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57 वर्षों बाद ब्रिटेन से वापस लौटी चोरी हुई बुद्ध की प्रतिमा, जल्द भेजी जाएगी बिहार

बुद्ध प्रतिमा का भूमि स्पर्श मुद्रा में आसन्नस्थ बुद्ध के रूप में डाक्यूमेंटेशन किया गया था। प्रतिमा की ऊंचाई साढ़े छह इंच है।

By JP YadavEdited By: Published: Wed, 18 Sep 2019 06:06 PM (IST)Updated: Thu, 19 Sep 2019 06:40 AM (IST)
57 वर्षों बाद ब्रिटेन से वापस लौटी चोरी हुई बुद्ध की प्रतिमा, जल्द भेजी जाएगी बिहार
57 वर्षों बाद ब्रिटेन से वापस लौटी चोरी हुई बुद्ध की प्रतिमा, जल्द भेजी जाएगी बिहार

नई दिल्ली [वीके शुक्ला]। Stolen Buddha idol returned from Britain after 57 years: बिहार स्थित नालंदा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण संग्रहालय (Archaeological Survey of India Museum) से 57 साल पहले चोरी हुई बुद्ध की कांस्य की बनी प्रतिमा वापस भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India) काे मिल गई है। 22 अगस्त, 1961 को यह प्रतिमा चोरी हो गई थी। यह प्रतिमा बैठे हुए बुद्ध की भूमि स्पर्श मुद्रा में है। एएसआइ के इस संग्रहालय के रिकार्ड में आज भी इस प्रतिमा के चोरी होने के बारे में जानकारी उपलब्ध है। चोरी होने पर एएसआइ के तत्कालीन अधिकारी एस एन सेन ने विवरण रिकार्ड किया था। बुद्ध प्रतिमा का भूमि स्पर्श मुद्रा में आसन्नस्थ बुद्ध के रूप में डाक्यूमेंटेशन किया गया था। प्रतिमा की ऊंचाई साढ़े छह इंच है। सूत्रों का कहना है कि इसे फिर से बिहार के नालंदा संग्रहालय में प्रदर्शित किया जाएगा। यह मूर्ति जल्द ही बिहार भेजी जाएगी। वहीं, वित्त मंत्री निर्मणा सीतारमन और केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री प्रह्लाल पटेल को यह प्रतिमा भेंट की गई।

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कैसे सामने आई प्रतिमा

यह प्रतिमा 2018 में लंदन में रहने वाले रोजी एंड रोजी डीलर द्वारा मास्टरिच में आयोजित नीलामी में रखी गई थी। गैर सरकारी संगठन रिसर्च इंटू क्राइम अगेंस्ट आर्ट की लिडा एल्बर्टसन और इंडिया प्राइड प्रोजक्ट के विजय कुमार ने इस प्रतिमा की पुरातनता की पहचान की। उन्होंने इसकी सूचना वहां की पुलिस को भी दी। उन्होंने लंदन मेट्रोपॉलिटन पुलिस की आर्ट एवं एंटिक यूनिट से भी संपर्क किया। इस पर वहां की एंटिक यूनिट ने इसे अपने कब्जे में ले लिया। जानकारी प्रकाश में आने पर एएसआइ ने इस बारे में जांच की और प्रमाणित किया कि यह प्रतिमा पुरातत्व संग्रहालय नालंदा से चुराई हुई है, बाद में वहां जाकर प्रतिमा की भी जांच की। इसके बाद इंटरनेशनल काउंसिल आफ म्यूजियम (आइसीओएम) द्वारा भी प्रतिमा की जांच की गई। जिसमें इस बात की पुष्टि की गई कि यह कांस्य प्रतिमा नालंदा संग्रहालय से चुराई गई बुद्ध प्रतिमा से मैच खाती है। एएसआइ ने इसे वापस लाने के लिए प्रयास तेज किए। इसके उपरांत भारत के स्वतंत्रता दिवस के समारोह में लंदन की मेट्रोपॉलिटन पुलिस द्वारा 15 अगस्त 2018 को ब्रिटेन में भारत के उच्चायुक्त वी के सिन्हा को प्रतिमा वापस की गई। जिसके बाद प्रतिमा वापस भारत लाई गई। गत 17 सितंबर को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संस्कृति व पर्यटन मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल को सौंप दी। जिसे उन्होंने एएसआइ के हवाले कर दिया है।

इस तरह की है कांस्य बुद्ध प्रतिमा

यह प्रतिमा 12 वीं शताब्दी की है। इस प्रतिमा में बुद्ध को आसन पर भूमि स्पर्श मुद्रा में दिखाया गया है। जिसमें वह अपने दाएं हाथ से धरती मां को स्पर्श कर रहे हैं। उनका बायां कंधा संघाटि यानी ऊपर के भाग में पहनने वाले कपड़े से ढका हुआ है। बुद्ध के सिर के ऊपर पीपल के पत्ते तथा नक्काशीदार कमल है। एएसआइ के अनुसार बुद्ध की इस मुद्रा में प्रतिमा बहुत कम उपलब्ध हैं।

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