पढ़िए- मां-बेटी की कामयाबी की कई कहानियां, लेकिन इनमें से एक का रिश्ता है रितिक रोशन से
रोजगार के विभिन्न क्षेत्रों में खुद को स्थापित कर चुकीं मां-बेटी की जोड़ियां फिक्की फेडरेशन हाउस में फिक्की लेडिज ऑर्गनाइजेशन द्वारा आयोजित चर्चा सत्र में हिस्सा लेने पहुंची।
नई दिल्ली, जेएनएन। रोजगार के विभिन्न क्षेत्रों में खुद को स्थापित कर चुकीं मां-बेटी की जोड़ियां शुक्रवार को फिक्की फेडरेशन हाउस में फिक्की लेडीज ऑर्गनाइजेशन (एफएलओ) द्वारा आयोजित चर्चा सत्र में हिस्सा लेने पहुंचीं। इंटीरियर डिजाइनिंग के क्षेत्र से सफल महिला उद्यमी जरीन खान और सुजैन खान, डिजाइन व आर्किटेक्चर क्षेत्र से सुनीता कोहली व कोहेलिका कोहली, ज्वेलरी निर्माण से आशा कमल मोदी व शिवानी मोदी एवं सौंदर्य प्रसाधन क्षेत्र से शहनाज हुसैन की बेटी नीलोफर करिमभॉय ने सफलता और संघर्ष की कहानी सुनाई।
एफएलओ की अध्यक्ष पिंकी रेड्डी ने वक्ताओं का स्वागत करते हुए कहा कि मां-बेटी की जोड़ियां सदियों से साथ काम करती आ रही हैं। उद्योग के क्षेत्र में जहां पुरुषों का वर्चस्व रहा है, वहीं अपनी मेहनत से महिलाओं ने अलग मुकाम बनाया है। सत्र में एफएलओ की सदस्यों ने वक्ताओं से संघर्ष और रोजगार क्षेत्र की चुनौतियों से संबंधित सवाल भी किए।
एक सवाल का जवाब देते हुए कंपनी आर्ट कैरट की संस्थापक आशा कमल मोदी ने कहा कि पहले लोगों को लगता था कि सिर्फ सोना और चांदी के आभूषण ही आभूषण हैं, लेकिन अब इस सोच में बदलाव आया है। शिवानी मोदी ने कहा कि ज्वेलरी आर्ट में दिलचस्पी भले ही विरासत में मिली, लेकिन बदलते दौर के साथ बाजार में आभूषणों के मांग की पहचान और डिजाइन में बदलाव अपनी अथक मेहनत से ही संभव कर पाई।
द चारकोल प्रोजेक्ट की संस्थापक जरीन खान ने कहा कि इंटीरियर डिजाइ¨नग को लेकर लोगों की सोच काफी बदली है। व्यापार व्यापक हुआ है और संभावनाएं बढ़ रही हैं। बॉलीवुड में भी उनकी पहचान अभिनेता संजय खान की पत्नी से ज्यादा इंटीरियर डिजाइनर के तौर पर है।
सुजैन खान ने बताया कि सोशल मीडिया के जरिये किस तरह से व्यापार को ऊंचाइयों तक पहुंचाया जा सकता है। डिजाइनर सुनीता कोहली, कोहलिका कोहली और नीलोफर करिमभॉय ने भी सवालों का जवाब दिया। इस अवसर पर एफएलओ की ओर से लीपिका सूद, शोभा जॉली समेत बड़ी संख्या में सदस्य उपस्थिति रहीं।