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नूपुर शर्मा मामले में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियां गैर जिम्मेदाराना और गैरकानूनी: एसएन ढींगरा

Nupur Sharma News नूपुर शर्मा मामले में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) एसएन ढींगरा ने सवाल खड़े किए हैं। ढींगरा ने कहा कि इन टिप्पणियों ने सभी अधीनस्थ अदालतों में नूपुर शर्मा के मामले को पूर्वाग्रहित किया है।

By Abhishek TiwariEdited By: Published: Sun, 03 Jul 2022 07:49 AM (IST)Updated: Sun, 03 Jul 2022 07:49 AM (IST)
नूपुर शर्मा मामले में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियां गैर जिम्मेदाराना और गैरकानूनी: एसएन ढींगरा
नूपुर शर्मा मामले में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियां गैर जिम्मेदाराना और गैरकानूनी: एसएन ढींगरा

नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। भाजपा की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा पर सुप्रीम कोर्ट की एकतरफा तल्ख टिप्पणियों को गैर जिम्मेदाराना और गैरकानूनी बताते हुए दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) एसएन ढींगरा ने अहम सवाल खड़े किए हैं।

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देश में होने वाली घटनाओं के लिए नूपुर शर्मा को जिम्मेदार ठहराने की शीर्ष अदालत की टिप्पणी पर न्यायमूर्ति ढींगरा ने कहा कि यह कैसे साबित होगा कि उदयपुर की घटना नूपुर शर्मा के कारण हुई है? बिना किसी जांच या गवाहों और नूपुर शर्मा की दलीलें सुने बगैर इस तरह का अवलोकन करना न केवल अवैध है, बल्कि अनुचित भी है।

ढींगरा ने कहा कि इन टिप्पणियों ने सभी अधीनस्थ अदालतों में नूपुर शर्मा के मामले को पूर्वाग्रहित किया है। डरा धमकाकर याचिका वापस करा दी गई और अब किसी भी निचली अदालत की हिम्मत नहीं होगी कि वह सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के खिलाफ कुछ करे।

उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट खुद अपने निर्णय में सुझाव दे चुका है कि न्यायाधीशों को अनुचित टिप्पणी करने से बचना चाहिए और संबंधित मामले पर सुनवाई करनी चाहिए।

टिप्पणी करनी ही थी तो लिखित में करते ताकि इसके खिलाफ उच्च पीठ में जाया जा सके। ढींगरा ने सवाल उठाया कि शीर्ष अदालत ने अपने निर्णय में इन टिप्पणियों का जिक्र क्यों नहीं किया?

मैं तो इन न्यायाधीश को अदालत में बुलाता

एसएन ढींगरा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट भी कानून से ऊपर नहीं है। कानून कहता है कि किसी को आप दोषी ठहराना चाहते हैं तो पहले आपको आरोप तय करने होंगे। अभियोजन और प्रतिवादी दोनों को अपनी बात रखने की अनुमति देनी होगी। मामले से जुड़े साक्ष्य और गवाह प्रस्तुत करने का मौका देना होगा। इसके बाद अदालत सभी साक्ष्यों को ध्यान में रखकर अपना निर्णय देगी।

यहां तो दुष्कर्म और जान से मारने की मिल रही धमकियों को देखते हुए नूपुर शर्मा विभिन्न राज्यों में दर्ज मामले स्थानांतरित करवाने की मांग को लेकर गईं थीं, लेकिन शीर्ष अदालत ने नूपुर शर्मा के बयान पर स्वत: संज्ञान ले लिया कि बयान जनता को भड़काने वाला था।

ढींगरा ने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश को यह कहा जाए कि आप अदालत में आकर गवाही दीजिए कि यह बयान कैसे भड़काने वाला था तो इन न्यायाधीश को अदालत में पेश होना पड़ेगा। अगर मैं निचली अदालत का जज होता तो इन न्यायाधीश को बुलाता और कहता गवाही दीजिए। पूछता कि नूपुर शर्मा का बयान कैसे भड़काने वाला था।

यह है मामला

नूपुर शर्मा की याचिका पर एक जुलाई को सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति सूर्यकांत और जेबी परदीवाला की अवकाशकालीन पीठ ने विचार करने से इन्कार करते हुए तल्ख टिप्प्णी की थी। अदालत ने कहा था कि देश में हो रही घटनाओं के लिए नूपुर शर्मा जिम्मेदार हैं और उन्हें देश से माफी मांगनी चाहिए।


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