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अदालत के आदेश की अवहेलना नहीं कर सकते न्यायिक अधिकारी: हाई कोर्ट

दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि पक्षकारों के अनुरोध पर हाइब्रिड सुनवाई की अनुमति देने से जुड़े हाई कोर्ट के आदेश की न्यायिक अधिकारी अवहेलना नहीं कर सकते हैं। आदेश है तो फिर ये नहीं होना चाहिए कि कोई न्यायिक अधिकारी कहे कि मैं अपनी तरह से काम करूंगा।

By Mangal YadavEdited By: Published: Thu, 18 Nov 2021 06:54 PM (IST)Updated: Thu, 18 Nov 2021 06:54 PM (IST)
अदालत के आदेश की अवहेलना नहीं कर सकते न्यायिक अधिकारी: हाई कोर्ट
अदालत के आदेश की अवहेलना नहीं कर सकते न्यायिक अधिकारी: हाई कोर्ट

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली हाई कोर्ट ने बृहस्पतिवार को कहा कि पक्षकारों के अनुरोध पर हाइब्रिड सुनवाई की अनुमति देने से जुड़े हाई कोर्ट के आदेश की न्यायिक अधिकारी अवहेलना नहीं कर सकते हैं। अगर, हाई कोर्ट का आदेश है तो फिर ये नहीं होना चाहिए कि कोई न्यायिक अधिकारी कहे कि मैं अपनी तरह से काम करूंगा। उक्त टिप्पणी करते हुए न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने निचली अदालतों को निर्देश दिया कि हाइब्रिड सुनवाई के संबंध में हाई कोर्ट द्वारा जारी निर्देशों का सख्ती से अनुपालन सुनिश्चित कराया जाए।

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12 अगस्त को दिल्ली हाई कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ ने कहा था कि भौतिक सुनवाई के दौरान भी निचली अदालतें हाइब्रिड या वीडियो कान्फ्रेंसिंग से सुनवाई की अनुमति देंगी। दो अलग-अलग याचिकाएं दायर कर निचली अदालत में हाइब्रिड सुनवाई का निर्देश देने की मांग की गई थी।

इससे पहले बुधवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा था कि हाई कोर्ट द्वारा पारित निर्देशों का पालन करने के लिए निचली अदालत बाध्य हैं। न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने दिल्ली सरकार और सभी अदालतों के सत्र न्यायाधीश को नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा था। हाई कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ ने पक्षकारों के अनुरोध पर निचली अदालतों को हाइब्रिड या वीडियो कान्फ्रेंसिंग से सुनवाई करने की अनुमति दी थी। इसके बावजूद भी हाइब्रिड सुनवाई की अनुमति नहीं देने पर एक अधिवक्ता ने हाई कोर्ट में आवेदन दाखिल किया है।

अधिवक्ता अनिल कुमार हजले और मनश्वी झा ने दो अलग-अलग याचिका दायर कर निचली अदालत में हाइब्रिड सुनवाई का निर्देश देने की मांग की थी। अब हजले ने आवेदन दाखिल करके कहा कि हाई कोर्ट के प्रशासनिक पक्ष में पारित निर्देशों के बावजूद भी जिला अदालतें हाइब्रिड और वीडियो कान्फ्रेंसिंग से सुनवाई के आदेश का अनुपालन नहीं कर रहीं हैं।


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