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सावरकर के नाम से कालेज खोलने के फैसले से स्टूडेंट फेडरेशन आफ इंडिया नाराज

संगठन के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष कुनाल सहरावत ने कहा कि डीयू प्रशासन को हम खुली चुनौती देते हैं। नाम वापस लें नहीं तो हम चुप नहीं बैठेंगे। वहीं स्टूडेंट फेडरेशन आफ इंडिया (एसएफआइ) ने बयान जारी कर कहा कि यह इतिहास को ध्वस्त करने की साजिश है।

By Prateek KumarEdited By: Published: Thu, 04 Nov 2021 11:30 AM (IST)Updated: Thu, 04 Nov 2021 11:30 AM (IST)
सावरकर के नाम से कालेज खोलने के फैसले से स्टूडेंट फेडरेशन आफ इंडिया नाराज
एनएसयूआइ ने एक बयान जारी कर कहा कि वह डीयू के इस फैसले का विरोध करती है।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली विश्वविद्यालय वीर सावरकर और पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व. सुषमा स्वराज के नाम पर कालेज खोलेगा। हाल ही में संपन्न कार्यकारी परिषद की बैठक में इस प्रस्ताव पर मोहर लगी। हालांकि, डीयू के इस निर्णय से छात्र संगठन खासे नाराज हैं। नेशनल स्टूडेंट यूनियन आफ इंडिया (एनएसयूआइ) ने एक बयान जारी कर कहा कि वह डीयू के इस फैसले का विरोध करती है। एनएसयूआइ ने सख्त चेतावनी दी कि यदि सावरकर के नाम पर कालेज खोलने का फैसला वापस नहीं लिया जाता है तो वह विश्वविद्यालय को ठप कर देगी।

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संगठन के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष कुनाल सहरावत ने कहा कि डीयू प्रशासन को हम खुली चुनौती देते हैं। नाम वापस लें, नहीं तो हम चुप नहीं बैठेंगे। वहीं, स्टूडेंट फेडरेशन आफ इंडिया (एसएफआइ) ने बयान जारी कर कहा कि यह इतिहास को ध्वस्त करने की साजिश है। एसएफआइ डीयू के इस फैसले का विरोध करती है। एसएफआइ ने चेतावनी दी कि डीयू ने यदि तत्काल कालेज खोलने का निर्णय वापस नहीं लिया तो विरोध प्रदर्शन किए जाएंगे।

बता दें कि डीयू नजफगढ़ के रोशनपुरा में 16.35 और भाटी कलां में 40 एकड़ जमीन पर कालेज खोलेगा। इन्हें पहले सुविधा केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा, लेकिन बाद में ये सुविधा केंद्र कालेज में तब्दील किए जाएंगे। डीयू ने पिछले साल इन कालेजों के नाम पर सुझाव मांगे थे। बड़ी संख्या में शिक्षक समुदाय और अन्य ने वीर सावरकर के नाम का सुझाव दिया था।

डीयू प्रशासन ने बताया कि रोशनपुरा एवं भाटी कलां में सुविधा केंद्र खुलने से दक्षिणी दिल्ली, बाहरी और पश्चिमी दिल्ली में रहने वाले छात्रों को दाखिले तथा परीक्षा संबंधी कार्यो के लिए नार्थ एवं साउथ कैंपस नहीं जाना पड़ेगा। दस्तावेज संबंधी सभी काम सुविधा केंद्र में होंगे। फीस, मार्कशीट आदि संबंधी कार्य यहीं होंगे। बाद में इन सुविधा केंद्रों को कालेज में तब्दील कर दिया जाएगा।


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