Move to Jagran APP

Delhi Air Pollution: प्रदूषण पर रोक में नाकाम UP-दिल्ली समेत 4 राज्यों के प्रमुख सचिव सुप्रीम कोर्ट में तलब

Supreme Court दिल्ली-एनसीआर में लगातार बढ़ते वायु प्रदूषण के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई हुई।

By JP YadavEdited By: Published: Fri, 15 Nov 2019 02:07 PM (IST)Updated: Fri, 15 Nov 2019 05:56 PM (IST)
Delhi Air Pollution: प्रदूषण पर रोक में नाकाम UP-दिल्ली समेत 4 राज्यों के प्रमुख सचिव सुप्रीम कोर्ट में तलब
Delhi Air Pollution: प्रदूषण पर रोक में नाकाम UP-दिल्ली समेत 4 राज्यों के प्रमुख सचिव सुप्रीम कोर्ट में तलब

नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। Supreme Court: दिल्ली-एनसीआर में लगातार बढ़ते वायु प्रदूषण के मुद्दे पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में अहम सुनवाई हुई। नाराज कोर्ट ने एनसीआर में प्रदूषण पर काबू पाने में नाकाम दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिवों को आगामी 29 नवंबर को तलब किया है। 

loksabha election banner

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में सत्तासीन आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) सरकार से यह बताने के लिए कहा कि सम-विषम योजना (Odd-Even Scheme) से वायु प्रदूषण से कोई राहत मिली है या नहीं? साथ ही, कोर्ट ने यह भी कहा कि दिल्ली में सम-विषम योजना प्रदूषण से निजात पाने का रास्ता नहीं है। 

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली में प्रदूषण से बुरा हाल है। यहां पर वायु गुणवत्ता सूचकांक (Air Quality Index) 600 के आसपास रहता है। ऐसे में दिल्ली वाले किस तरह सांस लें।

कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि प्रदूषण से राहत के लिए दिल्ली में जगह-जगह एयर प्यूरिफाइंग टावर्स लगाने के लिए रोड मैप तैयार करे।

वहीं, दिल्ली सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश वरिष्ठ वकील मुकल रोहतगी ने कहा कि Odd Even scheme में दुपहिया वाहनों को दी छूट खत्म हो जाती है तो इसे प्रदूषण कम होगा।

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई के दौरान Odd Even scheme को लेकर भी सवाल उठाए। साथ ही, कहा कि ऑड-इवेन प्रदूषण से निजात का रास्ता नहीं हो सकता है। कोर्ट ने यह भी कहा कि किसी को छूट नहीं दी जानी चाहिए और इसे विधिवत लागू किया जाना चाहिए। 

इससे पहले राष्ट्रीय राजधानी में जहरीली होती हवा के मामले पर दिल्ली हाई कोर्ट ने बृहस्पतिवार को दिल्ली सरकार, नगर निगम समेत सभी एजेंसियों को जमकर फटकार लगाई। स्वत: संज्ञान लेकर हाई कोर्ट द्वारा शुरू की गई जनहित याचिका पर न्यायमूर्ति जीएस सिस्तानी व एजे भंभानी की पीठ ने कहा कि अगर हाई कोर्ट के पूर्व के आदेशों का अनुपालन किया गया होता तो दिल्ली आज इतनी प्रदूषित नहीं होती। पीठ ने सभी एजेंसियों को अगली तारीख तक रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश देते हुए सुझाव दिया कि धूल के कारण होने वाले प्रदूषण को देखते हुए अक्टूबर से जनवरी के बीच इमारतों के ध्वस्तीकरण की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। पीठ ने यह भी कहा कि एजेंसियां सुनिश्चित करें कि निर्माण सामग्री और मलबा खुले में न रहे और इस पर पानी का छिड़काव जरूर हो। पीठ ने आगामी 2 दिसंबर को होने वाली अगली तारीख पर सभी पक्षों के स्टैंडिंग काउंसल को अदालत में मौजूद रहने को कहा है।

जनहित याचिका पर पहली बार वर्ष 2015 में सुनवाई हुई थी और इसके बाद से अदालत समय-समय पर निर्देश जारी करती रही है। सुनवाई के दौरान मामले में अदालत मित्र नियुक्त किए गए वरिष्ठ अधिवक्ता कैलाश वासुदेव ने भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि वर्ष 2014 से 2017 के बीच दिए गए लक्ष्य को पूरा करने में वन विभाग विफल रहा। इस पर पीठ ने वन विभाग के मुख्य संरक्षक को अगली तारीख पर अदालत के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया। साथ ही कहा कि वह एक रिपोर्ट पेश करे कि उसने कितने ग्रीन-कवर बनाए और दिल्ली में अतिक्रमण को खत्म किया। सुनवाई के दौरान वन विभाग के अधिवक्ता के अनुपस्थित होने पर नाराजगी जताते हुए पीठ ने कहा कि ऐसे मामलों में भी गंभीरता की कमी के कारण ही प्रदूषित हवा की समस्या कायम है।

अदालत मित्र कैलाश वासुदेव ने कहा कि सुनियोजित शहर की योजना की कमी और अतिक्रमण हटाने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया। उन्होंने पीठ को सुझाव दिया कि पौधारोपण की आड़ में बड़े पेड़ों को काटने से इसका समाधान नहीं होगा। उन्होंने कहा कि जहरीली हवा का असर बच्चों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है और अगर यह ऐसे ही जारी रहा तो हालात इससे भी खराब होंगे। पीठ ने उक्त तथ्यों को रिकॉर्ड पर लेते हुए दिल्ली सरकार व नगर निगम को फटकार लगाई। अतिक्रमण पर सख्त कार्रवाई नहीं होने पर पीठ ने दिल्ली सरकार के विभिन्न विभागों को मामले से जुड़े दिशानिर्देशों के साथ शपथ पत्र दाखिल करने को कहा। पीठ ने कहा कि संबंधित इलाकों के अधिकारियों की जिम्मेदारी सुनिश्चित की जाए कि वह अपने इलाके में नियमित रूप से निरीक्षण करें।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.