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JNU Student protest: केंद्रीय मंत्री का छात्रों को दिया आश्‍वासन लाया रंग

JNU Student protest दिल्ली स्थित जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में हॉस्टल फीस बढ़ाने समेत कई मुद्दों को लेकर चल रहा छात्र-छात्राओं का प्रदर्शन बुधवार को भी जारी है।

By JP YadavEdited By: Published: Wed, 13 Nov 2019 02:26 PM (IST)Updated: Wed, 13 Nov 2019 04:14 PM (IST)
JNU Student protest: केंद्रीय मंत्री का छात्रों को दिया आश्‍वासन लाया रंग
JNU Student protest: केंद्रीय मंत्री का छात्रों को दिया आश्‍वासन लाया रंग

नई दिल्ली [राहुल मानव]। JNU Student protest: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की बुधवार को कार्यकारी परिषद (ईसी) की बैठक हो रही है, लेकिन इसमें छात्र संघ के प्रतिनिधियों को नहीं बुलाए जाने को लेकर फिर छात्र जेएनयू प्रशासनिक भवन में जमा हो गए और प्रदर्शन किया। छात्र संघ के महासचिव सतीश चंद्र यादव ने प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि आज सुबह हम जेएनयू के कन्वेंशन सेंटर पर पहुंचे थे। यहां पर ईसी की बैठक होनी थी। लेकिन नहीं हुई । छात्र प्रतिनिधियों को कहा गया कि बैठक कहीं और होनी है आप भी हमारे साथ चलें। यादव ने कहा कि हमने जाने से मना कर दिया। छात्र संघ ने कहा कि जब तक प्रशासन हमारी बात नहीं सुनेगा तब हमारा प्रदर्शन जारी रहेगा। बता दें कि सोमवार को वसंतकुंज स्‍थित ऑडिटोरियम के बाहर छात्रों के प्रदर्शन के दौरान जेएनयू के छात्र संघ के नेताओं ने केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक से मुलाकात की थी। इस दौरान मंत्री ने छात्रों की मांग पर विचार करने का आश्‍वासन दिया था। उम्‍मीद है कि इसके मद्देनजर जेएनयू प्रशासन ने फीस बढ़ोतरी को वापस ले लिया है।

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पूर्व छात्र शेहला राशिद भी छात्रों के समर्थन में जेएनयू पहुंची

जेएनयू की पूर्व उपाध्यक्ष रही शेहला राशिद भी छात्रों के समर्थन में कैंपस पहुंची। उन्होंने कहा कि गरीब छात्रों को शिक्षा की सुविधाएं देनी चाहिए। जेएनयू की खासियत ही ये ही है कि यहां पर सफाई कर्मचारी का बच्चा भी पढ़ता है। यह तर्क देना गलत ही सिर्फ गरीब के छात्रों को सब्सिडी मिले तो वह अलग जगह पढ़े और अमीरों के बच्चे अलग जगह पर पढ़े। ऐसा ही आज के दौर में सरकारी स्कूल और निजी स्कूल में हो रहा है। जब सफाई कर्मचारी का बच्चा और मिनिस्टर का बच्चा एक साथ पढ़ता है तो विश्वविद्यालय का स्टेटस अच्छा होता है। जेएनयू में कई गरीब परिवार से बच्चे पढ़ने आते हैं ऐसे में छात्रावास की फीस बिल्कुल भी नहीं बढ़ानी चाहिए।

छात्रों के साथ जेएनयू शिक्षक संघ

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) शिक्षक संघ की तरफ से छात्रों के समर्थन में सोमवार की शाम को एक सभा का आयोजन किया गया। जिसमें शिक्षक संघ ने सर्व सहमति से प्रस्ताव पास किया कि सोमवार को छात्रों द्वारा जेएनयू के तीसरे दीक्षा समारोह में शांतिपूर्ण तरीके से किए गए प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने ठीक व्यवहार नहीं किया, इसकी निंदा करते हैं। साथ ही कुलपति एम.जगदीश कुमार को अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। उन्होंने अपनी जिम्मेदारियों का ठीक ढंग से पालन नहीं किया है। साथ ही छात्रावास के नए नियम अस्वीकार्य हैं। यह विश्वविद्यालय की जिम्मेदारी है कि वह छात्रों के खानपान और छात्रों के रहने के उचित व्यवस्था कराए। जेएनयू प्रशासन को यह समझना चाहिए कि इस संस्थान में काफी ज्यादा छात्र वंचित समाज से आते हैं और यहां पर पढ़ने के लिए दाखिला लेते हैं। हम जेएनयू छात्र संघ और सभी छात्रों के साथ हैं।

कोई किसान के परिवार से है, तो किसी के पिता हैं सुरक्षाकर्मी

पश्चिम बंगाल के सिलीगुढ़ी के पास उत्तर दिनाजपुर के रहने वाले जेएनयू के स्कूल ऑफ लेंग्वेज, लिटरेचर एंड कल्चरल स्टडीज के परशियन स्टडीज के एमए प्रथम वर्ष के छात्र मुहम्मद मेहनाज आलम के पिता की वर्ष 2012 में मृत्यु हो चुकी है। उनके पिता एक शोरूम में रखरखाव किया करते थे। आलम ने बताया कि उनके पिता की महीने की आमदनी 8 हजार रुपये हुआ करती थी। लेकिन अब उनके घर में सिर्फ उनके बड़े भाई ही कमाते हैं, जिनकी महीने की आमदनी महज 5 हजार रुपये है।

आलम ने कहा कि जेएनयू प्रशासन की तरफ से बिजली पानी बिल को अनिवार्य करने का नियम लागू कर दिया है। साथ ही छात्रावास की फीस को बहुत ज्यादा बढ़ा दिया है। जेएनयू में जिनके परिवार की कम आमदनी है उन्हें छात्रवृत्ति दी जाती है। आलम ने बताया कि उन्हें सिर्फ दो हजार रुपये ही प्रति महीना छात्रवृत्ति मिलती है, वह भी देर से मिलती है। वह अपने परिवार से किसी भी सूरत में रुपये मांगने की हालत में नहीं है। ऐसे में अब फीस वृद्धि के बाद छात्रावास का बिजली पानी बिल मिलाकर ज्यादा बिल आएगा। उनका गुजारा छात्रवृत्ति के रुपयों से हो जाता है। ऐसे में फीस वृद्धि के बाद वह बिजली पानी का अतिरिक्त बिल और रखरखाव के अन्य बिल को भरने योग्य नहीं है, इसलिए उनकी मांग है कि छात्रावास की फीस बढ़ोतरी को वापिस लिया जाए।

वहीं, स्कूल ऑफ लेंग्वेज के ही बीए विभाग के छात्र मुहम्मद इसराइल ने बताया कि उनके पिता किसान हैं। महीने के आमदनी बहुत कम है। ऐसे में वह इतनी ज्यादा बिजली पानी और छात्रावास की बढ़ी हुई फीस को नहीं दे सकते हैं। जेएनयू छात्र संघ के प्रतिनिधियों ने कहा कि जेएनयू में 40 फीसद से ज्यादा ऐसे छात्र हैं जो गरीब समाज से आते हैं। यह बढ़ाए गए शुल्कों को अदा करने में सक्षम नहीं है। ऐसे में छात्रावास की बढ़ाई गई फीस और अन्य शुल्क को वापस लिया जाना चाहिए। 

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