है। ओखला में कूड़े के पहाड़ की ऊंचाई पहले से काफी कम हो गई है और अगले वर्ष मार्च तक यह सात से पांच मीटर और कम कर ली जाएगी।

गुरुग्राम की तारीफ
सुनवाई के दौरान न्यायमित्र ने बताया कि नागपुर में कूड़ा निस्तारण को लेकर शुरू हुए प्रोजेक्ट का बहुत अच्छा कार्यान्वयन गुरुग्राम में हो रहा है। इस पर कोर्ट ने गुरुग्राम के कमिश्नर को अगली सुनवाई पर बुलाया है। मामले पर 16 जुलाई को फिर सुनवाई होगी। वहीं, पूर्वी और उत्तरी नगर निगम के पास फंड नहीं होने की जानकारी पर कोर्ट ने गहरी निराशा जताई।

गौरतलब है कि भारी बारिश से मुंबई की सड़कों पर नदियों-सा नजारा है, जिससे जनजीवन ठप हो गया है। ये सख्त टिप्पणियां न्यायमूर्ति मदन बी. लोकुर व न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने राज्यों के कचरा प्रबंधन मामले में सुनवाई के दौरान की थीं। पीठ ने कहा था कि जब कोर्ट दखल देता है तो उस पर न्यायिक सक्रियता के आरोप लगते हैं। उसे शक्ति बंटवारे के सिद्धांत का लेक्चर दिया जाता है। कहा जाता है कि वह क्षेत्रधिकार का अतिक्रमण कर रहा है। लेकिन कोर्ट क्या करे, जब सरकारें गैरजिम्मेदाराना रवैया अपनाती हैं। कोर्ट इस मामले में सात अगस्त को फिर सुनवाई करेगा। 

कुछ राज्यों पर दो-दो लाख का जुर्माना
कोर्ट ने हलफनामा दाखिल नहीं करने वाले और उनकी ओर से कोर्ट में सुनवाई के दौरान वकील के भी पेश नहीं होने वाले राज्यों पर दो-दो लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। कोर्ट ने कहा था कि वे इन राज्यों को हलफनामा दाखिल करने का अंतिम मौका देते हैं। अगर ये फिर भी हलफनामा दाखिल कर नहीं बताते कि देश का कानून इनके यहां लागू क्यों नहीं है तो इनके मुख्य सचिवों को कोर्ट में तलब किया जाएगा। कोर्ट ने आदेश दिया कि जुर्माने की रकम दो सप्ताह के भीतर सुप्रीम कोर्ट लीगल सर्विस कमेटी में जमा कराई जाएगी और उसका उपयोग किशोर न्याय के मुद्दों पर किया जाएगा।

दिल्ली में अधिकारों पर तंज
कोर्ट ने दिल्ली के प्रति ज्यादा ही सख्त और व्यंग्यात्मक टिप्पणी करते हुए राज्य और केंद्र सरकार से पूछा था कि हलफनामा दाखिल कर बताओ कि दिल्ली में भलस्वा, ओखला और गाजीपुर में जो कूड़े के पहाड़ हैं, उसे हटाना किसकी जिम्मेदारी में आता है? यह उपराज्यपाल के कार्यक्षेत्र में आता है या दिल्ली सरकार के। दिल्ली में कूड़े के ढेर के कारण लोग डेंगू, चिकनगुनिया और मलेरिया से संक्रमित हो रहे हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.