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Supertech Twin Tower: नोएडा के ट्विन टावरों के मामले में बड़ी कार्रवाई, तत्कालीन तीन FSO के खिलाफ केस दर्ज

सेक्टर-93 स्थित सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट में हाउसिंग भूखंड पर बने अवैध टावर एपेक्स और सियान के निर्माण के दौरान हुई लापरवाही की आंच फायर ब्रिगेड तक पहुंच गई है। मामले में तीन अधिकारियों पर एफआइआर दर्ज की गई है।

By GeetarjunEdited By: Published: Tue, 16 Aug 2022 10:40 PM (IST)Updated: Tue, 16 Aug 2022 10:40 PM (IST)
Supertech Twin Tower: नोएडा के ट्विन टावरों के मामले में बड़ी कार्रवाई, तत्कालीन तीन FSO के खिलाफ केस दर्ज
नोएडा के ट्विन टावरों के मामले में बड़ी कार्रवाई, तत्कालीन तीन FSO के खिलाफ केस दर्ज।

नोएडा [मोहम्मद बिलाल]। Noida Supertech Twin Tower सेक्टर-93 स्थित सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट में हाउसिंग भूखंड पर बने अवैध टावर एपेक्स और सियान के निर्माण के दौरान हुई लापरवाही की आंच फायर ब्रिगेड तक पहुंच गई है। मामले में तीन अधिकारियों पर एफआइआर दर्ज की गई है।

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इन अधिकारियों के खिलाफ दर्ज हुआ मुकदमा

सुपरटेक लिमिटेड को आवंटित ग्रुप हाउसिंग भूखंड पर बने दो अवैध टावर को फायर एनओसी देने के मामले में हुई जांच के बाद फायर अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) देने वाले तीन तत्कालीन मुख्य अग्निशमन अधिकारी (सीएफओ) के खिलाफ शासन के आदेश पर एफआइआर दर्ज की गई है। कोतवाली फेज-2 में तत्कालीन मुख्य अग्निशमन अधिकारी महावीर सिंह, राजपाल त्यागी और आइएस सोनी को नामजद किया गया है।

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सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक लिमिटेड को आवंटित ग्रुप हाउसिंग भूखंड पर बने अवैध टावर संख्या टी-16 और टी-17 को ध्वस्त करने के आदेश दिए हैं। जल्द ही टावर को गिराने का काम होना है।

सीएम योगी के आदेश पर बनी थी जांच कमेटी

वहीं पूरे प्रकरण में सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर तत्कालीन अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास संजीव मित्तल (आइआइडीसी) की अध्यक्षता में उत्तरदायित्व तय करने के लिए जांच कमेटी का गठन किया गया था। जांच के बाद कमेटी ने अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप दी थी।

चार आइएएस अधिकारी समेत कई अधिकार बने जिम्मेदार

इसके आधार पर अभी तक कई अधिकारी निलंबित हो चुके हैं। जबकि उस समय नोएडा में अलग-अलग पदों पर तैनात रहे चार आइएएस समेत कुल 26 अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया गया है। कमेटी द्वारा की गई जांच में सामने आया है कि ग्रुप हाउसिंग भूखंड संख्या-जीएच-4, सेक्टर-93 ए, नोएडा का आवंटन और मानचित्र स्वीकृति वर्ष-2004 से 2012 के मध्य की है।

इस पर मानचित्र स्वीकृति वर्ष-2005, 2006, 2009 और 2012 में दी गई थी। अवैध रूप से स्वीकृत मानचित्रों के आधार पर हुए निर्माण को अग्निशमन विभाग ने भी अपना अनापत्ति प्रमाणपत्र दे दिया था। बिना जांच पड़ताल के फायर एनओसी जारी करने के बाद मामले में शासन के आदेश पर मुकदमा दर्ज किया गया।

इन धाराओं में दर्ज हुई एफआइआर

फेज-दो कोतवाली प्रभारी परमहंस ने बताया कि आरोपितों के खिलाफ आइपीसी की धारा 217 (लोक सेवक द्वारा सजा से व्यक्ति को बचाने के इरादे से कानून की एक दिशा की अवहेलना) और उत्तर प्रदेश अग्नि निवारण व अग्नि सुरक्षा अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है।


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